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VIDEO: जाटों ने दी दिल्ली को ठप करने की धमकी, 20 को बंद करेंगे हाईवे

देश भर से हजारों की संख्या में जुटे जाटों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने धमकी दी कि आरक्षण समेत अन्य मांगें नहीं मानी गईं तो होली के बाद असहयोग आंदोलन...

VIDEO: जाटों ने दी दिल्ली को ठप करने की धमकी, 20 को बंद करेंगे हाईवे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 03 Mar 2017 11:28 AM
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देश भर से हजारों की संख्या में जुटे जाटों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने धमकी दी कि आरक्षण समेत अन्य मांगें नहीं मानी गईं तो होली के बाद असहयोग आंदोलन करेंगे और दिल्ली में दूध समेत जरूरी सामान की आपूर्ति ठप कर देंगे। दिल्ली आने वाले सभी हाईवे 20 मार्च को बंद कर देंगे। यह ऐलान अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने किया। 

उन्होंने जाटों से आह्वान किया है कि वे 20 मार्च को अपने इलाके के आंदोलन को महिलाओं के जिम्मे कर दिल्ली कूच कर जाएं। अपने ट्रैक्टर, ट्रॉली और ट्रक में खाने-पीने का सामान लेकर आएं। अगर इस दौरान रास्ते में उन्हें कोई रोकता है तो वहीं एनएच पर धरने पर बैठ जाएं। दिल्ली आने वाले सभी रास्तों से आंदोलनकारी दिल्ली पहुंचें। 

हरियाणा सरकार ने जाटों को छला

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिक ने कहा कि हरियाणा सरकार ने जाट समुदाय को छला है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 22 फरवरी, 18 मार्च और 18 जून को तीन समझौते हुए लेकिन हरियाणा सरकार ने उसे लागू नहीं किया। इससे जाट समुदाय खुद को ठगा महसूस कर रहा है। इसी विरोध में इस वर्ष 29 जनवरी से हरियाणा के 20 जिलों में 25 से अधिक बेमियादी धरने अभी भी जारी हैं। इसके बावजूद राज्य और केंद्र सरकार धरने पर विशेष ध्यान नहीं दे रही है,इसलिए दिल्ली आकर अपनी ताकत का एहसास कराना पड़ा। 

इसके साथ ही हरियाणा में 1 मार्च से असहयोग आंदोलन छेड़ा गया है। आंदोलन के तहत, बिजली, पानी, सरकारी देनदारी को नहीं चुकाया जाएगा। उन दुकानों/व्यापारिक प्रतिष्ठानों से खरीदारी नहीं करेंगे, जो जाटों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं हैं। आंदोलनकारी और दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी नाथमल ने कहा कि हद होती है सहन करने की। 30 दिन से जाट आंदोलन कर रहे हैं, कहीं सुनवाई नहीं हो रही। किसान के तौर पर जाट कितनी मुसीबत ङोल रहा है। किसानी कर रहे जाटों की फसल जब मंडी में जाती है तो किराया भाड़ा से लेकर आढ़त, दलाली, तोड़ाई, झोराई वगैरह तक का उसे खर्च देना होता है। किसानी के लिए डीजल-पेट्रोल, सिंचाई सब महंगे हैं।

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