सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
छत्तीसगढ़ के सुकमा में बीती रात हुए नक्सली हमले में देश के 25 जवान शहीद हुए, जिसमें से 6 जवान बिहार की धरती से हैं और दो यूपी के बेटे हैं। बिहार के विभिन्न जिलों के रहने वाले शहीद जवान
छत्तीसगढ़ के सुकमा में बीती रात हुए नक्सली हमले में देश के 25 जवान शहीद हुए, जिसमें से 6 जवान बिहार की धरती से हैं और दो यूपी के बेटे हैं। बिहार के विभिन्न जिलों के रहने वाले शहीद जवानों के घर में मातम पसरा हुआ है। सुकमा हमले से पूरे देश में गुस्सा है। नक्सलियों ने पहले छोटे-छोटे दल बनाए और हमले की शुरुआत की। इसके बाद नक्सलियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें 25 जवान शहीद हुए और 7 घायल हो गए।
इन शहीदों में बिहार के वैशाली जिले के अभय कुमार, भोजपुर के अभय मिश्रा, दानापुर के सौरभ कुमार, दरभंगा के नरेश यादव, अरवल के रंजीत यादव और रोहतास के रहने वाले के. के. पांडेय शामिल हैं। घटना की खबर सुनते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमले में शहीद हुए छह जवानों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने के आदेश दिए हैं। वहीं, शहीदों के आश्रित को 5-5 लाख रुपए की देने की घोषणा की गई है। सीएम ने घटना पर शोक जताते हुए कहा कि इनकी शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा। लाइव हिन्दुस्तान आपको लिए चलता है शहीदों के उन घरों में, उन परिवार वालों के पास जिन्होंने अपना बेटा, पति, भाई और पिता खोया है।
सुकमा खुलासा:300 नक्सलियों का 3 घंटे सामना कर जवानों ने बचाई 38 जानें
आगे की स्लाइड्स में देखें परिवार का दर्द
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
28 मई को आने वाला था घर
छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए रक्तरंजित नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 25 जवानों में एक जवान रंजीत कुमार शेखपुरा जिले के अरियरी थाना क्षेत्र के फूलचोढ़ गांव के रहने वाले थे। दो दिन पहले शनिवार की शाम तकरीब सात बजे रंजीत ने फोन कर पत्नी और माता-पिता से ढेर सारी बातें की थी। घर का हाल-चाल भी पूछा था। पत्नी सुनीता देवी से बातचीत के दौरान कहा था कि वे 28 मई को छुट्टी लेकर घर आ रहे हैं।
इससे पहले इसी दिन साढ़े चार बजे उन्होंने अपने गांव के मित्र रवीन्द्र कुमार से भी बात की थी। 28 मई को गांव में यज्ञ होना था, जिसका उद्घाटन उन्हीं को करने के लिए कहा गया था। बातचीत में रंजीत ने अपने दोस्त को वादा किया था कि वे कार्यक्रम में जरूर शामिल होंगे। रंजीत तो घर नहीं लौटे, लेकिन उनके शहीद होने की खबर घर वालों व उनके दोस्तों को जरूर मिल गयी। परिजन को यकीन नहीं हो रहा है कि रंजीत का पार्थिव शरीर घर आ रहा है। गांव के लोग भी इस घटना से काफी मर्माहत हैं।
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
आठ भाई-बहनों के सिर से उठा साया
शहीद हुए भोपा थाना क्षेत्र के गांव निरगाजनी के मनोज के शहीद होने की खबर गांव में आते ही कोहराम मच गया। आठ भाई बहनों में शहीद मनोज तीसरे नंबर पर था। उसकी मां राजेश देवी ने रोते रोते बताया कि पहले उनके पति कर्मचंद की दबंगो ने हत्या कर दी थी। बेटे मनोज की सीआरपीएफ में नौकरी से पति की मौत का गम भूल गई थी अब नक्सलियों ने जीवन भर का गम दे दिया। सरकार नक्सलियों को मारकर शहीदो की शहादत को सलाम करें
होली पर उसका बेटा घर छुट्टी आया और मकान मे काफी काम कराया। वापस जाते समय मां से कहा कि देश सेवा को जा रहा हूं, भाई बहनो का ध्यान रखना, वापस आकर फिर से घर मे काम करवाऊंगा।
पिछले सप्ताह ही उसने फोन पर मां का हाल पूछा था। मनोज के बडे दो भाई मजदूरी करते हैं जबकि छोटा भाई पुलिस में है। छोटी बहन आरजू एमए की छात्रा है। छोटा भाई अंकित कक्षा 10 में और छोटी दो जुडवा बहन पलक और पायल कक्षा तीन में गांव में ही पढ़ रहीं हैं। शहीद मनोज अपने वेतन का अधिकांश भाई बहनों की अच्छी पढाई के लिए करता था। गांव में कोहराम के बीच परिजनों को शहीद का शव गांव में पहुंचने का इंतजार है।
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
शादी को हुए थे एक साल, मां से एक महीने पहले हुई थी दो मिनट बात
वैशाली के जंदाहा प्रखंड के लोम गांव निवासी सीआरपीएफ जवान अभय कुमार के शहीद होने की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया है। बतादें कि अभय की शादी पिछले साल ही हुई थी। नक्सली हमले में सीआरपीएफ के जवान अभय की छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 जवानों के साथ शहीद हुए हैं। शाहिद अभय की वर्ष 2010 में CRPF में नौकरी लगी थी।
1 अप्रैल को छुट्टी समाप्त कर ड्यूटी पर लौते थे। इस दौरान गांव में उन्होंने गृह प्रवेश भी किया। गांव के लोगों से वादा किया था कि अगली बार जब हम छुट्टी पर आएंगे तो सबको भोज देंगे। उनकी शादी एक वर्ष पहले हुई थी। पत्नी तान्या, मा रामा देवी, पिता मिथिलेश चौधरी के रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में मातम छाया हुआ है।
अभय की बात अपनी मां से दस रोज पहले अंतिम बार हुई थी। मां को अभय ने प्रणाम किया था। मां अभी समाचार पूछ ही रही थी कि बेटे के पास का नेटर्वक खराब रहने के कारण फोन कट गया। मां ने दोबारा फोन लगवाने का पूरा प्रयास किया पर बात नहीं हो सकी। मां को पूरा मलाल है कि वह अपने बेटे से हाल- चाल भी नहीं पूछ पायी। मां केवल यही कह कह कर, रोती-रोती बेसुध हो जा रही है कि बबुआ से हमार बातो ना भइल हो दादा।
डेढ़ माह पहले भी अभय को जांघ में लगी थी गोली पर बच गई थी जान
अभय को मुठभेड़ के दौरान डेढ़ माह पहले जांघ में गोली लगी थी। उन्हें रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। छह टाके उन्हें पड़े थे। तब भी उन्हें घर आने की छट्टी नहीं मिली थी, जिससे परिजनों में आक्रोश है।यह बात शहीद के छोटे भाई अमित मिश्रा बताते हुए फफक कर रो पड़ते हैं। कहते हैं कि अक्सर नेटवर्क खराब रहने के कारण 20-25 दिन पर बात होती थी।
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
भोजपुर के अभय मिश्रा भी हुए शहीद
वहीं भोजपुर के जगदीशपुर ब्लॉक के तुलसी गांव के शहीद अभय मिश्रा छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हो गए हैं। शहीद अभय मिथलेश चौधरी के पुत्र थे, जो इस हमले में शहीद हो गए। शहीद के पिता ने कहा कि शहीद अभय घर में अपने लोगों के साथ लड़ाई में शहीद हो गया, यही दुख का कारण है। यदि वह दूसरे देश के साथ लड़ाई में शहीद होता तो इतना अधिक दुख नहीं होता।
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...
