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जानिए, उत्तर प्रदेश में क्यों फेल हो गए एग्जिट पोल

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शानदार प्रदर्शन का अनुमान लगाने में एग्जिट पोल विफल रहे। इसका विफलता का कारण था कि वे 2014 के आम चुनावों में हुई बीजेपी की जीत का...

जानिए, उत्तर प्रदेश में क्यों फेल हो गए एग्जिट पोल
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 14 Mar 2017 05:02 PM
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शानदार प्रदर्शन का अनुमान लगाने में एग्जिट पोल विफल रहे। इसका विफलता का कारण था कि वे 2014 के आम चुनावों में हुई बीजेपी की जीत का ठीक तरीके से आंकलन नहीं कर पाए। उन चुनाव परिणामों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 40% से ज्यादा वोट हासिल किए थे। जिसकी वजह से वे राज्य की 90 फीसदी सीटें जीतने में सफल रहे थे। 

भाजपा के 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन की अपेक्षा भारी सुधार आया है। जहां भाजपा ने 2012 में 403 सदस्यों वाले सदन में 50 से कम सीटों के साथ केवल 15% वोट मिले थे। भाजपा के उत्तर प्रदेश चुनावों में मिली सफलता के पीछे एक तक मोदी लहर को माना जा रहा है वहीं एक दूसरे समूह का मानना है कि 2014 में भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है। जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी देखने को मिला। 

हालांकि, इन चुनावों में भाजपा की जीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका नकारा नहीं जा सकता है। इसके परिणाम भी दिखाते हैं। इन चुनाव में मिली जीत के बाद राज्य के राजनीति में भारी बदलाव देखने को मिलेगा। 

हालांकि इस बार भाजपा 40 फीसदी वोट शेयर मार्क को पार नहीं कर पाईष आपको बता दे कि इन चुनावों में भाजपा को प्रदेश से 39.7 फीसदी वोट हासिल हुए। जो कि उत्तर प्रदेश में उसे बहुमत दिलाने में सफल रहा। 

आंकड़ों के आधार पर, ऐसा लगता है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए किसी रणनीति का पालन नहीं किया है। भाजपा ने पूरे राज्य में पार्टी के आधार को मजबूत बनाने पर काम किया। इसका नतीजा भी देखने को मिला। भाजपा ने इन चुनावों में ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में भी जीत हासिल की जहां उनका वोट शेयर 2012 में एक अंक से भी कम था। 

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दिए गए ग्राफ के मुताबिक 107 विधानसभा सीटों में भाजपा को एक तिहाई से अधिक जीत उन सीटों पर मिली है जहां पर पार्टी को 2012 के चुनावों में 10% से कम वोट मिले थे। इन सीटों पर न केवल भाजपा ने जीत हासिल की बल्कि उन पर बड़ी जीत भी हासिल की।

वहीं दूसरे दिए गए ग्राफ को देखें तो पता चलता है कि भाजपा के उम्मीदवारों की जीत का औसत लगभग 14 प्रतिशत रहा, जो सभी प्रमुख दलों में सबसे ज्यादा है। इसमें राजा भैया की जीत को छोड़ दिया जाए तो। 

जैसा कि आंकड़ा बताता है, इस चुनाव में सबसे कम औसत जीत वाली बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) थी, जिसकी जीत औसत कम 3प्रतिशत से कम है। अविश्वसनीय रूप से, बसपा को भाजपा के बाद सबसे ज्यादा वोट शेयर मिला।

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