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भाजपा सरकार की योजनाओं का केंद्र बिंदू है आम व्यक्ति: अर्जुन

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि भाजपा सरकार की योजनाओं के केंद्र में आम व्यक्ति है। अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचना ही सरकार का एकमात्र उद्देश्य है। देश के सभी नागरिकों की...

भाजपा सरकार की योजनाओं का केंद्र बिंदू है आम व्यक्ति: अर्जुन
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 20 Apr 2017 07:27 PM
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केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि भाजपा सरकार की योजनाओं के केंद्र में आम व्यक्ति है। अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचना ही सरकार का एकमात्र उद्देश्य है। देश के सभी नागरिकों की भागीदारी से नया भारत बनाने का काम शुरू हुआ है। इसमें अड़चन बनने वाले कानूनों को भारत सरकार बदल देगी। केंद्र सरकार अब तक करीब ग्यारह सौ कानूनों को रद्द कर चुकी है। बीमा सर्वेक्षक भी देश के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं, इसलिए केंद्र सरकार सर्वेक्षकों की समस्याओं का निदान भी जल्द करेगी। 

मेघवाल गुरुवार को सूरजकुंड स्थित जंगलफॉल के सभागार में भारतीय बीमा सर्वेक्षक एवं हानि निर्धारक संस्थान द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण(इराडा) आम उपभोक्ता के हितों का संरक्षण नहीं कर पा रहा है तो उसे बदल दिया जाएगा। उन्होंने सर्वेक्षकों को भरोसा दिया कि इराडा भी सरकार के अधीन काम करने वाला संस्थान है। अगर यह आम उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने में नाकामयब है तो इसके नियम बदल दिए जाएंगे। सर्वेक्षकों के हित में यशवंत सिन्हा कमेटी की सिफारिशों को सरकार जल्द लागू करेगी। सम्मेलन में देश के करीब सभी प्रदेशों से करीब छह सौ प्रतिनिधियों ने शिरकत की। 

बन रहा नया भारत
केंद्रीय वित्तराज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत का निर्माण शुरू हो गया है। इसमें देश के सभी नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता है। डिजीटल इंडिया, स्किल्ड इंडिया व स्वच्छ भारत जैसे अभियान नव भारत निर्माण की धुरी हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी को एशिया की सदी पहले ही बता दिया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी 21वीं सदी भारत की सदी बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। नए भारत में कोई बेरोजगार नहीं होगा, सभी के सिर पर छत होगी। कोई अनपढ़ नहीं होगा। सभी को जीने का समान अधिकार है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी को अपने नाम करने के लिए चार देशों के बीच प्रतिद्वंदिता है। इसमें भारत, चीन, जापान और यूरेशिया शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 देश के लिए आर्थिक सुधारों वाला वर्ष है। इसबार एक फरवरी को ही बजट पारित होना और एक अप्रैल से लागू होना साहसिक कदम है। जुलाई में जीएसटी लागू होगा और इसी वर्ष में सर्वेक्षकों की बीमा कंपनियों संबंधी समस्याओं का समाधान भी होगा। वर्ष 2019 में महात्मा गांधी का जन्मशताब्दी वर्ष है और वर्ष 2022 में भारत का अमृतोत्सव मनाया जाएगा। 

सर्वेक्षकों को मिलेगा स्वतंत्र प्राधिकार सर्वेक्षक का दर्जा
केंद्रीय राज्यमंत्री ने संम्मेलन में सर्वेक्षकों को भरोसा दिया कि जल्द ही उन्हें स्वतंत्र प्राधिकार सर्वेक्षक का दर्जा प्राप्त होगा। इसके लिए कानूनों को अगर बदलना पड़ा तो बदलेंगे। इसला की मांगों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के हित में उठाई गई मांगों पर मंत्रालय के अधिकारियों से चर्चा करके समस्याओं का समाधान करेंगे। इस संबंध में सर्वेक्षकों का एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल मंत्रालय में अधिकारियों के साथ मंत्री की मौजूदगी में बैठक करेगा। 

