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यूपी चुनाव में 65 साल बाद दिखेगा महिलाओं का जोश,पुरुषों को पछाड़ा

पुरुषों को एक के बाद एक अलग-अलग क्षेत्रों में शिकस्त दे रहीं महिलाओं ने थोड़ी देरी से ही सही लेकिन मतदान के क्षेत्र में भी पुरुषों को पछाड़ दिया है। इसे राजनीति को लेकर महिलाओं में तेजी से आ रही...

यूपी चुनाव में 65 साल बाद दिखेगा महिलाओं का जोश,पुरुषों को पछाड़ा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 19 Jan 2017 03:15 PM
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पुरुषों को एक के बाद एक अलग-अलग क्षेत्रों में शिकस्त दे रहीं महिलाओं ने थोड़ी देरी से ही सही लेकिन मतदान के क्षेत्र में भी पुरुषों को पछाड़ दिया है। इसे राजनीति को लेकर महिलाओं में तेजी से आ रही जागरूकता कहें या सरकारों के साथ-साथ भारतीय परिवेश में महिलाओं के प्रति बदलता नजरिया। महिलाओं ने सदनों में न सिर्फ अपनी संख्याएं बढ़ाई हैं बल्कि वोट प्रतिशत में पुरुष वर्ग को मात दे दी है।

हालांकि आधी आबादी कही जाने वाली महिलाएं वाकई में आधी आबादी के हक हासिल कर सकें इसलिए सरकार से लेकर चुनाव आयोग तक ने लंबे प्रयास किए। तमाम तरह के अभियान चलाए गए। इनमें उन्हें राजनीति में आगे लाने से लेकर बढ़-चढ़कर अधिकतम मतदान कराने के प्रयास भी शामिल हैं, इसके कारण समय के साथ महिलाओं की सक्रियता इस दिशा में चुनाव दर चुनाव बढ़ती गई।

नब्बे के दशक पर नजर डालें तो वर्ष 1991 के यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश की राजनीति में महिलाओं ने जिस प्रकार से सक्रियता दिखानी शुरू की वह फिर धीमी नहीं पड़ी। वर्ष 1991 में 44.32 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और दस सीटें महिला प्रत्याशियों के खातें में गईं। उस वर्ष 51.85 फीसदी पुरुषों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इसके बाद 2007 का चुनाव ही ऐसा था जब प्रदेश की राजनीतिक पटल पर महिलाएं कमजोर पड़ती दिखाई दीं।

उस साल मात्र 41.92 फीसदी महिलाएं ही वोट डालने निकल सकीं और विधानसभा में उनकी संख्या 26 तक पहुंच गई। हालांकि उस साल पुरुषों के मतदान परिषद में भी गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन उनकी तुलना में महिलाओं का ग्राफ नीचे था।

यह आंकड़ा इससे ठीक पहले 2002 में हुए चुनाव से काफी कम था। 2002 में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने वोट डाले थे और 26 महिलाएं निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंची थी। वर्ष 2012 के चुनाव में निर्वाचन आयोग का वोट प्रतिशत बढ़ाने का विशेष अभियान रंग लाया और महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से ऊपर पहुंच गया। आयोग ने महिलाओं की वोट प्रतिशतता बढ़ाने का विशेष अभियान चलाया था।

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