सालों से 5.45 बजे पर अटकी शहर की घड़ी
शहर की ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर की घड़ी को बंद हुए दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है। दो वर्ष पहले यहां बने पार्क के सौंदर्यीकरण पर अफसरों ने 188 लाख रुपये अधिक खर्च किए। फिर भी इसकी घड़ी की सुईयां टिक टिक...
शहर की ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर की घड़ी को बंद हुए दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है। दो वर्ष पहले यहां बने पार्क के सौंदर्यीकरण पर अफसरों ने 188 लाख रुपये अधिक खर्च किए। फिर भी इसकी घड़ी की सुईयां टिक टिक नहीं कर सकी है। यह आज भी दूर से देखने पर 5.45 बजे का समय बताती नजर आती है। डीएम कोठी के सामने बने घंटाघर का निर्माण 1883 में हुआ है।
घंटाघर पार्क का सौंदर्यीकरण दो वर्ष पहले एडीए द्वारा किया गया। उस समय उम्मीद थी कि शायद इस दौरान घड़ी की सुईयां फिर से टिक टिक करने लगे। पार्क के सौंदर्यीकरण के बाद भी लोगों की यह आस पूरी नहीं हुई है। अभी भी इसकी घड़ी बंद ही पड़ी हुई है। यह स्थिति तब है जबकि 15 दिसंबर 2015 को सौंदर्यीकरण के बाद इस पार्क का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया। इसके बावजूद अफसरों ने घंटाघर की घड़ी को सही कराने पर ध्यान नहीं दिया।
वर्ष 2006 में हुई थी घड़ी की मरम्मत
घंटाघर की देखभाल और चाबी भरने आदि की जिम्मेदारी नगर निगम की है, जिससे यह घड़ी सही चलती रही। वर्ष 2006 में नवंबर माह में तत्कालीन मेयर आशुतोष वाष्र्णेय और नगर आयुक्त रावेंद्र मोहन त्रिपाठी ने इसे सही कराया। नगर निगम के अफसरों ने बताया कि उस समय बरेली से टीम बुलाई गई थी। कुछ समय यह घड़ी सही भी चली, लेकिन फिर खराब हो गई, जिसके बाद से अभी तक इसे सही नहीं कराया गया हैं