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नौ माह बीते, छात्र संघ चुनाव के लिए गठित कमेटी नहीं दे सकी रिपोर्ट

20 साल बाद 27 साल पुरानी पम्परा से छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए हरियाणा की मनोहर सरकार द्वारा गठित कमेटी 9 माह बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं दे सकी है। शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने मौजूदा सत्र में...

नौ माह बीते, छात्र संघ चुनाव के लिए गठित कमेटी नहीं दे सकी रिपोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 05:17 PM
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20 साल बाद 27 साल पुरानी पम्परा से छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए हरियाणा की मनोहर सरकार द्वारा गठित कमेटी 9 माह बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं दे सकी है। शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने मौजूदा सत्र में छात्र संघ चुनाव कराने का दावा किया था लेकिन अब नया सत्र शुरू होने वाला है, अब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट नहीं दे सकी है। 

हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार दो दशक के बाद लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुरूप राज्य में छात्र संघ चुनाव कराने का निर्णय मंत्रियों के साथ बैठक में सैद्धांतिक रूप से 21 जून 2016 को लिया था। उसके बाद हरियाणा के शिक्षा मंत्री शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने हिसार के गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डा.तनकेश्वर कुमार के नेतृत्व में 4 सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति बिजेंद्र कुमार पुनिया, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के सी शर्मा और रेवाड़ी के मीरपुर में स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा. मदन लाल शामिल हैं। 

तय हुआ कि चुनाव की व्यवस्थाएं करने के लिए यह कमेटी 3 हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अब तक यह कमेटी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप सकी है। कमेटी के सदस्य कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के सी शर्मा ने कहते हैं कि कमेटी के चेयरमैन तनकेश्वर कुमार से बात करे। राज्य में पिछले 20 साल से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं। शर्मा ने तब कहा था कि अब 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे के अनुरूप राज्य की भाजपा सरकार इसी शैक्षणिक सत्र से ये चुनाव कराएगी। जल्द ही कार्यक्रम जारी किया जाएगा।

अप्रैल के प्रथम सप्ताह में दे देंगे रिपोर्ट: डा.तनकेश्वर कुमार
समिति के चेयरमैन डा.तनकेश्वर कुमार कहते हैं कि तीन सप्ताह में रिपोर्ट देनी थी लेकिन नई शिक्षा नीति के अंतर्गत काफी काम था, अब रिपोर्ट तैयार है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक हम अपनी रिपोर्ट समय लेकर मुख्यमंत्री को सौंप देंगे। 

27 साल पुरानी परम्परा से चुनाव
यह चुनाव करीब 27 साल पुरानी परंपरा से ही कराए जाने की योजना है। पहले क्लास अथवा फैकल्टी प्रतिनिधि का चुनाव होगा। ये प्रतिनिधि मिल कर अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी के लिए वोट डालेंगे। ऐसा ही वर्ष 1989 से पहले तक होता रहा। 

1996 में ऐसे लगा था छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध
80 और 90 के दशक में छात्रसंघ चुनाव के दौरान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र नेताओं की हत्या, हिंसा और राजनीतिक पार्टियों की दखलंदाजी बढ़ने कारण कुलपतियों की सिफारिश पर वर्ष 1996-97 के सत्र से पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। प्रतिबंध के बावजूद विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (इनसो), नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) जैसे संगठन लगातार छात्र संघ चुनाव की मांग करते हुए अपने-अपने संगठनों के प्रतिनिधि भी चुनते रहे। इस दौरान सत्ता में रही इनेलो और कांग्रेस छात्र संघ चुनाव का वायदा करती रही लेकिन अमल नहीं हुआ।

छात्र राजनीति कि हिंसा में गई थी 3 की जान
1986 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राज्य अध्यक्ष और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र नेता जसबीर सिंह की हत्या। 1989 में हरियाणा कृषि विवि (एचएयू) के छात्र नेता व एसएफआई कार्यकर्ता सूबे सिंह श्योकंद की हत्या हो गई। इसके बाद एमडीयू में छात्र संघ प्रधान देवेंद्र कोच की हत्या की गई थी। इसके बाद से ही बंसीलाल सरकार चुनाव पर रोक लगा दी थी।

ये होगा चुनाव का फॉर्मूला
महाविद्यालय : बीए, बीएससी एवं बीकॉम संकायों के बीए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्टूडेंट्स अपना-अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। इस प्रतिनिधि को प्रधान अथवा प्रतिनिधि जैसा नाम दिया जा सकता है। संकाय और कक्षा वाइज चुने गए प्रतिनिधि ही वोटर होंगे। वे मिल कर कॉलेज के प्रधान, उपप्रधान, महासचिव व कोषाध्यक्ष आदि पदों के लिए पदाधिकारी चुनेंगे।

विश्वविद्यालय:  संकाय वाइज चुनाव कराए जाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि चुनाव में न तो ज्यादा पैसा खर्च हो और न ही ज्यादा हंगामा या शोर-शराबा हो। इसमें आर्ट, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग समेत तमाम फैकल्टी के छात्र मिलकर अपना-अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। ये प्रतिनिधि ही विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के लिए वोटर होंगे।

‘‘ छात्र संघ चुनाव करवाने बारे तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक कमेटी बनाई गई है। उस कमेटी की रिपोर्ट आने के उपरान्त इस विषय में फैसला लिया जाएगा। हमारी कोशिश है कि इस बार सत्र शुरू होने के साथ ही छात्र संघ चुनाव कराए जाए।’’
राम बिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री हरियाणा

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