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भाजपा ने पूर्वांचल में समूची ताकत झोंकी

वाराणसी। पुराने भारतीय महाकाव्यों को उठाकर देखिए। किसी युद्ध से पहले उनमें रथों, रथियों, महारथियों और सेनानियों का वर्णन हुआ करता था। ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वज इस सत्य को बहुत पहले समझ गए थे कि...

भाजपा ने पूर्वांचल में समूची ताकत झोंकी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Mar 2017 10:50 PM
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वाराणसी। पुराने भारतीय महाकाव्यों को उठाकर देखिए। किसी युद्ध से पहले उनमें रथों, रथियों, महारथियों और सेनानियों का वर्णन हुआ करता था। ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वज इस सत्य को बहुत पहले समझ गए थे कि युद्ध मैदान में नहीं बल्कि दिमागों में जीते या हारे जाते हैं।

बाबतपुर हवाई अड्डे पर बुधवार सुबह विमान ने ‘रन वे’ छुआ नहीं था कि कतार में वहां खड़े कई हेलीकॉप्टर ने इन बातों को जेहन में ला दिया। गिना तो पाया कि कुल जमा 12 उड़न खटोले उड़ान भरने को तैयार हैं। पता पड़ा कि आठ पहले ही हवा में कुलाचें मार चुके हैं और कुल जमा बीस हेलीकॉप्टर वहां लैंड कर रहे हैं। इसके अलावा पुलिस लाइन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हैलीपैड भी उपयोग में लाए जा रहे हैं।

अब आते हैं, महारथियों और रथियों पर। राजनाथ सिंह, अमित शाह, पीयूष गोयल, भूपेन्द्र यादव, जेपी नड्डा, मनोज सिन्हा, डॉक्टर महेन्द्र नाथ पाण्डेय, कलराज मिश्र और नरेन्द्र तोमर यहां पिछले कई दिनों से कैंप लगाए हुए हैं। इनके साथ ओम माथुर, सुनील बंसल, सुनील ओझा आदि तमाम लोग अलग-अलग जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं। साथ ही स्मृति ईरानी, उमा भारती, रविशंकर प्रसाद और मनोज तिवारी जैसे नेता कुछ दिन के अंतराल पर यहां के मतदाताओं के दिलो-दिमाग पर दस्तक देते रहते हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली खुद आज यहां थे। जेटली ने व्यापारियों से मुलाकात के दौरान समूची विद्वता और वाक्पटुता का इस्तेमाल उनका दिल जीतने में किया। भारतीय जनता पार्टी का यह परंपरागत वोट बैंक नोटबंदी के बाद से कुछ उखड़ा-उखड़ा है। वित्त मंत्री ने उनकी आशंकाओं की तपिश दूर करने की सफल कोशिश की।

पीयूष गोयल ने भी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और विभिन्न तबकों के नौजवानों से विस्तारपूर्वक बात की। उनका भी मकसद उन लोगों को भाजपा की रीति-नीति समझाने के साथ हर तरह के शक का समाधान करना था। जाहिर है कि भाजपा नुक्कड़ पर खड़े आम आदमी से लेकर विचारशील बुद्धिजीवियों तक किसी को छोड़ना नहीं चाहती।

स्मृति ईरानी ने भी पूरा दिन महिलाओं और विभिन्न तबकों से बातचीत में लगाया। स्मृति का हथकरघा मंत्रालय इस इलाके में अहम भूमिका अदा करता है क्योंकि बनारस और उसके आसपास के क्षेत्र में बुनकरों की बड़ी तादाद है। ये लोग मशहूर बनारसी साड़ियां बनाते हैं और इन्हीं के बीच से कभी कबीर निकले थे।

बनारस के किसी भी होटल में चले जाइए, आपको मुश्किल से कमरा मिलेगा। बड़े नेताओं के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से 200 से अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ता यहां डेरा जमाए हुए हैं। इस तैयारी से ऐसा लगता है, जैसे पूर्वांचल ही इस चुनाव की दशा-दिशा तय करने जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बीजेपी ने राधामोहन सिंह, जनरल वी.के. सिंह, अनंत कुमार और शहनवाज हुसैन जैसे दिग्गजों को आजमगढ़ और गोरखपुर मंडल में लगा रखा है।

इन सबके अलावा प्रधानमंत्री मोदी खुद चार दिन (3,4, 5 और 6 मार्च) पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस राजनीतिक चेतना संपन्न इलाके में गुजारेंगे । इस दौरान 6 सभाएं करेंगे जिनमें से चार बनारस में होंगी। भाजपा के दिग्गज उनके इस दौरे को फैसलाकुन मानते हैं।

जैसा मैंने शुरू में निवेदन किया, काशी में घुसते ही सियासी जंग की सनसनाहटें दिलो-दिमाग पर दस्तक देने लगती हैं। कई होर्डिंग पर जो चेहरे नजर आते हैं वे भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी बदलाव को स्पष्ट तौर पर रेखांकित करते हैं। पूरे शहर में ‘सबका साथ सबका विकास’  के अलावा कई अन्य नारों वाले होर्डिंग लगे हैं। इनमें सबसे ऊपर कमल के चुनाव चिह्न के साथ नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की मुस्कराती हुई तस्वीरें हैं। नीचे राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, उमा भारती और केशव प्रसाद मौर्य की छवियां अंकित हैं। अटल-आडवाणी की जगह मोदी-अमित शाह और कल्याण सिंह की जगह उमा भारती ने ले ली है। ये होर्डिंग अपने आप में बहुत कुछ बयान कर सकते हैं।

तय है, यह भाजपा का नया दौर है और अमित शाह हर चुनाव को ऐसे लड़ते हैं, जैसे इसके बाद कोई और सियासी इम्तिहान न देना हो।

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