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छह दशक में 60 गुना हुई सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या

1947 में देश को आजादी तो मिल गई थी, लेकिन उसके साथ ढेर सारी समस्याएं भी देश की झोली में आ गईं। बेरोजगारी, सुस्त आर्थिक विकास, कमजोर औद्योगिक आधार, निवेश की कमी और बुनियादी ढांचे के अभाव जैसी...

छह दशक में 60 गुना हुई सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 02 Jun 2018 11:41 AM
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1947 में देश को आजादी तो मिल गई थी, लेकिन उसके साथ ढेर सारी समस्याएं भी देश की झोली में आ गईं।

बेरोजगारी, सुस्त आर्थिक विकास, कमजोर औद्योगिक आधार, निवेश की कमी और बुनियादी ढांचे के अभाव जैसी समस्याएं मुंह बाए खड़ी थी। सरकारी मशीनरी के रूप में रेलवे और डाक विभाग ही मौजूद थे। ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्र का ढांचा तैयार करना जरूरी था। इसी क्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की नींव रखी गई। इन्हीं की बदौलत भारत के औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखी गई। इनके योगदान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक दौर में पीएसयू को आधुनिक भारत का ‘मंदिर’ भी कहा गया। 

पांच उपक्रमों से हुई शुरुआत
1951 में पहली पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत करीब 29 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पांच पीएसयू स्थापित किए गए। दस साल में ही पीएसयू की संख्या बढ़कर 47 हो गई। वर्ष 2016 की बात करें तो देश में 300 से ज्यादा पीएसयू कार्यरत हैं, जिसका परिसंपत्ति कुल 12 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। करीब 14 लाख लोगों को इनके माध्यम से रोजगार मिला है। पेट्रोलियम, खनन, बिजली उत्पादन, बिजली संप्रेषण, परमाणु ऊर्जा, भारी इंजीनियरिंग और विमानन जैसे क्षेत्रों में इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भूमिका ज्यादा रही है। आगे चलकर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड सबसे ज्यादा सकल कारोबार करने वाली कंपनी, ओएनजीसी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी और कोल इंडिया लिमिटेड सबसे ज्यादा पूंजीकरण वाली कंपनी बनी। 

बढ़ता गया निवेश

पीएसयू के लिए 2010 में बनी महारत्नों की श्रेणी
सरकार ने वर्ष 2010 में पीएसयू के लिए महारत्नों की श्रेणी बनाई। इस श्रेणी के पीएसयू को 5 हजार करोड़ रुपये तक या उनकी नेटवर्थ के 15 फीसदी तक के निवेश पर स्वयं फैसला करने का अधिकार दिया गया। नवरत्नों को एक हजार करोड़ रुपये तक के निवेश पपर निर्णय की अनुमति थी।  

42 पीएसयू की बढ़ोतरी हुई 1951 से 1961 के बीच के शुरुआती दस साल में। 
12 लाख 91 हजार कर्मचारी वर्ष 2014-15 में पीएसयू से जुड़े हुए थे भारत में। 
320 कुल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम थे देश में 31 मार्च, 2016 तक।

ये तस्वीर 31 अक्तूबर 2016 को वाराणसी में ऊर्जा गंगा गैस परियोजना के शिलान्यास कार्यक्रम की है। गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की इस परियोजना के तहत गैस उत्तर प्रदेश से ओडिशा तक 2540 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जानी है। इसके तहत वाराणसी, पटना, जमशेदपुर, कोलकाता, रांची, भुवनेश्वर और कटक जैसे सात मुख्य शहरों को गैस आपूर्ति की जाएगी। 

133 फीसदी बढ़ा गेल इंडिया का मुनाफा 
अगस्त 1984 में स्थापित गेल इंडिया लिमिटेड आज देश के प्रमुख नवरत्न उपक्रमों में से एक है। बहुत ही कम समय में कंपनी ने तेजी से विकास किया। 2016-17 वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में कंपनी का मुनाफा 133 फीसदी  बढ़ोतरी के साथ 3243 करोड़ रुपये रहा। 

सफलता की सीढ़ियां
46% शुद्ध लाभ बढ़ा गेल इंडिया का 2016-17 की तीसरी तिमाही में 

983 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया अक्तूबर-दिसंबर में 

पिछले साल इसी दौरान 676 करोड़ का लाभ कमाया था। 

1984 में की शुरुआत
वर्ष 1984 में 1700 करोड़ रुपये के 1800 किलोमीटर लंबे हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन प्रोजेक्ट के साथ गेल इंडिया ने शुरुआत की थी। 
वित्त वर्ष 2015-16 के शुरुआती नौ महीने में गेल इंडिया का शुद्ध मुनाफा 1394 करोड़ रुपये था। 

विशिष्ट अतिथि

धर्मेंद्र प्रधान : दो करोड़ को मुफ्त गैस कनेक्शन

केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान 12 अप्रैल को होने वाले हिन्दुस्तान रत्न पीएसयू अवॉर्ड कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि होंगे। उनके कार्यकाल में पेट्रोलियम व गैस से जुड़े पीएसयू ने सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी प्रसार किया। इतिहास और राजनीति पर किताबें पढ़ने के शौकीन प्रधान के कार्यकाल में पेट्रोलियम सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। महिलाओं के लिए मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन की ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत दो करोड़ से ज्यादा कनेक्शन बांटे गए हैं। प्रधान के कार्यकाल में सीएनजी के विपणन अधिकार देने के लिए सीएनजी केंद्रों की स्थापना की गई। इसके अलावा घरेलू गैस के उपयोग के लिए समान दिशानिर्देश, पाइपलाइन शुल्क नीति जैसी पहल की गई। 

पर्यावरण का भी पूरा ख्याल
देश में 33.27 लाख परिवार वर्तमान में स्वच्छ रसोई ईंधन के तौर पर पीएनजी का इस्तेमाल कर रहे। 
देश में 27.5 लाख वाहन सीएनजी से चलते हैं।
पीएसयू के 112 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो 100 करोड़ रुपये से ऊपर के हैं। तेल व गैस सेक्टर में निवेश 2 लाख करीब 10 हजार करोड़ का है। 

प्रगति की मिसाल

ओएनजीसी
1955 में तेल,गैस उत्खनन के लिए ऑयल एंड नेचुरल गैस निदेशालय बना। 70 के दशक में बांबे हाई में पांच अरब टन हाइड्रोकार्बन खोजा गया। आज ओएनजीसी देश में 72 % कच्चे तेल,48 % प्राकृतिक गैस का उत्पादन करता है। 

सेल
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) देश की सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी और देश के 7 महारत्नों में एक है। 2015-16 में 1.57 करोड़ टन स्टील उत्पादन के साथ कंपनी का टर्नओवर 44 हजार करोड़ रुपये रहा। 

इंडियन ऑयल
इंडियन ऑयल कारपोरेशन चार लाख करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ देश का सबसे बड़ा उपक्रम है। 2015-16 में इसका लाभ 10 हजार 399 करोड़ रुपये रहा। शीर्ष 500 वैश्विक कंपनियों में इंडियन ऑयल का 161वां स्थान है। 

भारत पेट्रोलियम
1889 से बर्मा शेल कंपनी नाम से वजूद में रही यह कंपनी1976 में भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन बनी। यह देश के नवरत्नों में एक है। आज इसका टर्नओवर 2 लाख 40 हजार करोड़ रुपये मुनाफा पांच हजार करोड़ से ज्यादा है।

देश की अर्थव्यवस्था को विकास के पंख लगा रहे पीएसयू

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