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नीतीश का सवाल:नीति आयोग की बैठक में बोले, बिहार के साथ नाइंसाफी क्यों

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्यों की असमानता दूर करने को तीन स्तरीय लघु, मध्यम और दीर्घकालीन रणनीति बननी चाहिए। ये असमानता के स्तर पर आधारित हों। सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह...

नीतीश का सवाल:नीति आयोग की बैठक में बोले, बिहार के साथ नाइंसाफी क्यों
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Apr 2017 10:36 AM
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्यों की असमानता दूर करने को तीन स्तरीय लघु, मध्यम और दीर्घकालीन रणनीति बननी चाहिए। ये असमानता के स्तर पर आधारित हों। सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है। मुख्यमंत्री रविवार को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग के शासी परिषद की बैठक में बोल रहे थे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर भारतीय को प्रतिष्ठापूर्ण और आत्मसम्मान से जीवन जीने का अवसर उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित करना हम सबका कर्तव्य है। बदले हुए आर्थिक और सामाजिक परिवेश में देश के विकास के लिए समावेशी सोच और दृष्टि की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग एक ऐसा अवसर प्रदान करता है, जहां एक मंच पर हम अपनी समस्याओं पर विचार-विमर्श करें और उनका समाधान ढूंढें। राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकताओं, नीतियों और क्षेत्रों की रणनीतियों के साथ-साथ राज्यों द्वारा उठाये जा रहे सामयिक विषयों पर सकारात्मक चर्चा हो। केंद्र और राज्यों के बीच महत्वपूर्ण विषयों पर आम सहमति बने।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि देश की आजादी के बाद कई राज्यों का तेजी से विकास हुआ तो कई अन्य अभाव से ग्रसित रहे। वित्त आयोग की अनुशंसाएं और केंद्र की नीतियां भी राज्यों के बीच के इस अंतर को पाटने में असफल रही हैं। देश में विकास के टापू बन गये हैं।  

बिहार को 19690 करोड़ कम मिले : मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले हिस्से को 32% से बढ़ा कर 42% किये जाने को आधार बनाकर केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को दी जाने वाली राशि काफी कम कर दी गई। इसका बिहार पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में बिहार के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रांश की अनुमोदित राशि 23988 करोड़ थी, जबकि प्राप्त हुआ सिर्फ 15932 करोड़। 2016-17 में इसी मद में 28777 करोड़ स्वीकृत थे, जिनमें मात्र 17143 करोड़ मिले। दो वर्षों में 19690 करोड़ कम मिले। 14वें वित्त आयोग के फॉर्मूले को लागू करने के बाद केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार की वृद्धि केवल 17% की हुई है, जबकि अन्य राज्यों की संयुक्त हिस्सेदारी में वृद्धि 35% की रही है। नये फॉर्मूले से कुल राशि में बिहार का हिस्सा 10.9% से घटकर 9.66% हो गया है। 

केंद्रीय योजनाओं में... 
विशेष राज्य का दर्जा मिले तो होगा तेज विकास

सीएम ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग फिर उठाई। कहा कि पिछले कई साल से दोहरे अंक का विकास दर हासिल करने के बाद भी हम विकास के मापदंडों जैसे गरीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण, सामाजिक व भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि हमारी तरह कई अन्य राज्य भी पिछड़े हैं। 

केंद्रीय योजनाओं में 90:10 के अनुपात में हो हिस्सेदारी  
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र और राज्यों के बीच हिस्सेदारी क्रमश: 90:10 अनुपात में होनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा गठित रघुराम राजन समिति की अनुशंसाओं की तरफ ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि समिति ने समग्र विकास सूचकांक के आधार पर दस सर्वाधिक पिछड़े राज्यों को चिह्नित किया था। इन राज्यों में बिहार भी शामिल है। दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में शनिवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र का हिस्सा 90 फीसदी होगा तो राज्य अपने संसाधनों का उपयोग अन्य विकास और कल्याणकारी योजनाओं में कर सकेंगे। 

