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डायबिटीज पीड़ित छात्र परीक्षा में ले जा सकेंगे स्नैक्स

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मधुमेह टाइप-1 से पीड़ित छात्रों को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र में खाने की चीजें ले जाने की छूट दी है। इसके लिए बोर्ड ने 22...

डायबिटीज पीड़ित छात्र परीक्षा में ले जा सकेंगे स्नैक्स
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Feb 2017 08:50 PM
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मधुमेह टाइप-1 से पीड़ित छात्रों को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र में खाने की चीजें ले जाने की छूट दी है। इसके लिए बोर्ड ने 22 फरवरी को सभी स्कूलों के लिए सर्कुलर जारी कर दिया।

हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त हैं जिनमें खासी संख्या बच्चों की भी है। टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को अपने खून में ग्लूकोज लेवल को ठीक रखने के लिए नियमित अंतराल पर इन्सूलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।

ऐसे बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर पर कुछ खाने की जरूरत होती है ताकि उन्हें हाईपोग्लीसीमिया की समस्या न हो। ऐसा नहीं करने पर उनकी तबियत ज्यादा खराब हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई ने 9 मार्च से शुरू हो रही 10वीं-12वीं की परीक्षा में टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित परीक्षार्थियों को खाने की चीजें ले जाने की छूट दी है।

ये चीजें अपने साथ ले जा सकेंगे परीक्षार्थी

सीबीएसई ने परीक्षा केंद्र में साथ लेकर जाने वाले नाश्ते की सूची भी जारी की है। टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित परीक्षार्थी अपने साथ शुगर टैबलेट, चॉकलेट, कैंडी फलों में केले, सेब या संतरे, नाश्ते में सैंडविच और 500 एमएल की पानी की बोतल ले जा सकते हैं। लेकिन इन्हें परीक्षार्थी अपने पास नहीं रखेंगे। परीक्षार्थी ये सामग्री पर्यवेक्षक के पास रखवाएंगे और आवश्यकता पड़ने पर उनसे ले सकेंगे।

परीक्षार्थियों को देना होगा डॉक्टर का सर्टिफिकेट

ऐसे छात्रों को मधुमेह विशेषज्ञ से सर्टिफिकेट भी जमा करना होगा, जिसमें उनके मधुमेह का टाइप, उसका इतिहास और बीच-बीच में खाने की जरूरत के बारे में बताया गया हो। इस प्रमाण पत्र को परीक्षार्थी अपने स्कूल के प्राचार्य से फारवर्ड करवाएंगे और इसकी कॉपी उस परीक्षा केंद्र में लेकर जाएंगे जहां पर उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है। इसके बाद परीक्षा के दौरान जरूरत पड़ने पर वे लंच बाक्स का उपयोग कर सकेंगे।

इनका कहना है

सीबीएसई ने यह अच्छी पहल की है। डॉक्टरों का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित छात्र एग्जाम से करीब एक घंटे पहले इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं। ऐसे में कुछ ही घंटे बाद उनका शुगर लेवल गिरने लगता है। बच्चे को पसीना आने लगता है और सिर दर्द की शिकायत हो जाती है। इस वजह से छात्र की परफॉर्मेंस पर नेगेटिव असर पड़ता है। इस आदेश से बच्चों को राहत मिलेगी।

जया सिंह, प्रधानाचार्या डीपी पब्लिक स्कूल

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