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ठीक नहीं हैं सोशल मीडिया से बच्चों की ज़्यादा दोस्ती: सर्वे

सोशल मीडिया से बच्चों के पढ़ने की आदत कम हो रही है। गर्मियों की छुट्टिय़ों में मनोरंजक पुस्तकें पढ़कर अपना समय बीताने की जगह बच्चे अब सोशल नेटवर्किग साइट्स पर चैट करना अधिक पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों...

ठीक नहीं हैं सोशल मीडिया से बच्चों की ज़्यादा दोस्ती: सर्वे
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Jun 2016 11:36 AM
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सोशल मीडिया से बच्चों के पढ़ने की आदत कम हो रही है। गर्मियों की छुट्टिय़ों में मनोरंजक पुस्तकें पढ़कर अपना समय बीताने की जगह बच्चे अब सोशल नेटवर्किग साइट्स पर चैट करना अधिक पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किताबें न पढ़ने की वजह से बच्चों की रचनात्मकता और कल्पनाशीलता में कमी आ रही है जो उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं। 

फोर्टिस अस्पताल के मनोरोग विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिल्ली के 1350 बच्चों को शामिल किया गया। इसमें उनकी सामान्य दिनचर्या में सोशल साइट्स के प्रभाव संबंधी 20 बिंदुओं पर प्रश्न किया गया। अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख और अध्ययन के प्रमुख डॉ. समीर पारिख ने बताया कि ज्ञान अजिर्त करने के लिए बच्चों की सोशल साइट्स पर निर्भरता बढ़ी है।

कुछ मामलों में इसे अच्छी आदत कहा जा सकता है, लेकिन लगातार किताबों से दूरी बच्चों की कल्पनाशीलता को कम कर रही है।अध्ययन में यह भी देखा गया कि बच्चे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर अपनी उम्र छिपा कर आईडी बना रहे हैं। सर्वेक्षण में 14 से 17 साल की उम्र तक के बच्चों से सोशल मीडिया संबंधी उनकी आदतों के बारे में जानकारी हासिल की गई। इस दौरान यह भी देखा गया कि 40 प्रतिशत बच्चे 17 साल की उम्र से पहले ही स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

जानकारी एकत्र करने के प्रति छात्रों की जिज्ञासा बढ़ी है, लेकिन इसके लिए वह शत प्रतिशत सोशल साइट्स पर ही निर्भर है। किताबें पढ़ने या कहानी सुनते समय विचारों में एक तरह की आभासी दुनिया बनती है जो रचनात्कता को बढ़ाती है। संचार के नए माध्यमों से यह कम हो रही है। - डॉ. समीर पारिख, मनोचिकित्सक, फोर्टिस अस्पताल

अध्ययन के परिणाम

  • 74 प्रतिशत छात्र मानते हैं सोशल साइट्स सूचना एकत्र करने का बेहतर मंच है
  • 76 प्रतिशत ने माना की उनकी पढ़ने की आदत कम हुई है
  • 24 प्रतिशत हफ्ते में एक बार पसंदीदा किताब पढ़ते हैं
  • 72 प्रतिशत ने माना कि सेलिब्रिटी की दिनचर्या को वह आम जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं
  • 85 फीसदी ने माना कि उनके दोस्त सोशल साइट्स पर थे, इस कारण उन्होंने भी इस मंच पर आना पसंद किया
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