फोटो गैलरी

Hindi Newsजंगल के स्कूल का अनोखा क्रिकेट मैच

जंगल के स्कूल का अनोखा क्रिकेट मैच

सर्दी कम हो रही थी। ऐसे में खिली धूप में खेलने का मजा ही कुछ और था। स्कूल की छुट्टी के बाद चूहा, खरगोश, बकरा, गधा, बिल्ली, कुत्ते, कौवे, चिड़ियां, गिलहरी और बंदरों की पूरी टोली मास्टर जी के नजर फेरने...

जंगल के स्कूल का अनोखा क्रिकेट मैच
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 10 Feb 2017 12:59 PM
ऐप पर पढ़ें

सर्दी कम हो रही थी। ऐसे में खिली धूप में खेलने का मजा ही कुछ और था। स्कूल की छुट्टी के बाद चूहा, खरगोश, बकरा, गधा, बिल्ली, कुत्ते, कौवे, चिड़ियां, गिलहरी और बंदरों की पूरी टोली मास्टर जी के नजर फेरने के इंतजार में बैठी थी। इधर मास्टर जी की बाइक गई, उधर सब निकल पड़े क्रिकेट मैच खेलने। एक करारे अमरूद को बनाया गया गेंद और गन्नों को तोड़कर बन गए विकेट और गिल्ली।

वहीं बैट के लिए पूरी एक डाल तोड़नी पड़ गई। टीम बनाने में एक तरफ तो पूरी बंदरों की टोली हो गई और दूसरी तरफ बाकी सारे जानवर और पक्षी। अंपायर बने खुजली वाले चिंपांजी दादा और कमेंटेटर बने चुप्पे कबूतर महाराज। बंदरों ने पहले बॉलिंग का प्रस्ताव रखा। बस फिर क्या था। यहां से रॉकी डॉगी लगा गरगराने। बोला आज ही बॉलिंग की नई ट्रिक सीख कर आया हूं। हमारी टीम पहले फील्डिंग करेगी। इसी में बज गए बारह। बंदरों को भूख भी सताने लगी थी।

खैर। मैच की पहली बॉल (उसे अमरूद कहना ज्यादा ठीक होगा) बंदरों को ही फेंकने को मिली। टिल्लू बंदर ने पूरी ताकत से सनसना के गेंद फेंकी। ढबढब गधा डाल लिए बैटिंग करने को खड़ा था। दूसरे विकेट पर बाकू बकरा था। सनसनाते अमरूद को अपनी ओर तेजी से आते देख डर के मारे ढबढब ने रेंकना शुरू कर दिया। वहीं बाकू को वह हरा-भरा मोटा-ताजा अमरूद किसी स्वर्ग की मिठाई जैसा दिखने लगा। बाकू विकेट छोड़ उसे खाने दौड़ा। एक तरफ का विकेट एकदम खाली हो चुका था। बाकू को आउट करने का अच्छा मौका था।

टिल्लू जोर से खी खी खी करके अपने साथियों को फील्डिंग के लिए कहने लगा। अमरूद कुछ ज्यादा ही तेज चला गया। विकेट के पीछे खड़े भूख से तड़प रहे बलबल बंदर का मुंह उस अमरूद के लिए अपने आप ही खुल गया और वह सीधा पहुंचा उसके पेट में। टिल्लू बंदर ने यह देखा तो उसने चतुराई दिखाते हुए  चिंपांजी दादा से आउट की अपील की।

चिंपांजी दादा को उसी समय खुजली हुई। उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाया और पसली के पास दूसरे हाथ से लगे खुजाने। सबको लगा कि उन्होंने नो बॉल का सिग्नल दिया। जब बाकू ने देखा कि अमरूद बलबल खा गया है तो वह गुस्से से लाल हो गया। सिर झुकाकर सींग आगे निकाले विकेट को फोड़ते हुए उसने बलबल को एक जोरदार टक्कर मारी। यह देख टिल्लू अपने साथियों को लेकर बाकू और ढबढब की पिटाई करने पिच पर पहुंच गया।

अब कौवा काका को आया गुस्सा। उन्होंने सारे विकेट्स पर रखी गन्ने की गिल्लियां चोंच में दबाईं और आंख दिखाते हुए उड़ चले। कमेंट्री के लिए बैठे गूगल कबूतर ने जैसे ही झगड़ा बढ़ते देखा, आंखें मींच लीं और अपनी गर्दन पेट में घुसा कर सो गया।

चुनचुन चिड़िया चिंपांजी दादा के कान में जोर-जोर से चींचीं करके  उनके आलस पर चिल्लाने लगी। रॉकी डॉगी तब से टिल्लू को गरगराते हुए पूरे मैदान में दौड़ा रहा था।  उधर उछलसिंह खरगोश उछलता हुआ सीधे मास्टर जी के घर पहुंच गया। मास्टर जी का लंच खत्म हो गया था, वे आ ही रहे थे। जैसे ही वह वापस स्कूल पहुंचे, माहौल ऐसा बन चुका था मानो मैदान में कुछ हुआ ही ना हो।

सब अपनी-अपनी क्लास में थे। बस मास्टर जी की समझ नहीं आ रहा था कि बलबल की आंख और गाल मोटे क्यों लग रहे हैं। चिंपांजी दादा कानों में रुई क्यों लगाए हैं। रॉकी डॉगी थका क्यों लग रहा है। बाकू के बाल उजड़ क्यों गए हैं। उनकी समझ तो नहीं आया। पर तुम तो समझ गए न! 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें