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खौफनाक: घर में मुर्दों के साथ सोते हैं यहां के लोग

इंडोनेशिया में शवों को दफनाने में इतना खर्च है कि लोग मुर्दों को इन्हें अपने घर में ही एक जिंदा सदस्य के तौर रखते हैं। आपको बतादें कि दरअसल ऐसा करने की वजह यह है कि इन लोगों में अंतिम संस्कार बह

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Apr 2017 01:48 PM

इंडोनेशिया में शवों को दफनाने में इतना खर्च है कि लोग मुर्दों को इन्हें अपने घर में ही एक जिंदा सदस्य के तौर रखते हैं। आपको बतादें कि दरअसल ऐसा करने की वजह यह है कि इन लोगों में अंतिम संस्कार बहुत खर्चीला होता है। कई पशुओं की बलि देकर पूरे समाज को खिलाना-पिलाना होता है। इस तरह अंतिम संस्कार कई दिनों तक चलता है। जिसमें इंडोनिशया में सालाना मिलने वाली एवरेज सैलरी से भी कई गुना ज्यादा खर्च हो जाता है। यही कारण है कि जब तक अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं जुट जाते, परिवार मृत सदस्य को अपने साथ ही रखता है।

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मुर्दों से करते हैं बात
इंडोनेशिया में इस रिवाज के कारण परिवार वाले मृत शरीर को जीवित की तरह ट्रीट करते हैं। रोजाना उसके लिए खाना-पानी, कपड़े, साफ-सफाई, यहां तक कि सिगरेट वगैरह का इंतजाम भी किया जाता है। आपसी बातचीत में भी उसके लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हों, मानो वे जिंदा हों और बस बीमार हों। 

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घर में ही महीनों और बरसों तक रखे जाते हैं मुर्दे
इस परिवार की सदस्य मामक लिसा जब किसी गेस्ट से बात करती है, तो कहती है कि उसके पिता बीमार हैं। वह घर के एक कमरे में ताबूत में लिटाकर रखी गई डेड बॉडी के पास जाकर पूछती है कि बाहर से कुछ लोग आपसे मिलने आए हैं, इससे आपको परेशानी तो नहीं होगी?

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शव को दफनाने से पहले रखते हैं घर में
यह अकेला परिवार नहीं है, जो ऐसा कर रहा है। इंडोनेशिया के दक्षिणी सुलावेसी द्वीप पर रहने वाली तोराजा कम्युनिटी में यह एक आम रिवाज है। वे लोग शव को दफनाए जाने से पहले घर में ही रखते हैं।

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मुर्दों को खाने-पीने का भी होता है इंतजाम
इस दौरान मुर्दे के भीतर इंजेक्शन से फार्मेलिन रसायन डाला जाता है, ताकि वह सड़े नहीं। उसे ताबूत में लिटाकर घर के भीतर ही रखा जाता है। उसके लिए बाकायदा खाना, नाश्ता, पानी आदि का इंतजाम होता है। रोज उसके कपड़े बदले जाते हैं, रात को ढीले कपड़े पहनाए जाते हैं। इस दौरान परिवार के सदस्य दैनिक व्यवहार और बातचीत में मृत सदस्य को जीवित की तरह ही ट्रीट करते हैं।

अंतिम संस्कार के बाद भी नहीं छूटता अपनों का साथ
इस कम्युनिटी में मृतक को दफना दिए जाने के बाद साल में एक बार कब्र से निकालकर बाकायदा नहलाया-धुलाया जाता है और बाल संवारकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं।

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माएने नाम से प्रचलित है यह रिवाज
स्थानीय भाषा में इस रिवाज को माएने कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, शवों को साफ करने का समारोह। इस दौरान बुजुर्गों ही नहीं, बच्चों के शवों को भी बाहर निकाला जाता है। शवों को कब्रों से निकालकर वहां ले जाया जाता है, जहां व्यक्ति की मौत हुई थी, फिर उसे गांव लाया जाता है। गांव तक लाने के दौरान सीधी रेखा में चला जाता है। इस दौरान मुड़ना या घूमना वर्जित होता है। तोराजा लोग डेड बॉडीज को जमीन के भीतर दफनाने के बजाय ताबूत में रखकर गुफाओं में रखते हैं। वहां अमीर लोग अपने रिलेटिव्स के लकड़ी के पुतले बनवाकर भी रखते हैं।

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