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दो तमन्नाएं जो अभी अधूरी हैं

क्रिकेट को लेकर मेरी दीवागनी जबर्दस्त थी। शुरू में मैं जिस टीम में भी खेलता था, मुझे उसका कप्तान बना दिया जाता था। सिर्फ कॉलेज में ऐसा हुआ कि मैं कप्तानी करने से बच गया। बाद में, जब मैं मसूरी में...


दो तमन्नाएं जो अभी अधूरी हैं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 01 Apr 2017 11:45 PM
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क्रिकेट को लेकर मेरी दीवागनी जबर्दस्त थी। शुरू में मैं जिस टीम में भी खेलता था, मुझे उसका कप्तान बना दिया जाता था। सिर्फ कॉलेज में ऐसा हुआ कि मैं कप्तानी करने से बच गया। बाद में, जब मैं मसूरी में खेलता था, तब मेरे दोस्त बृजलाल कप्तान हुआ करते थे। उसकी कप्तानी में मैंने खेला। मैं अपने आपको  खुशनसीब मानता हूं कि मैंने सुनील गावस्कर के साथ खेला। सचिन तेंदुलकर का पहला इंटरव्यू किया। हालांकि मेरी दिली तमन्ना यही थी कि एक दिन मैं हिन्दुस्तान के लिए खेलूं, पर मैं उतना अच्छा खिलाड़ी बन नहीं पाया। फिर भी हिन्दुस्तान के जो बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं, जिन्हें मैं भगवान मानता हूं, उन सबके साथ खेलने का मौका मिला। चाहे वह अशोक मांकड हों, सोलकर हों, दिलीप वेंगसरकर हों, मोहिंदर अमरनाथ, सबा करीम हों या बिशन सिंह बेदी। मुझे याद है कि बिशन सिंह बेदी जब रिटायर हो चुके थे, मैं उनका इंटरव्यू लेने गया। उन्होंने पूछा- ‘टॉम, तुम बैटिंग करना चाहते हो’? तब मैं अच्छी फॉर्म में था। मैंने कहा- ‘ठीक है’। ‘पैड-अप’ होकर मैं क्रीज पर गया। उन्होंने ऑफ स्टंप के बाहर तीन-चार गेंदें फेंकीं, मैंने कवर ड्राइव लगाए। उन्होंने खूब तालियां बजाईं, मैं समझ गया कि अब खतरा है। अगली बॉल उन्होंने आर्मर फेंकी, बॉल अंदर आई और मैं एलबीडब्ल्यू आउट हो गया। उन्होंने कहा- टॉम कोई बात नहीं, बड़े-बड़े बल्लेबाज इस गेंद पर आउट हुए हैं। 

सचिन के जिस इंटरव्यू का जिक्र अक्सर होता है, उस इंटरव्यू के पीछे सुनील गावस्कर का हाथ था। रिटायर होने के तुरंत बाद वह एक स्पोट्र्स मैगजीन के एडीटर बने थे, जो खालिद अंसारी साहब निकालते थे। यह 1988 की बात है, हम उनके दफ्तर में बैठे हुए थे। सुनील ने कहा कि इस समय हमारे मुंबई शहर में दो सबसे अच्छे बल्लेबाज हैं। एक दिलीप वेंगसरकर और दूसरा, सचिन तेंदुलकर। सचिन उस वक्त 14 साल के थे। मैंने उनका नाम तक नहीं सुना था। लेकिन जब गुरु कह रहा हो कि वह दिलीप वेंगसरकर के बाद दूसरे सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं, तो मेरे कान खड़े हो गए। एक रोज मैं मुंबई के नेट्स में गया। वहां वेंगसरकर ने कहा- ‘टॉम, तुम सचिन का इंटरव्यू कर लो’। तभी कांबली व सचिन की 664 रनों की पार्टनरशिप भी हुई थी। दिलीप वेंगसरकर ने ही इंट्रोड्यूस कराया। 14-15 साल का लड़का। अजीब से बाल। अभी जो आप लोग यू-ट्यूब पर देखते हैं, वह उसी इंटरव्यू का एक छोटा सा हिस्सा है। पूरा इंटरव्यू करीब 12 मिनट का था। खैर, सचिन तैयार हो गए।

कैमरे से उन्हें कोई डर नहीं, कोई शर्म नहीं। खुलकर बात कर रहे थे। वह कमाल का इंटरव्यू था। उन्होंने उस इंटरव्यू में कुछ कमाल की बातें कही थीं। उन्होंने कहा- मेरे दो पसंदीदा खिलाड़ी हैं- विवियन रिचड्र्स और सुनील गावस्कर। सचिन का खेल देखिए- उसमें आपको रिचड्र्स भी दिखाई देंगे और गावस्कर भी। सचिन का जो डिफेंस है, बैकफुट पर वह सौ फीसदी गावस्कर हैं और जब वह ‘फ्री’ होकर खेलते हैं, तो रिचड्र्स दिखते हैं। उस वक्त हिरवानी साहब छाए हुए थे, उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 16 विकेट लिए थे। मैंने उनसे पूछा कि क्या वह हिरवानी की गुगली को समझ सकते हैं, उन्होंने बड़ी सहजता और विश्वास के साथ जवाब दिया- हां, बिल्कुल। उनके जवाब का अंदाज ऐसा था कि जैसे कह रहे हों कि यह भी कोई पूछने वाली बात है।   

मैं अब भी मानता हूं कि आज के खिलाड़ी जो इतनी आजादी से खेल रहे हैं, वह सुनील गावस्कर की वजह से ही है, क्योंकि गावस्कर पहले ऐसे हिन्दुस्तानी खिलाड़ी थे, जिन्होंने हमको दिखाया कि तेज गेंदबाजी से डरने की जरूरत नहीं है, उसे खेलो। बाद में विश्वनाथ ने भी ऐसा किया। गावस्कर को मैं भारतीय क्रिकेट का ‘पॉयनियर’ कहूंगा। दुर्भाग्यवश आज की पीढ़ी उनको सिर्फ एक ‘कमेंटेटर’ के तौर पर जानती है। उनकी कंपनी के साथ मैंने काम भी किया। उनसे दोस्ती भी हुई। एक बार अमेरिका में उनके साथ खेलने का मौका भी नसीब हुआ। एक आदमी को जिंदगी से और क्या चाहिए? मैंने राजेश खन्ना के साथ एक्टिंग की, सुनील गावस्कर के साथ क्रिकेट खेला, शर्मिला टैगोर के साथ अभिनय किया, पटौदी साहब, मिल्खा सिंह से मिला, दिलीप कुमार, देव आनंद, राजकपूर के साथ काम करने मुझे का मौका मिला। ये जो जवानी के सारे सपने थे, वे पूरे हुए। अब बस दो सपने रह गए हैं, एक तो बॉब डिलन साहब, जिन्हें अभी नोबेल पुरस्कार भी मिला है, से मिलने का। इसके अलावा जो बीटल्स थे- चार ग्रीको स्टार। उनमें से अब दो ही बचे हैं, मुझे उनसे भी मिलना है। ये दो तमन्नाएं अभी अधूरी हैं, लेकिन मेरे ख्याल से मरने से पहले ये भी पूरी हो जाएंगी।

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