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हिन्दुस्तान रत्न अवॉर्ड-भारत 10 साल में आर्थिक महाशक्ति बनेगा : गडकरी

केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे आर्थिक एवं प्रशासनिक सुधारों से भारत अगले दस सालों में आर्थिक महाशक्ति बनेगा। केंद्रीय राजमार्ग, परिवहन एवं पोत मंत्री नितिन गडकरी ने 'हिन्दुस्तान' की तरफ से...

हिन्दुस्तान रत्न अवॉर्ड-भारत 10 साल में आर्थिक महाशक्ति बनेगा : गडकरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 02 Jun 2018 11:44 AM
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केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे आर्थिक एवं प्रशासनिक सुधारों से भारत अगले दस सालों में आर्थिक महाशक्ति बनेगा। केंद्रीय राजमार्ग, परिवहन एवं पोत मंत्री नितिन गडकरी ने 'हिन्दुस्तान' की तरफ से बुधवार को आयोजित 'हिन्दुस्तान रत्न पीएसयू अवॉर्ड-2017' में यह बात कही। 

उन्होंने अपने संबोधन में सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को अच्छे कार्य के लिए सम्मानित किए जाने की 'हिन्दुस्तान' की पहल का स्वागत किया। साथ ही कहा कि एक तरफ जहां केंद्र सरकार कानूनों में बदलाव कर प्रशासनिक सुधार कर रही है, वहीं डिजिटल लेनदेन, नोटबंदी, जीएसटी लागू होने से अर्थव्यवस्था में अहम बदलाव आएंगे। इससे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी। 

दूसरी ओर, ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम सिर्फ मुनाफे के लिए कार्य नहीं करते। इन्हें जनता और देश की जरूरतों को भी ध्यान में रखना होता है। गोयल ने उदाहरण देकर कहा कि कुछ साल पहले तक देश में कोयले की कमी थी, लेकिन आज हमारे पीएसयू इतना कोयला उत्पादन कर रहे हैं कि भंडारण के लिए जगह नहीं बची है। सरकार को उत्पादन कम करने के लिए कहना पड़ रहा। स्थिति यह है कि यदि एक महीने उत्पादन बंद भी कर दें तो भी पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। 

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सार्वजनिक उपकरण वास्तव में कॉरपोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का निर्वहन कर रहे हैं। इसलिए उनके प्रयासों को सम्मानित करना एक अच्छा कदम है। उन्होंने निजी संस्थानों से भी आह्वान किया कि वे सीएसआर गतिविधियों के लिए आगे आएं। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि जब भी देश में प्राकृतिक आपदाएं या कोई आपात स्थिति आती है तो सार्वजनिक उपक्रम सबसे पहले लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। पीएसयू नफा-नुकसान को देखे बगैर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं। इसलिए एक तरफ जहां उनके सामने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने की चुनौती है, वहीं बाजार में बने रहने के लिए उन्हें निजी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी झेलनी पड़ रही है।

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