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बड़ा सवाल! एक झटके में क्यों निरस्त की नुमाइश

आखिर क्यों 137 साल पुरानी नुमाइश को एक झटके में निरस्त कर दिया गया। जिले का सबसे बड़ा आयोजन जिसको लेकर लोगों में सबसे ज्यादा उत्साह रहता है। आखिर क्या वजह रही कि प्रशासन को नुमाइश को निरस्त करना...

बड़ा सवाल! एक झटके में क्यों निरस्त की नुमाइश
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Mar 2017 11:13 PM
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आखिर क्यों 137 साल पुरानी नुमाइश को एक झटके में निरस्त कर दिया गया। जिले का सबसे बड़ा आयोजन जिसको लेकर लोगों में सबसे ज्यादा उत्साह रहता है। आखिर क्या वजह रही कि प्रशासन को नुमाइश को निरस्त करना पड़ा। इससे जहां अलीगढ़ और उसके आसपास के जिलों के लोगों के लिए एक मात्र मनोरंजन का साधन तो छिना ही, वहीं जिले की 36 लाख आबादी की भावनाओं को एक तरह से कुचल दिया गया।

अलीगढ़ की नुमाइश सूबे ही नहीं बल्कि देश में अहम स्थान रखती है। एक तरह से यह गंगा-जमुनी संस्कृति का भी प्रतीक है। साथ ही देश भर की संस्कृति की झलक इसमें देखी जा सकती है। इसके अलावा एक माह तक करीब 20 हजार लोगों को रोजगार भी नुमाइश मुहैया कराती है। प्रशासन ने आयोजन के लिए 20 जनवरी तय की। लेकिन विधान सभा चुनाव आ गए तो आयोजन के लिए 15 मार्च तय कर दी गई। फिर 20 मार्च और 27 मार्च तय कर दी गई थी। प्रशासन ने भी नुमाइश के कमोवेश सभी ठेके फाइनल कर दिए थे। लेकिन रविवार को अचानक प्रशासन ने इसे रद्द करने का फरमान सुना दिया। नुमाइश रद्द होने से आम जनमानस को खासा धक्का लगा है।

नुमाइश का आयोजन निरस्त करने के पीछे असल वजह भाजपा के विधायकों का दबाव बताया जा रहा है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाओं और फोर्स की कमी के चलते नुमाइश का आयोजन रद्द किया गया है। जबकि भाजपा के चार विधायकों का साफ कहना है कि उन्होंने बोर्ड परीक्षा और फसल कटाई के चलते प्रशासन को यह राय दी थी।

वर्ष 2012 में भी हुआ आयोजन

इस बार की तरह वर्ष 2012 में भी विधान सभा चुनाव हुए थे। लेकिन तत्कालीन अफसरों ने नुमाइश फिर भी लगवाई। यह अलग बात है कि प्रतीकात्मक ही चार दिन की ही लगी। इस दौरान गंगा-जमुनी मुशायरा और राष्ट्रीय कवि सम्मेलन जैसे आयोजन कृष्णांजलि सभागार में आयोजित किए गए थे।

नुमाइश निरस्त करना गलत फैसला-दलवीर सिंह

भले ही भाजपा के चार विधायकों की राय पर नुमाइश का आयोजन रद्द किया गया हो, लेकिन दिग्गज नेता और बरौली से भाजपा विधायक ठा. दलवीर सिंह इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में ऐतिहासिक नुमाइश का आयोजन निरस्त करना सही नहीं हैं। वह लखनऊ से लौट रहे हैं। मंगलवार को वह जिला प्रशासन के अफसरों से मिलकर नुमाइश के आयोजन के लिए बात करेंगे।

जमीरुल्लाह, अशोक यादव व अरविंद ने बताया निर्णय को गलत

सरकार बनने के बाद यह अलीगढ़ की जनता के लिए यह पहला तोहफा है। उनके मनोरंजन का साधन ही छिन गया। जनता के मनोरंजन के लिए ही हमारे बुजुर्गों ने यह जमीन दी। यह शहर की जनता का अपमान है।

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