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कश्मीर हिंसाः केंद्र सरकार की दो टूक, अलगाववादियों से नहीं होगी बात

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के संकट को सुलझाने के लिये वहां के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से वार्ता के लिये तैयार है परंतु अलगाववादियों के साथ...

कश्मीर हिंसाः केंद्र सरकार की दो टूक, अलगाववादियों से नहीं होगी बात
एजेंसीFri, 28 Apr 2017 09:41 PM
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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के संकट को सुलझाने के लिये वहां के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से वार्ता के लिये तैयार है परंतु अलगाववादियों के साथ नहीं।

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार वार्ता की मेज पर तभी आयेगी जब मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल इसमें शिरकत करेंगे न कि अलगाववादी तत्व।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष यह दावा किया गया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के इस दावे को खारिज किया कि केन्द्र संकट को न सुलझाने के इरादे से वार्ता के लिये आगे नहीं आ रहा है।

रोहतगी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री के बीच बैठक हुयी थी, जिसमें मौजूदा हालात पर चर्चा हुयी थी।

पीठ ने बार एसोसिएशन से कहा कि पत्थरबाजी और कश्मीर घाटी में सड़कों पर हिंसक आन्दोलन सहित इस संकट को हल करने के बारे में वह अपने सुझाव पेश करे।

शीर्ष अदालत ने बार से यह भी स्पष्ट किया कि उसे इसके सभी पक्षकारों से बातचीत के बाद अपने सुझाव देने होंगे और वह यह कहकर नहीं बच सकती कि वह कश्मीर में सभी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है।

न्यायालय ने कहा कि एक सकारात्मक पहल शुरू करने की आवश्यकता है और बार जैसी संस्था घाटी में स्थिति सामान्य करने के लिये एक योजना पेश करके इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। पीठ ने केन्द्र को भी स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय इस मामले में खुद को तभी शामिल करेगा जब ऐसा लगता हो कि वह एक भूमिका निभा सकता है और इसमें अधिकार क्षेत्र का कोई मुद्दा नहीं हो। 

न्यायालय ने अटार्नी जनरल से कहा, यदि आपको लगता है कि न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है या आपको लगता है कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो हम इसी क्षण इस फाइल को बंद कर देंगे। पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब सुनवाई के अंतिम क्षणों में अटार्नी जनरल ने बार द्वारा दिये गये कुछ सुक्षावों पर आपत्ति की। इसमें अलगाववादियों को नजरअंदाज किया जाना भी शामिल है।

पीठ ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को संयुक्त कदम उठाना चाहिए परंतु पहला कदम तो वकीलों की संस्था की ओर से ही आना चाहिए जो शीर्ष न्यायालय आयी है।

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पीठ ने इस मामले की सुनवाई नौ मई के लिये स्थगित करते हुये यह भी कहा कि वह इस तथ्य से परिचित है कि कश्मीर घाटी में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

शीर्ष अदालत जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की अपील पर सुनवाई कर रही थी। बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुये घाटी में पत्थरबाजों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।

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