ललित गुप्ता, राष्ट्रीयाध्यक्ष, भारतीय बीमा सर्वेक्षक एवं हानि निर्धारक संस्थान: बीमा उद्योग में सर्वेक्षकों की भूमिका बहुत ही अहम है। मंत्री ने स्वतंत्र सर्वेक्षकों की भूमिका को नई बीमा नीति में स्पष्ट करने का भरोसा दिया है। निजी बीमा कंपनियां आम उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण नहीं करती है। 
विपिन शुक्ला, संस्थान की राष्ट्रीय परिषद के प्रत्याशी रहे एवं लखनऊ के वरिष्ठ सर्वेक्षक: मंत्री ने यहां कुछ आश्वासन दिए हैं, जिनका हम इंतजार करेगे। सर्वेक्षकों की लड़ाई आम उपभोक्ता के लिए है। निजी बीमा कंपनियों ने आम उपभोक्ताओं को प्रीमियम के चक्रव्यूह में फंसा दिया है। 
अशोक कुमार, पूर्व राष्ट्रीयाध्यक्ष, इसला: हमने मंत्री के सामने अपनी बात प्रभावी तरीके से रखी है। अब गेंद सरकार के पाले में हैं। सबका साथ सबका विकास के मूलमंत्र पर सरकार है तो फिर सर्वेक्षक भी देश के ही हैं। इराडा स्वतंत्र सर्वेक्षकों के हितो का शोषण कर रही है। इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।      

सर्वेक्षकों ने रखी समस्याएं और दिए सुझाव 
लखनऊ से आए और संस्थान के पिछले चुनाव में प्रत्याशी रहे विपिन शुक्ला समेत कई सर्वेक्षकों ने मंत्री के सामने सर्वेक्षकों की समस्याओं को प्रभावी तरीके से रखते हुए कहा कि नई बीमा नीति में इसला की सदस्यता अनिवार्य हो गई है, इस कारण बीमा कंपनियों ने इसला की सदस्यता आधारित वैरियता व्यवस्था लागू कर दी है। जिसके चलते बीते तीस-चालीस साल से काम कर रहे सर्वेक्षकों की वैरियता कम हो गई है। इराडा ने वर्ष 2002 में विभिन्न तकनीकी मानकों के आधार पर सर्वेक्षकों को श्रेणीबद्ध किया था। लेकिन इराडा सर्वेक्षकों के हितो का संरक्षण नहीं कर सका। 

-स्वतंत्र बीमा सर्वेक्षकों को विश्व के कुछ विकसित देशों की तर्ज पर चार्टर स्टेट्स देना चाहिए
-जिस तरह चार्टर एकाउंटेंट होता है उसी तरह चार्टर सर्वेक्षक होना चाहिए 
-आम जनता में बीमा के प्रति और अधिक विश्वास पैदा हो
-संस्थान को भी ऐसे जागरूकता अभियान चलाने चाहिए
-बीमाधारक के नुकसान का आंकलन केवल स्वतंत्र सर्वेक्षक द्वारा की कराया जाना चाहिए ताकि बीमा धारक को सही मुआवजा मिल सके
-कुछ बीमा कंपनियां बीमा कानूनो का उल्लंघन करके उपभोक्ताओं के साथ धोखा कर रही हैं
-कुछ कंपनियों ने सर्वे का कार्य ठेके पर दे दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान का पूरा मुआवजा नहीं मिलता है
-कुछ बीमा कंपनियां कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों से सांठगांठ करके उन्हें प्रोन्नत करती हैं
-प्रत्येक वर्ष बीमा कंपनियां प्रीमियम बढ़ाती हैं
-जिन वाहनों का पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने पर मुआवजा मिल जाए, उनका पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए

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