कमा में शहीद हुए किशन पाल के परिजन शोक में डूबे हुए हैं। परिजनों को इस बात का भी गर्भ है वह देश की सेवा के लिए शहीद हुआ है। शहीद के भाई ने नक्सलियों के खिलाफ कडे़ कमद उठाए जाने की मांग की है। थाना जैथरा क्षेत्र के नगला डांडी निवासी के भाई देवेंद्र ने बताया कि सोमवार की देररात्रि को पुलिस के माध्यम से सूचना मिली कि भाई नक्सली हमलें में शहीद हो गया है।
लाल आतंक: जानिए दोरनापाल-जगरगुंडा को क्यों कहा जाता है खूनी सड़क
पहली बार में तो इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था जब पूरा घटनाक्रम सुना तो पैरों तले जमीन खिसक गई। शहीद किशन पाल के 85 वर्षीय पिता रनवीर सिंह को तो रात्रि में इस बात की सूचना भी नहीं दी। भोर होने पर जब गांव तथा आसपास के लोग दरवाजे पर एकत्रित होने लगे तो पिता ने भीड का कारण पूछा। जैसे ही बेटे के शहीद होने की सूचना मिली तो वह रोने लगे।
परिवार के लोगों के चुप कराने पर भी वह शांत नहीं हो रहे थे। पांच भाइयों में किशनपाल दूसरे नंबर का बेटा था। फोन पर पिता से अक्सर हाल लेता था। मां का निधन होने के बाद पिता किशनपाल कुछ अधिक ही ध्यान रखता था। मंगलवार को भाई देवेंद्र सिंह ने बताया कि नवंबर 2016 में छुट्टी पर आए थे। एक सप्ताह पूर्व फोन पर हुई वार्ता में बताया था कि 18 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच गांव में छुट्टी लेकर आने वाले थे।
दो दिन पहले फोन पर जानकारी दी कि नक्सलियों की गतिविधिया बढ़ गई है ऐसे छुट्टी रद्द हो गई। अब छुट्टी मिलने के बाद घर आएंगे। जिस दिन घर आने वाले थे इसी दिन शहीद हो गए। अब उनका पार्थिक शरीर 25 अप्रैल को घर पहुंचेगा।
नक्सलियों का हो सफाया
भाई देवेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मांग की है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया है, लेकिन सरकार कुछ ऐसा करें जिससे देश के अन्य सैनिक शहीद न हो सके। इन नक्सलियों का सफाया किया जाए। जो देश के हित की बात नहीं करता है वह देश में कैसे रह सकता है।
किशनपाल के नहीं है कोई संतान
किशनपाल सिंह पांच भाई तथा दो बहनें है। सभी शादीशुदा है। किशनपाल सिंह 1992 में रामपुर जिले में भर्ती हुआ था। उसकी शादी 1989 में सरोज देवी निवासी नगला गंगी थाना नयागांव के साथ हुई थी। किशन पाल के कोई संतान नहीं थी। जिस समय किशनपाल शहीद हुआ है उस समय गांव में उनकी पत्नी नहीं थी। सरोज इस समय अपने भाई पास दिल्ली में है। ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक सरोज का पति के शहीद होने की भी जानकारी नहीं दी गई है। वह शाम तक गांव पहुंच पाएगी।
हमले में शहीद हुए जवानों के नाम
क्रम संख्या सिपाही नंबर शहीदों का नाम
1. 913288303 रघुवर सिंह
2 . 901311874 संजय कुमावत
3. 903084564 रामेश्वर लाल
4. 120130052 के के दास
5. 871160185 नरेश कुमार
6. 041621275 सुरेंद्र कुमार
7. 911321212 बन्ना राम
8. 921180988 एल पी सिंह
9. 941410686 नरेश यादव
10. 941164711 बदमानाबन
11. 110048681 सौरभ कुमार
12. 125260353 अभय मिश्रा
13. 095321169 बनमाली राम
14. 005222135 एनपी सोनकार
15 . 105192559 केके पांडे
16. 115314996 भी सी ब्रमन
17. 095031866 पी अलगुपंडी
18 . 105170332 अभय कुमार
19. 001375847 एन एस कुमार
20. 001385255 एन त्रुमुरूगन
21 . 115205841 रंजीत कुमार
22 . 105171882 आशीष कु सिंह
23. 110070752 मनोज कुमार
24. 145052315 अनूप करमकार
25. 981340034 राम मेहर
घायल जवानों के नाम
-एएसआई आरपी हेमब्रम
-कांस्टेबल, स्वरूप कुमार
-कांस्टेबल, मोहिंदर सिंह
-कांस्टेबल, जितेंद्र कुमार
-कांस्टेबल, शेर मोहम्मद
-कांस्टेबल, लाटू ओरान
लाल आतंक: जानिए दोरनापाल-जगरगुंडा को क्यों कहा जाता है खूनी सड़क
सुकमा हमला:1 महीने पहले शहीद अभय ने मां से की थी बात,कहा था...