यूपी चुनाव: इस नेता ने लड़े इतने चुनाव कि पत्नी चली गईं मायके
उत्तर प्रदेश की सियासत में धरती पकड़ की तरह चुनाव लड़ने का चस्का पालने वाले रामफेर उर्फ चूंटी इतने चुनाव लड़े हैं कि उनकी पत्नी नाराज होकर मायके चली गईं। मायके जाने के बाद से आज तक उनकी पत्नी घर नहीं...
उत्तर प्रदेश की सियासत में धरती पकड़ की तरह चुनाव लड़ने का चस्का पालने वाले रामफेर उर्फ चूंटी इतने चुनाव लड़े हैं कि उनकी पत्नी नाराज होकर मायके चली गईं। मायके जाने के बाद से आज तक उनकी पत्नी घर नहीं लौटीं। चूंटी हैं कि प्रधान का चुनाव हो या फिर जिला पंचायत का, या विधायक और सांसदी का, सबमें पर्चा भरकर मैदान में कूद पड़ते हैं। इस बार भी उन्होंने कटरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दल पर्चा भरा था लेकिन चूक हो जाने की वजह से पहली बार उनका पर्चा खारिज हो गया।
करीब 30 बार अलग-अलग चुनाव में अपनी तकदीर आजमा चुके चूंटी उर्फ रामफेर को 1998 में राजनीति में उतरने की सनक सवार हुई। इसके बाद तो घर परिवार भूल कर समाजसेवा में उतर गए। पहली बार 98 में रंजीतपुर गांव पंचायत से प्रधानी का चुनाव लड़े। जिसमें उनको 3 मत मिले, एक उनका खुद का व दो अन्य। इसके बावजूद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने हर विधानसभा चुनाव में पर्चा भरा और बाकायदा प्रचार भी किया। सन 2012 में भी उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए पर्चा भरा और प्रचार किया लेकिन हार गए। वे बताते हैं कि आठ बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
दिग्गजों से किया मुकाबला
कटरा के गांव रंजीतपुर के रहने वाले रामफेर उर्फ चूंटी ने अब तक राजा आनन्द सिंह, कीर्तिवर्धन सिंह, केतकी सिंह, बृजभूषण शरण सिंह और दीप नरायन के विरुद्ध सांसदी का चुनाव लड़ा है। इसके अलावा मुरलीधर मुनीम, श्रीराम सिंह, महेश तिवारी, दीप नरायन पाण्डेय, बावन सिंह और बैजनाथ दुबे के विरुद्ध भी विधायकी का चुनाव लड़ चुके हैं।
पत्नी गईं मायके, बिक गया खेत
चुनाव लड़ने के चस्के के कारण उनकी पत्नी सन 2000 में उन्हें छोड़ कर मायके चली गईं। 20 बीघा खेत के मालिक रहे चूंटी ने अपनी सारी जमीन नामांकन भरने और चुनाव लड़ने में खर्च कर डाली। अब केवल चार बीघा खेत, एक खंडहरनुमा घर व साइकिल बची है। खास बात ये है कि आजकल चूंटी कटरा थाने के मेस में खाना खाते हैं और वहीं सो जाते हैं।