लखनऊ, दिल्ली के कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा रहा
पिछले कुछ वर्षो की तरह कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को चुनाव परिणाम के दिन माहौल में कोई बदलाव नहीं आया है। चुनाव लोकसभा के हों या किसी राज्य की विधानसभा के नतीजे। 24, अकबर रोड स्थित कांग्रेस...
पिछले कुछ वर्षो की तरह कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को चुनाव परिणाम के दिन माहौल में कोई बदलाव नहीं आया है। चुनाव लोकसभा के हों या किसी राज्य की विधानसभा के नतीजे।
24, अकबर रोड स्थित कांग्रेस दफ्तर में सिर्फ मीडिया के बंद पड़े कैमरे, पत्रकार और चैनलों पर चर्चा में हिस्सा लेने का इंतजार करते कुछ प्रवक्ता ही नजर आते हैं। हमेशा की तरह इस बार फिर कुछ नेताओं को छोड़कर पार्टी के बड़े नेता दफ्तर नहीं आए। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में जबरदस्त हार के बाद पार्टी मुख्यालय में मौजूद प्रवक्ता चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं, लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय ‘नेहरु भवन’ में हर तरफ मायूसी का मंजर है। कल तक चुनाव परिणामों पर तर्क-वितर्क करने वाले पार्टी नेता नदारद हैं।
कांग्रेस मुख्यालय में अमूमन कार्यकर्ता मौजूद रहते है, पर टीवी रुझान देखने के बाद मायूस कार्यकर्ता भी पार्टी मुख्यालय तक आने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सुबह आठ से दस बजे तक कांग्रेस मुख्यालय में टीवी चैनलों की भरमार रही। पर जैसे-जैसे रुझानों में भाजपा को बढ़त मिलती दिखाई दी, क्षेत्रीय चैनलों के ज्यादातर कैमरामैन और पत्रकारों ने भाजपा कार्यालय का रुख कर लिया। कांग्रेस दफ्तर में टीवी कैमरे मौजूद थे, वह भी अपने चैनलों से गायब थे। इसलिए, प्रवक्ता भी आराम करते नजर आए। कांग्रेस दफ्तर में मौजूद पार्टी प्रवक्ता दबी जबान में यह मान रहे हैं कि उन्हें इस तरह की जबरदस्त शिकस्त का अंदाजा नहीं था।
वह मान रहे थे कि सपा-कांग्रेस गठबंधन सौ-सवा सौ से अधिक सीट जीतेगा, टीवी पर बहस में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने तैयारी भी यही ध्यान में रखते हुए की थी। पर दस बजे के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई है।
उधर, लखनऊ में सुबह 11:00 बजे। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के मीडिया कक्ष में लगे टेलीविजन के सामने चंद कर्मचारी ही बैठे दिखे। आमतौर पर समय से कार्यालय पहुंचने वाले प्रदेश प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान भी गैरहाजिर थे। पिछले तीन दशक से पार्टी नेताओं के खास छोटू को भी इतने बुरे चुनाव नतीजों की उम्मीद नहीं थी। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी नेता इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया दे पाएंगे।
पार्टी र्के थिंक टैंक के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी का कमरा अभी खुला ही नहीं है। इसी कमरे में शुक्रवार को एक्जिट पोल के नतीजे नकारे जा रहे थे। पार्टी के ज्यादातर प्रवक्ता सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनते देख रहे थे। एक्जिट पोल के नतीजों को वे सट्टा बाजार से प्रभावित बता रहे थे।