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जन्माष्टमी पर 42 वर्षों बाद बन रहा है ये महासंयोग

इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भद्र और गजकेशरी योग में पड़ रही है। भगवान श्रीकृष्ण के सबसे बड़े भक्त शनि महाराज के दिन शनिवार को मध्य रात्रि में भगवान का जन्म हो रहा है।   खास बात यह है कि किसी...

जन्माष्टमी पर 42 वर्षों बाद बन रहा है ये महासंयोग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 05 Sep 2015 12:45 AM
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इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भद्र और गजकेशरी योग में पड़ रही है। भगवान श्रीकृष्ण के सबसे बड़े भक्त शनि महाराज के दिन शनिवार को मध्य रात्रि में भगवान का जन्म हो रहा है।
 
खास बात यह है कि किसी भी मनोकामना पूर्ति के लिए शनिवार और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का संयोग पर्याप्त है। 5 सितंबर की मध्यरात्रि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का महासंयोग है।


ज्योतिषाचार्य डॉ. सुधानंद झा बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय के सारे योग इस बार पड़ रहे हैं। उस समय की तरह इस बार भी रोहिणी नक्षत्र चल रहा है। ऐसा सुंदर संयोग 42 वर्षों के बाद आया है। 5 सितंबर शनिवार को सुबह नौ बजे के बाद प्रारंभ हो रही अष्टमी तिथि 6 सितंबर सुबह 7:35 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र शनिवार सुबह 6:15 बजे से है।

संसार का उद्धार करने वाले जन्म लेते हैं इस योग में

श्रीकृष्ण जन्म के समय सूर्य अपनी सिंह राशि में ज्ञान के देवता बृहस्पति के साथ रहेंगे। बुध राहु के साथ कन्या राशि में तथा शुक्र और मंगल एक साथ कर्क राशि में रहेंगे। मिथुन लग्न भगवान का जन्म होगा। भद्र और गजकेशरी योग में जन्म लेने वाला भगवान के जैसा संसार का उद्धार करनेवाला होगा।

मां दुर्गा की पूजा

आचार्य सुधानंद झा बताते हैं कि जिस रात देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस रात माता यशोदा के गर्भ से दुर्गा जी का जन्म हुआ था। माता दुर्गा की पूजा के बिना जन्माष्टमी पूजा अधूरी है। काला और नीला वस्त्र पहनकर कभी भगवान की पूजा न करें।
 

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