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Hindi Newsतेजाब कांड समेत इन 8 बड़े केसों में हो चुकी है शहाबुद्दीन को सजा

तेजाब कांड समेत इन 8 बड़े केसों में हो चुकी है शहाबुद्दीन को सजा

  बिहार का डॉन कहे जाने वाले बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को बिहार की सीवान से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जा रहा है। शनिवार को करीब पौने तीन बजे तड़के सीवान जेल से बाहर निकालकर पटना

लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Feb 2017 10:41 AM

बिहार का डॉन कहे जाने वाले बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को बिहार की सीवान से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जा रहा है। शनिवार को करीब पौने तीन बजे तड़के सीवान जेल से बाहर निकालकर पटना लाया गया। लेकिन इसकी भनक लगते ही सीवान जेल के बाहर कई नेता और समर्थक पहुंच गए। सीवान पुलिस ने काफी घेराबंदी के बाद कड़ी सुरक्षा में पटना लाई। यहां अब शहाबुद्दीन को दिल्ली ले जाया जाएगा।

आगे देखें उन अपराधों की लिस्ट जिनमें शहाबुद्दीन को सजा हो चुकी है-

एक थप्पड़ से चर्चा में आया शहाबुद्दीन
एक समय राजद के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन अपने समर्थकों व विरोधियों के बीच रॉबिनहुड के रूप में जाना जाता था। तब सीवान में कानून का राज नहीं बल्कि शहाबुद्दीन का शासन चलता था। 15 मार्च 2001 में ही पुलिस ने जब राजद के एक नेता के खिलाफ एक वारंट पर गिरफ्तारी करने दूसरे दिन दारोगा राय कॉलेज में पहुंची तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तार करने आए अधिकारी संजीव कुमार को ही थप्पड़ मार दिया था। उसके समर्थकों ने पुलिसवालों को दौड़ाकर पीटा था।

इसके बाद बिहार पुलिस शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उसके प्रतापपुर वाले घर पर छापामारा लेकिन अंजाम बेहद ही दुखद रहा था। शहाबुद्दीन समर्थक व पुलिस के बीच करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में आठ ग्रामीण मारे गए थे। इसके बाद पुलिस को खाली हाथ बैरंग लौटना पड़ा था।

तभी से शहाबुद्दीन की गिनती सीवान की नहीं बल्कि प्रदेश व देश स्तर पर भी एक राजनेता से इतर बाहुबली के रूप में होने लगी। हालांकि इस संगीन वारदात के बाद भी शहाबुद्दीन के खिलाफ कोई मजबूत केस नहीं बनाया गया था। यह अलग बात है कि तत्कालीन डीएम सीके अनिल व एसपी रत्न संजय ने 2005 के अप्रैल में शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसपर कानूनी शिकंजा कस दिया था।

दरिंदगी की हद: दो भाइयों को तेजाब से नहलाया 

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सीवान के तेजाब कांड में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा मिली हुई है, यह मामला 2004 का है। शहाबुद्दीन के अड्डे प्रतापपुरा में दो भाइयों गिरीश और सतीश को तेजाब से इस कदर नहलाया गया कि कुछ ही मिनटों में उनका शरीर झुलसने लगा। वे चिल्ला करके रहम की गुहार लगाते रहे और वहां मौजूद लोग तमाशा देखते रहे। कुछ ही देर में दोनों भाइयों की मौत हो गई थी। 

प्रमुख आपराधिक मामले
शहाबुद्दीन पर कानून के लंबे हाथ पहुंचने में 22 साल लगे। 11 मई 1985 को उन पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। आठ मई को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 10 मई को 2007 को शहाबुद्दीन 40 के हुए तो उन पर मुकदमों की संख्या भी 40 हो गई। इस अवधि में वे सीवान में पहले साहब, फिर साहेब और लोकसभा में डॉक्टर शहाबुद्दीन के नाम से जाने जाते रहे। 1990 में जब शहाबुद्दीन विधायक चुने गए थे, तब तक उन पर दर्जन भर मुकदमे दर्ज हो चुके थे। इनमें तीन हत्या के मामले शामिल थे। 

एसपी पर भी चलाई थी गोली
1996 में लोकसभा चुनाव के दिन ही एक बूथ पर गड़बड़ी फैलाने के आरोप में उसे गिरफ्तार करने निकले तत्कालीन एसपी एसके सिंघल पर गोलियां चलाई गई। आरोप था कि खुद शहाबुद्दीन ने गोलियां दागी और सिंघल को जान बचाकर भागना पड़ा। इस कांड में शहाबुद्दीन को दस वर्ष की सजा हो चुकी है।

