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गधों पर सियासी बहस के बीच यहां खतरे में है गधों की जान

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक तरफ गधों पर नई बहस शुरू हो गई है तो दूसरी ओर लखीमपुर खीरी जिले में इस निरीह प्राणी के अस्तित्व पर ही संकट आन पड़ा है। इन पर एक लाइलाज बीमारी का साया मंडरा रहा है। जिले...

गधों पर सियासी बहस के बीच यहां खतरे में है गधों की जान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Feb 2017 06:39 PM
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक तरफ गधों पर नई बहस शुरू हो गई है तो दूसरी ओर लखीमपुर खीरी जिले में इस निरीह प्राणी के अस्तित्व पर ही संकट आन पड़ा है। इन पर एक लाइलाज बीमारी का साया मंडरा रहा है। जिले के पशुपालन विभाग ने गधों को घोड़ों से दूर रखने की चेतावनी दी है, ताकि इन्हें ग्लैंडर्स फारसी नामक बीमारी से दूर किया जा सके। 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों गधों की पूछ बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने गधे का जिक्र किया तो यह चुनाव और बहस के केंद्र में आ गया। अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। चुनावी मंचों से गधों की खासियत बखानी जा रही है। वहीं खीरी जिले के गधों पर ग्लैंडर्स फारसी बीमारी की आशंका बढ़ गई है। पशुपालन विभाग अब खीरी जिले के गधों को ढूंढकर उनका ब्लैड सैंपल जांच के लिए भेज रहा है। जब से जिले के दो घोड़ों में ग्लैंडर्स फार्सी की रिपोर्ट पाजिटिव आई है, तब से विभाग खासा चौकन्ना हो गया है। 

बताया जाता है कि ग्लैंडर्स फारसी लाइलाज बीमारी है। यह घोड़ों, गधों और खच्चरों में होती है। इसका कोई इलाज नहीं है। विभाग अब गधों को ढूंढता फिर रहा है। इन गधों के ब्लड का नमूना लेकर उसका सीरम निकालकर जांच के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान हिसार हरियाणा भेजा जाएगा। अगर किसी गधे में इस रोग की पाजिटिव रिपोर्ट आई तो उसको मौत की सजा दी जाएगी।क्या है ग्लैंडर्स फारसीग्लैंडर्स फार्सी एक लाइलाज बीमारी है। 

इस बीमारी की चपेट में आने वाले घोड़ों, गधों व खच्चरों में होती है। पशुओं की त्वचा में फोड़े व घुमड़ियां निकल आती हैं। नाक के अन्दर फटे हुए छाले दिखना, तेज बुखार होना, नाक से पीला स्राव आना और धस्का व खांसी होना। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. टीके तिवारी बताते हैं कि यह बीमारी लाइलाज है। इस बीमारी की चपेट में आने से पशु की मौत निश्चित है। बीमार पशु से यह स्वस्थ पशुओं में और मनुष्यों में भी हो सकती है।

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