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ट्रेनों के जरिए चरस तस्करी का भंडाफोड़, दो तस्कर गिरफ्तार

ट्रेनों में लूट और चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग के तीन सदस्य मंगलवार को जीआरपी के हत्थे चढ़ गए। पूछताछ में पता चला कि गैंग नेपाल से चरस लाकर ट्रेनों में बेचता था। गैंग के कब्जे से चोरी के...

ट्रेनों के जरिए चरस तस्करी का भंडाफोड़, दो तस्कर गिरफ्तार
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Mar 2017 07:20 PM
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ट्रेनों में लूट और चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग के तीन सदस्य मंगलवार को जीआरपी के हत्थे चढ़ गए। पूछताछ में पता चला कि गैंग नेपाल से चरस लाकर ट्रेनों में बेचता था। गैंग के कब्जे से चोरी के नौ मोबाइल, आधा किलो चरस और नगदी बरामद हुई है।

रेलवे पुलिस को सूचना मिली कि गोरखपुर से आने वाली ट्रेनों में सक्रिय गैंग नेपाल से चरस लाकर कानपुर और आसपास के जिलों में महंगे दामों पर बेचते हैं। डिप्टी एसपी आरके मिश्र ने प्रभारी सतीश गौतम के नेतृत्व में एक टीम को सक्रिय किया गया। पकड़े गए मछरिया, नौबस्ता निवासी सलमान उर्फ पूसी, चकेरी निवासी मो. फैजल और बाराबंकी निवासी मुसीर के पास शिवगंगा एक्सप्रेस में 14 फरवरी-2017 को हुई चोरी के 1800 रुपए और गरीबरथ में 11 फरवरी को हुई चोरी के 1200 रुपए मिले। 9 मोबाइल के अलावा तीनों के कब्जे से 500 ग्राम चरस भी मिली। तस्करी और छिनैती गैंग का भंडाफोड़ करने वाली टीम को एसपी रेलवे केपी सिंह ने पुरस्कृत करने का ऐलान किया है।

कोल्ड स्टोरेज मजदूरों को करते थे सप्लाई

जीआरपी के हत्थे चढ़े चरस तस्कर गैंग के सरगना एवं गजियाना मदरसा के सामने वाली गली में रहने वाले मो. फैजल ने कबूला कि वह नेपाल से चरस पांच-छह हजार रुपए किलो लाकर कानपुर और आसपास जिलों में बने कोल्ड स्टोरेज में कार्यरत मजदूरों (पल्लेदार) को 18-20 हजार रुपए किलो बेचते थे। इसके अलावा मेडिकल छात्र भी बड़ी मात्रा में चरस खरीदते हैं। इन छात्रों को भी बेचते थे। गोरखपुर से ट्रेनों से आने पर मौका पाकर रास्ते में यात्रियों का माल भी पार कर लेते थे। इससे रास्ते का खर्च चोरी और छिनैती से भरपाई करते हैं। मादक पदार्थों की तस्करी से होने वाली आमदनी बचत होती है।

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