इन 8 मामलों में सजा हुई
-2007 में छोटेलाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा हुई

-2008 में विदेशी पिस्तौल रखने के मामले में 10 साल की सजा

-1996 में एसपी एसके सिंघल पर गोली चलाई थी, 10 साल की सजा
-1998 में माले कार्यालय पर गोली चलाई थी, दो साल की सजा हुई
-2011 में सरकारी मुलाजिम राजनारायण के अपहरण मामले में 3 साल की सजा
-03 साल की सजा हुई है चोरी की बाइक बरामद में
-01 साल की सजा हुई जीरादेई में थानेदार को धमकाने के मामले में
-सीवान के तेजाब कांड में उम्रकैद की सजा 

सीवान की राजनीति का मतलब है शहाबुद्दीन

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एक बाहुबली से राजनेता बने मो. शहाबुद्दीन के राजनीतिक जीवन में प्रवेश से लेकर अबतक सीवान की राजनीति उनके ही इर्द-गिर्द आकार लेती रही है। फिर चाहे वह पंचायत चुनाव हो या विधानसभा व लोकसभा का चुनाव, शहाबुद्दीन ही सबके निशाने पर रहे।

देश व प्रदेश में फिर चाहे कोई और मुद्दा क्यों न हो लेकिन सीवान में बस एक ही मुद्दा छाया रहा शहाबुद्दीन और उनका अपराध। यहां तक कि हाल के दिनों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जिले में हुई चुनावी सभाओं में भी पूर्व सांसद शहाबुद्दीन निशाने पर रहे। किसी ने यह कहा कि जेल से टिकट का बंटवारा होता है तो किसी ने यह कहकर शहाबुद्दीन पर तंज कसा कि सीवान में राजद की जीत पर पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे।

यहां तक कि विरोधी भी यह कहकर राजनीति करते रहे कि शहाबुद्दीन का है जंगलराज। लोगों का कहना है कि सीवान की राजनीति में अगर शहाबुद्दीन न हों तो फिर चुनाव का मुद्दा चाहे जो भी हो उसमें उबाल नहीं आयेगा।

1980 में शहर के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान राजनीति के क्षेत्र में कदम रखने वाले शहाबुद्दीन तब भाकपा व माले से जमकर भिड़ते रहे। उन दिनों भाकपा के साथ उनका राजनीतिक टकराव यहां तक बढ़ गया कि सीवान की राजनीति में दो धु्र्रव बन गये। एक शहाबुद्दीन तो दूसरा भाकपा माले। बहरहाल 1990 में लालू प्रसाद के राजद में शामिल होकर राजनीतिक सफर शुरू करने वाले शहाबुद्दीन ने दो बार विधायक व चार बार संसद में सीवान संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

चार बार सांसद और दो बार बना विधायक

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मुसलमान वोटरों पर प्रभाव की वजह से शहाबुद्दीन की तूती बोलती है। मुसलमान वोटरों के अलावा अन्य वोटरों में शहाबुद्दीन की पकड़ है। जीरादेई विधानसभा सीट से 1990 और 1995 में जीत हासिल कर शहाबुद्दीन विधायक बने। सीवान में शहाबुद्दीन को लोग हीरो की तरह मानते हैं।

एक बाहुबली से राजनेता बनने का मोहम्मद शहाबुद्दीन का सफर बड़ा ही दिलचस्प रहा है। बिहार में कभी अपराध का बड़ा नाम रहे शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई1967 को सीवान जिले के हुसैनगंज प्रखंड के प्रतापपुर गांव में हुआ था। सीवान के चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे शहाबुद्दीन ने कॉलेज के दौरान अपराध की दुनिया का दामन थाम लिया था।

1980 में डीएवी कॉलेज से राजनीति में कदम रखने वाले इस नेता ने माकपा व भाकपा (माक्र्सवादी - लेनिनवादी) के खिलाफ जमकर लोहा लिया और इलाके में ताकतवर राजनेता के तौर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। भाकपा माले के साथ उनका तीखा टकराव रहा। सीवान में दो ही राजनीतिक धुरिया थीं तबएक शहाबुद्दीन व दूसरा भाकपा माले।

1993 से 2001 के बीच सीवान में भाकपा माले के 18 समर्थक व कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर व वरिष्ठ नेता श्यामनारायण भी इसमें शामिल थे। इनकी हत्या सीवान शहर में 31 मार्च 1997 को कर दी गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी।

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