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EXCLUSIVE: मैथिली ठाकुर ने कहा, 'शास्त्रीय संगीत मेरी ताकत है'

दि राइजिंग स्टार रियालिटी शो की फाइनलिस्ट मैथिली फाइनल में किसी शास्त्रीय गीत को आधुनिक अंदाज में पेश करेंगी। उनका मानना है कि यहां तक पहुंचना ही उनके लिए बहुत बड़ी बात है और उन्हें कई रास्ते खुले नजर...

EXCLUSIVE: मैथिली ठाकुर ने कहा, 'शास्त्रीय संगीत मेरी ताकत है'
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Apr 2017 06:49 PM
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दि राइजिंग स्टार रियालिटी शो की फाइनलिस्ट मैथिली फाइनल में किसी शास्त्रीय गीत को आधुनिक अंदाज में पेश करेंगी। उनका मानना है कि यहां तक पहुंचना ही उनके लिए बहुत बड़ी बात है और उन्हें कई रास्ते खुले नजर आ रहे हैं।

दि राइजिंग स्टार में ‘ओम नम: शिवाय’ और ‘भोर भई तोरी राह तकत पिया’ जैसे शास्त्रीय संगीत आधारित गीत गाकर वह आपका दिल जीत ही चुकी हैं और अब वह आ रही हैं इस रियालिटी शो की फाइनलिस्ट बन कर। सही पहचाना। हम बात कर रहे हैं 16 वर्षीया मैथिली ठाकुर की। शो के जरिये लोगों का प्यार और निर्णायकों की तारीफें पाकर वह इतनी खुश हैं कि अब संगीत में ही करियर बनाने को गंभीरता से ले रही हैं।

बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल, द्वारका में 11वीं क्लास की छात्रा मैथिली बताती हैं,‘दि राइजिंग स्टार शो में आने से पहले मैं यूपीएससी की परीक्षा पास करने का सपना देखती थी। पर अब लगता है कि मेरी मंजिल संगीत है। इससे दूर नहीं रह पाऊंगी।’

शो के फाइनल में मैथिली को कड़ी टक्कर मिलेगी, इसका उन्हें अंदाजा है। बाकी के तीन फाइनलिस्ट्स को भी वह तगड़ा दावेदार मानती हैं। उनकी सुनिये,‘अंकिता कुंडू की आवाज बहुत मीठी है, तो वहीं बैनेट दोसांझ सूफी गीतों में माहिर हैं। 

सबसे ज्यादा कड़ी प्रतिस्पर्धा तो मुझे विक्रम जीत जी से मिलने वाली है क्योंकि उनके पंजाबी गीतों पर वोटों की बारिश होती है।’ ऐसे में मैथिली इन दिनों जबर्दस्त तैयारी करने में जुटी हैं। किस तरह का होगा उनका फिनाले परफॉर्मेंस? 

गायन की किस स्टाइल को चुनेंगी वह? हलका सा इशारा करती हैं वह,‘शो में मैंने जो भी शास्त्रीय संगीत आधारित परफॉरमेंस दिए थे, उन्हें बहुत ज्यादा पसंद किया गया था। वहीं जब मैंने आम लोगों में चर्चित ‘नगाड़े संग ढोल बाजे’ जैसे सुगम गीत पेश किए तो उन्हें बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया गया। 

ऐसे में मैं फिनाले में शास्त्रीय संगीत का दामन ही थामूंगी क्योंकि यही मेरी मजबूती है। हां, इसमें मॉडर्न टच भी होगा, ठीक उसी तरह, जिस तरह मैंने ‘सावन बीतो जाए पीहरवा’ और ‘जिया लागे न’ गीतों का मेशअप पेश किया था।’

इस शो के दौरान मैथिली को निर्णायकों से भी काफी कुछ सीखने को मिला। वह बताती हैं,‘शो में तीनों ही निर्णायकों से मैंने बहुत कुछ जाना है। जैसे मोनाली जी ने बताया कि गानों के कुछ हिस्सों की जरूरत होती है कि उन्हें गाते समय आवाज को दबाया जाए। उन गीतों की पहचान करना मुझे मोनाली जी ने सिखाया।’ 

मिथिला का कहना है कि वह शो में फाइनल तक पहुंच कर बहुत खुश हैं और अगर किसी कारणवश जीत नहीं पाती हैं, तो भी वह निराश नहीं होंगी क्योंकि यहां तक पहुंचने से उनके लिए आगे के कई रास्ते खुल गए हैं।

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