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बाघ कर रहे इंसानों का शिकार, पीलीभीत में हाहाकार

तराई के जंगल और उसके आसपास बाघ-इंसानों के बीच अजीब संघर्ष होता नजर आ रहा है। भूखे बाघ जंगल से बाहर एक के बाद एक इंसानों को निवाला बना रहे हैं। दूसरी ओर, बाघों के हमले से गुस्‍साए लोग वन विभाग और...

बाघ कर रहे इंसानों का शिकार, पीलीभीत में हाहाकार
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 06 Mar 2017 01:10 AM
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तराई के जंगल और उसके आसपास बाघ-इंसानों के बीच अजीब संघर्ष होता नजर आ रहा है। भूखे बाघ जंगल से बाहर एक के बाद एक इंसानों को निवाला बना रहे हैं। दूसरी ओर, बाघों के हमले से गुस्‍साए लोग वन विभाग और अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं। रविवार को एक और युवक की बाघ के हमले में मौत होने से पूरे इलाके में आक्रोश है। इतना तनाव कि पब्लिक के डर से वन विभाग के अधिकारी बिना पुलिस के मौके पर जाने से भी खौफ खा रहे हैं। 

टाइगर रिजर्व बनने के बाद वन्यजीव मानव संघर्ष की यह 12वीं घटना है। अब तक आठ लोगों को बाघ के हमले में मौत का शिकार होना पड़ा है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की स्थापना नौ जून 2014 को हुई थी। टाइगर रिजर्व बनने के बाद मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती रही हैं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद बाघ के हमलें में आठ लोगों की मौत और एक को घायल करने की घटनाएं हुई है। जबकि भालू के हमलें में एक आदमी की मौत हो चुकी है।

नौ जून 2014 को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी की गई और टाइगर रिजर्व बन गया। टाइगर रिजर्व बनने के बाद साल भर तक तो ठीक ठाक चला। इस दौरान जंगल से टाइगर के बाहर जाने की घटनाओं पर भी विराम लगा। टाइगर रिजर्व की स्थापना के बाद पहली घटना 18 नवंबर 2015 को माला रेंज में हुई थी। इसमें मरौरी के लालाराम को बाघ ने हमलाकर घायल कर दिया था। दूसरी घटना 24 अक्तूबर 2016 को ग्राम नदहा के मेघनाथ को भालू ने हमला कर मार दिया था। पीलीभीत के 20 साल के इतिहास में भालू के हमले में किसी ग्रामीण की मौत की पहली घटना थी। तीसरी घटना भी इसी साल माला रेंज में बाघ के हमले की हुई थी। घटना में बाघ ने बेनीराम को मौत के घाट उतार दिया था। यह घटना तो जंगल के अंदर हुई। 

चौथी घटना 27 नवंबर में पूरनपुर के पिपरिया संतोष गांव में हुई थी। इस घटना में महोफ और बराही रेंज के सीमा पर सामाजिक वानिकी प्रभाग की पूरनपुर रेंज के गांव पिपरिया संतोष में बाघ ने हमला कर खेत की रखवाली कर रहे बाबूराम को मौत के घाट उतार दिया। 

पांचवी घटना भी इसी क्षेत्र के ग्राम डगा में 2016 में एक दिसंबर को अहमद खां को उस समय बाघ ने मार डाला जब यह लोग नहर किनारे फसल की रखवाली करने गए था। छठी घटना भी इसी क्षेत्र में हुई और इसमे 16 साल का राजीव मारा गया। पिपरिया संतोष गांव तो बाघ के हमे में दो लोगों को अब तक गंवा चुका है। सातवीं घटना में थाना माधौटांडा क्षेल के शाहगढ़ के पास कुंवरपुर गांव का धनीराम मारा गया। 

आठवीं घटना में शाहगढ़ में बाघ ने हमला कर एक महिला मंजीत कौर को घायल कर दिया था। नौवीं घटना सात फरवरी की सुबह गांव शिवनगर निवासी खेतिहर मजदूर नन्हेलाल मजदूरी पर गांव पिपरिया करम में प्यारा सिंह के खेत की रखवाली कर रहा था। इसी दौरान अचानक बाघ ने हमला कर उसे अपना निवाला बना मौत के घाट उतार दिया। दसवीं घटना में 11 फरवरी को पीलीभीत के कलीनगर तहसील के माधोटांडा थाना क्षेत्र का अधेड़ गंगाराम बाघ का शिकार बना। अब तक बाघ छह लोगों को मार चुका था। हालांकि उस दिन एक हत्यारे बाघ को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ लिया गया था। लोगों ने सोचा था कि अब हत्यारा बाघ पकड़ लिया गया। अब कोई इंसान नहीं मारा जाएगा। लेकिन हमलों पर विराम नहीं लगा। 

