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बोले पीएमः सुधारों के लिए मुझमें थोड़ी ज्यादा ही राजनीतिक इच्छाशक्ति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए शुक्रवार को सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन में नौकरशाहों को सम्मानित किया। इस मौके पर...

बोले पीएमः सुधारों के लिए मुझमें थोड़ी ज्यादा ही राजनीतिक इच्छाशक्ति
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Apr 2017 05:38 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए शुक्रवार को सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन में नौकरशाहों को सम्मानित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे अफसरों की जिम्मेदारियों के बारे में पता है। यह प्रतियोगिता का दौर है इसलिए चुनौतियां भी ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव बोझ नहीं बनना चाहिए। अफसरों को गृहणियों से काफी कुछ सीखने की जरुरत है, वह किस तरह परेशानियों के बावजूद सभी चीजों को मैनेज करती हैं। गृहिणी परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है, वही जिम्मेदारी आपकी भी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जोर देकर कहा है कि सुधारों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी उनमें नहीं है। उन्होंने लोकसेवकों से कहा है कि वे आपस में समन्वय बढ़ाते हुए और एकसाथ मिलकर काम करें एवं बदलाव लाएं। लोकसेवा दिवस के अवसर पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ हटकर सोचा जाए और सरकार एक नियामक की जगह सक्षम बनाने वाली इकाई के तौर पर सामने आए। 

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उन्होंने कहा, राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है लेकिन अफसरशाही का काम और जनता की भागीदारी बदलाव ला सकती है। हमें इन सबको एकसाथ लाना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है। मुझमें इसकी कमी नहीं है बल्कि थोड़ी ज्यादा ही है।

मोदी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनका अनुभव एक बोझ बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अफसरशाही में पदक्रम एक समस्या है, जो कि औपनिवेशिक शासकों से आई है और उसे मसूरी (जहां लोकसेवा अकादमी स्थित है) में छोड़कर नहीं आया जाता। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की भूमिका बहुत प्रबल है लेकिन पिछले 15 साल में चीजें बदल गई हैं। उन्होंने लोकसेवकों से जनता तक पहुंचकर उसके कल्याण के लिए सोशल मीडिया, ई-गवर्नेंस और  मोबाइल गवर्नेंस का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा।

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पीएम ने कहा कि सबसे मेधावी छात्र आईएएस बनते हैं, काम भी उसी हिसाब से होना चाहिए। अब लोग निजी अस्पतालों की तुलना सरकारी अस्पतालों से करते हैं। अगर काम करने के तरीके को बदलेंगे तो चुनौती भी अवसर में बदल जाएगी। यह प्रतियोगिता का दौर है इसलिए चुनौती भी ज्यादा बड़ी है। समर्पण भाव से काम करना चाहिए, नाम कमाने की इच्छा न होना ही सबसे बड़ी ताकत है। अच्छे काम के लिए टीम वर्क जरूरी है। ताकत का सही इस्तेमाल पता होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि अगले एक साल में काम की क्वालिटी में बदलाव हो, सिर्फ सर्वश्रेष्ठ होने से काम नहीं चलता है। अगर सर्वश्रेष्ठ होने का ठप्पा आप पर लगा है तो उसे आदत बनाना जरुरी है। अफसरों को गृहणियों से काफी कुछ सीखने की जरुरत है, वह किस तरह परेशानियों के बावजूद सभी चीजों को मैनेज करती हैं। गृहिणी परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है, वही जिम्मेदारी आपकी भी है। वरीयता क्रम का बोझ अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है, हमें अपने अनुभव को बोझ नहीं बनने देना चाहिए।

सबसे बड़ी ताकत है। अच्छे काम के लिए टीम वर्क जरूरी है। ताकत का सही इस्तेमाल पता होना चाहिए।

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