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Hindi Newsराष्ट्रपति के तीखे बोल, मनोविकार है आतंकवाद

राष्ट्रपति के तीखे बोल, मनोविकार है आतंकवाद

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लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Mar 2017 09:46 AM

बुद्धिज्म में विश्व की अधिकतर समस्याओं के समाधान की क्षमता : कोविन्द

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और नव नालंदा महाविहार के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया। राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के सभागार में आयोजित समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। नव नालंदा महाविहार के अध्यक्ष और सूबे के राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद ने कहा कि वे कई बार महाविहार आ चुके हैं। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में महाविहार निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के समय में चर्चित विपश्यना की परंपरा को महाविहार ने आज भी जिंदा रखा है। यह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आयी है कि आज विश्व की अधिकतर समस्याओं के समाधान की क्षमता बुद्धिज्म में है। संभवत: यही कारण है कि बहुत सारे लोग मानते हैं कि बुद्धिज्म ही भविष्य का धर्म है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी फॉर तिब्बतन स्टडीज, सारनाथ के कुलपति प्रोफेसर जी नवांग ने कहा कि नव नालंदा महाविहार ने स्थापना के कुछ ही वर्षों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। कई उपलब्धियां भी हासिल की है। त्रिपिटिक के देवनागरी संस्करण का 41 खंडों में प्रकाशन कर महाविहार ने छात्रों और शोधार्थियों को एक अनोखा उपहार दिया है। इतना ही नहीं यहां बुद्धिस्ट साइंस विभाग खुलने से छात्रों को काफी लाभ मिलेगा। कार्यक्रम की शुरुआत में नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ एम एल श्रीवास्तव ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शॉल,  गुलदस्ता व मोमेंटो देकर उनका स्वागत किया।

सम्मेलन का समापन
-कहा-विपश्यना की परंपरा को जिंदा रखना महत्वपूर्ण
-अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में निरंतर आगे बढ़ रहा महाविहार
30 देशों के विद्वान प्रतिभागी सम्मेलन में हुए शामिल

बुद्धिज्म से ही मानव जीवन की बेहतरी संभव
समापन समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव और नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ एमएल श्रीवास्तव ने कहा कि सम्मेलन में 3 दिनों तक चले सत्रों में उन बिन्दुओं को खोजने की कोशिश की गई कि सामाजिक उत्थान के लिए बुद्धिज्म किस रूप में मददगार हो सकता है। इन सत्रों में 30 देशों से आए विद्वान प्रतिभागियों ने सामाजिक संघर्ष, हिंसा और बुद्धिस्ट साइंस के अलावा कई अन्य प्रासंगिक विषयों पर अपने विचार रखे। यह बात उभरकर सामने आई कि हर व्यक्ति के मन में शांति लाए बिना संसार में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। बुद्धिज्म से ही मानव जीवन की बेहतरी संभव है। 

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