एक दशक बाद फिर चुनावी हलचल से गुलजार हुआ भिनगा राजमहल
एक दशक से सक्रिय राजनीति से दूर रहा भिनगा का राजपरिवार एक बार फिर चुनावी समर में कूद पड़ा है। इससे पहले यहां के राजा चंद्रमणिकांत सिंह भिनगा विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं। पहली बार 1969...
एक दशक से सक्रिय राजनीति से दूर रहा भिनगा का राजपरिवार एक बार फिर चुनावी समर में कूद पड़ा है। इससे पहले यहां के राजा चंद्रमणिकांत सिंह भिनगा विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं। पहली बार 1969 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह 1989 में निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में उतरे और चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे।
सन 1991 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद 1993, 1998 और 2002 का चुनाव जीत कर उन्होंने भिनगा से विधानसभा में जनता की नुमाइंदगी की। सन 2007 के चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया तो रानी सुभाश्री ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा जरूर, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
इस हार के बाद राजपरिवार ने सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया। अब एक दशक बाद 2017 के चुनाव में भिनगा का राजमहल एक बार फिर से चुनावी सरगर्मी से गुलजार हो रहा है। राजा चंद्रमणिकांत सिंह के बड़े पुत्र राजकुमार अलक्षेन्द्रकांत सिंह भाजपा से भिनगा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।