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नर्सरी एडमिशनः दिल्ली सरकार को झटका, स्कूलों की मर्जी से होगा दाखिला 

सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों में होने वाले दाखिले में सरकार की मर्जी नहीं चलेगी। हाई कोर्ट ने दाखिले के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश पर रोक लगाने के एकल पीठ के फैसले को बहाल रखा...

नर्सरी एडमिशनः दिल्ली सरकार को झटका, स्कूलों की मर्जी से होगा दाखिला 
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Feb 2017 01:35 PM
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सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों में होने वाले दाखिले में सरकार की मर्जी नहीं चलेगी। हाई कोर्ट ने दाखिले के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश पर रोक लगाने के एकल पीठ के फैसले को बहाल रखा है। 
एकल पीठ ने सरकार द्वारा इन स्कूलों में दाखिले के लिए 7 जनवरी को जारी दिशा निर्देश पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ सरकार ने अपील दाखिल की थी।

दिशा-निर्देश के तहत हाईकोर्ट ने गत बुधवार को इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।  चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस एस.डी. सहगल की पीठ ने सोमवार को सरकार की अपील को ख़ारिज कर दिया। पीठ के समक्ष सरकार ने एकल पीठ द्वारा दाखिला नीति पर रोक लगाने के निर्णय को कार्यपालिका के कामकाज में दखल बताया था।

सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि नीति बनाना कार्यपालिका (सरकार) का काम है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का काम सिर्फ यह देखना है कि नीति बनाने में तय प्रक्रियाओं का पालन किया गया है या नहीं। जैन ने कहा कि कौन सी नीति अच्छी होगी यह देखना सरकार का काम है, न कि न्यायपालिका का। उन्होंने एकल पीठ के आदेश को कार्यपालिका के कामकाज में दखल बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की। 

सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि एकल पीठ ने उन पहलुओं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया जो उनके पक्ष में था। साथ ही एकल पीठ के फैसलों को दोषपूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। सरकार ने पीठ को बताया कि नेबरहुड (घर से स्कूल की दूरी) नीति के बगैर स्कूलों को दाखिला देने की छूट देने से वे मनमानी करेंगे और अभिभावकों से फीस के नाम पर वसूली करेंगे। 

जैन ने कहा कि एकल पीठ यह समझने में पूरी तरह से विफल रहे हैं कि नेबरहुड नीति बच्चों के हित में है और इससे उनका विकास होगा। साथ ही कहा कि इससे स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम लगेगा। सरकार ने कहा कि स्कूलों को भूमि आवंटन की शर्तों को पालन करना ही होगा। सरकार ने 14 फरवरी के एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी है। इस मामले में सरकार के दाखिला नीति समर्थन में गैर सरकारी संगठन की ओर से अधिवक्ता खगेशा झा ने पीठ को बताया कि जिस प्रकार से स्कूलों को उनके द्वारा तय दिशा निर्देशों पर बच्चों को दाखिला देने की छूट दी गई है, इससे वे अपनी मनमर्जी करेंगे।

सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों में दाखिले के लिए केजरीवाल सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए हाईकोर्ट के एकल पीठ ने 14 फरवरी को रोक लगा दी थी। 

स्कूलों का पक्ष 

स्कूलों ने एकल पीठ के फैसले को सही बताया हुए हाईकोर्ट में सरकार के फैसले को मनमाना बताया। स्कूलों ने कहा कि नेबरहुड नीति को लागू करने के लिए 7 जनवरी को सरकार द्वारा न सिर्फ उनके स्वायत्तता पर हमला है बल्कि दाखिले के लिए बच्चे चनने के उनके मौलिक अधिकारों के खिलाफ भी है। 
 

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