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पांच व्यावसायिक काम्पलेक्स और तीन मंजिला आवासीय फ्लैट सील

मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की टीम ने लंबे समय बाद अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई दी। दून में एमडीडीए की टीम ने अवैध रूप से पांच व्यावसायिक काम्पलेक्स और तीन मंजिला आवासीय फ्लैट को...

पांच व्यावसायिक काम्पलेक्स और तीन मंजिला आवासीय फ्लैट सील
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Feb 2017 08:35 PM
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मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की टीम ने लंबे समय बाद अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई दी। दून में एमडीडीए की टीम ने अवैध रूप से पांच व्यावसायिक काम्पलेक्स और तीन मंजिला आवासीय फ्लैट को सील कर दिया।

विधानसभा चुनाव का फायदा उठाते हुए दून में नक्शे के विपरीत जमकर अवैध निर्माण हुए। लोगों ने काम्पलेक्स से लेकर आवासीय फ्लैट तक खड़े कर दिए। अब एमडीडीए ने ऐसे सभी अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। बुधवार को एमडीडीए की टीम पुलिस फोर्स को लेकर अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए निकली। सबसे पहले टीम कांवली पहंुची। यहां पर राजेंद्र अग्रवाल ने स्वीकृत नक्शे के विपरीत अलकनंदा एन्कलेव नाम से तीन मंजिला आवासीय फ्लैट बना दिया। टीम ने इस आवासीय बिल्डिंग में बने तीन फ्लैट पर सील लगा दी। पुलिस फोर्स के चलते विरोध नहीं हो पाया। फिर टीम जीएमएस रोड पर पहुंची।

उमेश कुमार की ओर से देना बैंक के सामने नक्शे के विपरीत व्यावसायिक काम्पलेक्स बनाया जा रहा था। इस काम्पलेक्स को भी एमडीडीए ने सील कर दिया। उधर दूसरी टीम सहस्त्रधारा रोड में पैसिफिक गोल्फ आवासीय योजना के पास पहंुची। यहां पर टीम ने नक्शे के विपरीत बन रहे दो मंजिल व्यावसायिक काम्पलेक्स में सील लगा दी। इसके पास ही प्रदीप अग्रवाल की ओर से अवैध रूप से बन रही दो दुकानों पर सीलिंग कर दी। टीम नरेंद्र विहार पहंुची। यहां पर करीब 400 वर्ग फीट में बन रहे टीन शैड में भी सील लगा दी गई। टीम में सहायक अभियंता आनन्द आर्या, शांति सिंह रावत, पीएन बहुगुणा, हमेंत रावत, संजीव अग्रवाल आदि मौजूद थे।

ऐसा किया अवैध निर्माण

कांवली रोड में छह मंजिला आवासीय फ्लैट में दो रास्तों को एक रास्ता बना दिया। यानी की दो अलग-अलग बिल्डिंग में जाने को एक ही सीढ़ी बना दी, जबकि नक्शे में दो रास्ते दर्शाये गए थे। ऐसे ही जीएमएस रोड में सील किए गए व्यावसायिक काम्पलेक्स में बेसमेंट को व्यावसायिक गतिविधि के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। वहीं सील की गई दुकानों में भी सेटबेक नहीं छोड़ा गया। नक्शे में कुछ और था, जबकि मौके पर निर्माण विपरीत था।

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