लंबित हैं कई परियोजनाओं की स्वीकृति : बिहार में आधारभूत संरचना की कमी को देखते हुए भारत सरकार ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना में बीआरजीएफ के तहत 12 हजार करोड़ की स्वीकृति दी थी। इसमें 902 करोड़ की परियोजनाओं की स्वीकृति अब भी नीति आयोग में लंबित है। इसके अलावा 1248 करोड़ का प्रस्ताव भी लंबित है।  

मध्याह्न भोजन योजना से पढ़ाई बाधित : मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना से शिक्षकों का ध्यान पढ़ाने से ज्यादा इसी पर रहता है। इससे पढ़ाई बाधित होती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी गरम भोजन परोसने से इसकी पहचान मात्र पूरक पोषाहार तैयार करने और उसका वितरण करने के केंद्र के रूप में हो गई है। इसलिए नीति आयोग से अनुरोध है कि उक्त दोनों योनाजाओं का कोई विकल्प तैयार हो। मुख्यमंत्री ने उदाहरण भी दिया कि बिहार में पोशाक और साइकिल आदि योजनाओं में नकद राशि लाभुकों को दिया जाता है, जिसके अच्छे परिणाण मिले हैं।

आंगनबाड़ी सेविकाओं-रसोइए का मानदेय बढ़े : मुख्यमंत्री ने मांग की कि आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका व मध्याह्न भोजन की रसोइए आदि का मानदेय केंद्र सरकार बढ़ाये। एक नियम बनाये ताकि निर्धारित अंतराल पर मानदेय में वृद्धि हो। इसका पूरा वित्तीय भार केंद्र वहन करे। उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में मार्गदर्शिका के अनुसार लोगों को इसके क्रियान्वयन में लगाया जाता है। केंद्र द्वारा लंबी अवधि से मानदेय में वृद्धि नहीं करने के कारण केंद्र द्वारा निर्धारित मानदेय के अतिरिक्त बिहार को अपने संसाधनों से भी राशि देनी पड़ रही है। 

नए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करें पीएम : नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। बिहार जैसे राज्य के लिए कृषि और भी महत्वपूर्ण है। यहां 76 फीसदी आबादी की जीविका कृषि और कृषि आधारित कार्यों पर निर्भर है। कृषि का विकास राज्य की प्राथमिकता रही है। कृषि उत्पादन की लागत पर 50 फीसदी जोड़ कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की घोषणा प्रधानमंत्री जल्द करें।

पिछड़ेपन से निकलकर विकास के राष्ट्रीय औसत स्तर को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है बिहार और इस जैसे अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिले। जिन राज्यों को विशेष दर्जा मिला है उन्होंने विकास किया है। 
- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पटना पहुंचे  
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केरल, मुबई व दिल्ली के चार दिनी दौरे के बाद रविवार की देर शाम पटना पहुंचे। वे 20 अप्रैल को वाया दिल्ली केरल गये थे। केरल व मुंबई में आयोजित कार्यक्रमों के बाद रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने शिरकत की।  

नए भारत के लिए साथ आएं राज्य 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि नए भारत (न्यू इंडिया) के सपने को सभी राज्य और मुख्यमंत्रियों के सहयोग से ही साकार किया जा सकता है। नीति आयोग की संचालन परिषद की तीसरी बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में वह इससे भली-भांति परिचित हैं।
पीएम ने सभी राज्यों से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचा सृजन की रफ्तार तेज करने को भी कहा। पीएम ने कहा, बैठक में पूरी टीम इंडिया मौजूद है। सभी लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि वह 2022 (स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ) के भारत की दृष्टि तैयार करें।  
उन्होंने कहा, आयोग 15 साल की दृष्टि, सात वर्ष की मध्यम अवधि और तीन वर्ष के एजेंडे के साथ काम कर रहा है। इसकी ताकत उसके प्रशासनिक या वित्तीय नियंत्रण के बजाय उसके विचारों में हैं। पीएम ने कहा कि मुख्यमंत्रियों को बजट योजनाओं की मंजूरी के लिए नीति आयोग के पास आने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। नीति आयोग सरकार के दायरे से बाहर निकल विशेषज्ञों व युवा पेशेवरों की सेवाएं ली है।
 

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