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पानी संग खारी हो गई छह गांवों की जिंदगी, नहीं हो रहे रिश्ते

प्रतापगढ़ मेंं सई नदी किनारे बसे छह गांवों के लोगों की जिंदगी खारे पानी से गल रही है। यहां का भूगर्भ-जल खारा है। इतना ज्यादा कि हैंडपंप लगने के कुछ महीने के अंदर गल जाते हैं। कोई एक मील दूर से पानी...

पानी संग खारी हो गई छह गांवों की जिंदगी, नहीं हो रहे रिश्ते
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 25 May 2016 02:54 PM
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प्रतापगढ़ मेंं सई नदी किनारे बसे छह गांवों के लोगों की जिंदगी खारे पानी से गल रही है। यहां का भूगर्भ-जल खारा है। इतना ज्यादा कि हैंडपंप लगने के कुछ महीने के अंदर गल जाते हैं। कोई एक मील दूर से पानी लाता है तो कोई एक कोस दूर से। पानी ढोते-ढोते जवानी में बुढ़ापे के रोग हो रहे हैं। लोग इन गांवों में रिश्ते नहीं करते। खेती-जिंदगी सब तबाह है।

प्रतापगढ़ में जामताली के बसहा, हुलासी का पुरवा, डंडवा, हरीवा, सतगढ़ी, और बंधवा गांवों में जमीन के अंदर का पानी बेहद खारा है। इसमें न तो दाल पकती है और न कपड़े साफ होते हैं। यह पानी जानवर तक नहीं पीते हैं। हैंडपंप खारे पानी से सड़ गए हैं। लोग मील दो मील दूर से सिर पर लादकर मीठा पानी लाते हैं। कपड़े और बर्तन धोने के लिए भी सई नदी तक जाना पड़ता है। यहां लोग बेटियों की शादी करना नहीं पसंद करते। कुंवारे लड़कों की संख्या बढ़ती जा रही है। 

पानी ढुलाई संग होती है सुबह 
सुबह होते ही डिब्बा, बाल्टी सिर व साइकिल पर लादकर लोग पड़ोसी गांवों में पानी के लिए निकल जाते हैं। इसी तरह डंडवा, सतगढ़ी, बंधवा गांव में भी खारे पानी की भीषण समस्या है। यहां के लोग मीठा पानी एक किमी दूर से लाते हैं। 

कमलेश्वरनाथ धाम बना सहारा 
बसहा गांव से करीब दो किमी दूर सई तट पर स्थित रामघाट कमलेश्वरनाथ धाम पर लगे हैंडपंप से मीठा पानी निकलता है। लोग मीठा पानी सिर पर लादकर ले जाते हैं।  

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