16 फरवरी को 11 वीं घटना न्यूरिया थाना क्षेत्र के ग्राम मेवातपुर में हुई जहां बाघ ने एक वृद्ध महिला कलावती को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना के बाद 12वीं घटना में रविवार को पांच मार्च को कालेज छात्र ब्रह्मस्वरूप को माला रेंज की वनकटी वीट से दो किलोमीटर दूर गन्ने के खेत में रम्पुरा में बाघ ने मार डाला। इस तरह अब तक बाघ और मनुष्यों के बीच हमलों की घटना में आठवां इंसान शिकार बना।   

गांववालों ने घंटों नहीं उठने दिया शव
र‍व‍िवार सुबह सुबह नौ बजे बाघ के हमले में छात्र के मारे जाने के बाद गुस्‍साए ग्रामीणों ने शव को नहीं उठाने दिया। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक हमें बाघ से निजात नहीं दिलाई जाती और कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं ली जाती, तब तक हम शव को नहीं उठाने देंगे। हालांकि कई बार मृतक के परिजन शव को उठाने के लिए सहमति दे चुके थे, लेकिन हर बार किसी न किसी ग्रामीण ने शव उठाने को रोक दिया। एसडीएम और तहसीलदार ने किसी तरह गांववालों को समझाया। 

वन टीमें फिर हुई गुस्से का शिकार
दोपहर एक बजे के आसपास गन्ने के खेत में बाघ देखे जाने की सूचना पर भी जब वन विभाग ने अपना आपरेशन शुरू नहीं किया तो आक्रोशित ग्रामीणों ने एक बार फिर वन कर्मियों पर हमला कर दिया। ग्रामीण चाहते थे कि गन्ने के खेत में बाघ को पकड़ा जाए, इसके लिए उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से कहा। इस बीच पुलिस अधिकारी और कर्मचारी खेत की ओर गए। ग्रामीणों ने वन दरोगा देवऋषि और वन रक्षक प्रेमपाल को अकेले एक तरफ खड़ा देखा फिर क्या था ग्रामीणों ने फिर से दोनों कर्मचारियों पर हमला बोल दिया। ग्रामीणों ने गन्ने लेकर उनकी पिटाई कर दी।   

घंटों खेतों में दौड़े हाथी, नहीं दिखा बाघ
रम्पुरा गांव के किसान छोटे लाल के बेटे ब्रहम स्वरूप पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया। ब्रहम स्वरूप की मौत के बाद आस पास के गांव देहात में दहशत का माहौल बन गया। हर कोई घटनास्थल की ओर दौड़ा चला आया। देखते ही देखते घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो गई, जिसमें कुछ लोग उग्र हो गए। उन्होंने मृतक की लाश को उठाने से मना कर दिया। गांव वाले जिद पर अड़े रहे या तो बाघ को पकड़ो या मारो। गांव वालों की मांग को मानते हुए वन विभाग ने दुधवा की पवन कली और गंगा कली को बराह के जंगल से बुलाया। दोनों हथनी दोपहर बाद चार बजे गन्ने के खेत में घुसी। करीब दो घंटे तक आस पास के गन्ने के खेतों में बाघ को खंगाला, लेकिन गन्ने के खेतों में बाघ नहीं मिला। दोनों हथिनी करीब छह बजे खेत से बाहर आ गई।

बाघ पकड़ने को रखा गया पिंजरा
दो घंटे तक पवन कली और गंगा कली के गन्ने के खेतों की खाक छानने के बाद वन विभाग की टीम ने गन्ने के खेत में एक पिंजरा रख दिया। पिंजरे में एक जानवर बन्द कर रख दिया गया। वन कर्मियों का कहना है सकता है बाघ दोबारा इस तरफ आए और पिंजरे में बंद हो जाए। 

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