कतरनी चूड़ा, गुड़ की सोंधी खुशबू से महके बाजार
मकर संक्रांति में अब एक सप्ताह का समय है। शहर के प्रमुख बाजारों में कतरनी चूड़ा की खूशबू बिखरने लगी है। पर्व की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, बाजार की रौनक भी बढ़ती जा रही है। चूड़ा, गुड़, तिलकूट, तिल...
मकर संक्रांति में अब एक सप्ताह का समय है। शहर के प्रमुख बाजारों में कतरनी चूड़ा की खूशबू बिखरने लगी है। पर्व की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, बाजार की रौनक भी बढ़ती जा रही है। चूड़ा, गुड़, तिलकूट, तिल आदि सामानों की बिक्री शुरू हो गयी है। सरकारी बाजार, मौना चौक, गुदरी में गुड़ व अन्य सामानों के खरीदार जुट रहे हैं।
सरकारी मंडी में रवादार गीले गुड़ की मांग सबसे ज्यादा है। मौना चौक के पास गुड़ की मंडी में स्थानीय व्यापारी भी थोक एवं खुदरा गुड़ खरीदने में जुटे रहे हैं। इस मंडी में दो दर्जन से भी अधिक गुड़ की दूकानें है। गुड़ विक्रेता अनिल गुप्ता ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व पर यहां खासी बिक्री होती है। लोग खाने के अलावा लाई सहित अन्य कई तरह से गुड़ की मिठाई बनाते हैं।
गत साल के मुकाबले इस साल दाम में कोई खास अंतर नहीं है। गीला गुड़ 40 रुपये किलो और चकरी व ढेला गुड़ 50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि चकरी वाले और ढेला गुड़ की मांग बाजार में अच्छी है। कतरनी और माल भोग चूड़ा 60 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। तिल काला 65 से 140 रुपये और सफेद तिल 120 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।
राज्य के बाहर भी कतरनी चूड़ा की मांग
छपरा के कतरनी चूड़ा की मांग काफी बढ़ी है। सारण के ग्रामीण क्षेत्रों के चावल और चूड़ा की पहचान आज भी कायम है। आधुनिक युग में भी लोग सौगात के रूप में चूड़ा जिला से बाहर व दूसरे राज्यों में बाहर रह रहे अपनों को भी भेजते हैं। हालांकि, इस बार धान की खेती बहुत कम हुई है। इसके बाद बाजार में पर्याप्त मात्रा में चूड़ा उपलब्ध है।
चूड़ा -प्रति किलो
कतरनी-60 रुपया
मलभोग- 55 से 60 रुपया
सोनम- 35 रुपया
शोभा कतरनी- 50 रुपया
तिल काला- 65-40 रुपया
सफेद तिल- 120 रुपया