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मेडिकल कॉलेजों में फ्री होगी बच्चों की थायराइड की जांच

डायबिटीज की तरह थायराइड भी काफी तेजी से बढ़ रही है। एंडोक्राइनालॉजिस्टों ने बच्चों का थायराइड टीएसएच (थायराइड इस्टुमेलेटिंग हारमोन टेस्ट) टेस्ट अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है। इसी के मद्देनजर...

मेडिकल कॉलेजों में फ्री होगी बच्चों की थायराइड की जांच
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Feb 2017 07:30 PM
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डायबिटीज की तरह थायराइड भी काफी तेजी से बढ़ रही है। एंडोक्राइनालॉजिस्टों ने बच्चों का थायराइड टीएसएच (थायराइड इस्टुमेलेटिंग हारमोन टेस्ट) टेस्ट अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है। इसी के मद्देनजर अप्रैल से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों में फ्री में टीएसएच टेस्ट अनिवार्य करने की तैयारी की जाएगी। शासन स्तर पर इस पर विचार हो चुका है। चुनाव के बाद इसकी घोषणा किया जाना संभव होगा। यह बात रविवार को प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई )डॉ.वीएन त्रिपाठी ने कही।

डॉ. त्रिपाठी ने स्वरूप नगर में एक होटल में प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक एंडोक्राइनालॉजी कोर्स कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि थायराइड बच्चों में काफी संख्या में होने लगी है इसलिए डॉक्टरों का सुझाव जायज है। बच्चों में शुरू में ही थायराइड का पता चल जाए तो उसका विकास अच्छा हो जाएगा वरना थायराइड से सबसे बड़ी समस्या बच्चे के मानसिक विकास में रूकावट की आ जाती है। मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में जितने भी बच्चे जन्म लेंगे उन्हें यह टेस्ट अनिवार्य और फ्री किया जाएगा। अन्य बच्चों के लिए अलग नीति बनेगी। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि मेडिकल कॉलेजों में हारमोनल रोगों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। डीजीएमई ने ग्रो सोसाइटी, आईएपी,ईस्पे और रीजेंसी की दो दिवसीय संयुक्त कार्यशाला में एडवांस पीडियाट्रिक एंडोक्राइनालॉजी और पीडियाट्रिक एंडोक्राइनालॉजी ई-रिसोर्स बुक का विमोचन भी किया।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में जाबर अल अहमद हॉस्पिटल, कुवैत के एंडोक्राइनालॉजी विभाग के हेड डॉ.पीएसएन मेनन ने इस तरह की कार्यशाला हर साल करने पर जोर दिया ताकि बाल रोग विशेषज्ञ आधुनिक तकनीक से वाकिफ हो सकें। डॉ.अतुल कपूर और डॉ.रश्मि कपूर ने बाल हारमोन रोगों पर जागरूकता पैदा करने का समय आ गया है। बच्चों का जन्म से ग्रोथ चार्ट बनाया जाए तो उनका विकास बेहतर हो सकता है। संरक्षक डॉ.एमएम मैथानी और डॉ.आरएन चौरसिया ने विद्यालयों में बाल हारमोन पर चर्चा कराने के लिए अभियान चलाने का प्रस्ताव रखा। ग्रो सोसाइटी के सचिव डॉ.अनुराग बाजपेई ने कहा कि बच्चों में छोटा कद बढ़ा भी हो सकता है पर उसके लिए माता-पिता को शुरू से ध्यान देना होगा। डॉ. यूथिका बाजपेी ने धन्यवाद दिया। डॉ.सुनील अग्रवाल, डॉ.आशीष श्रीवास्तव, डॉ.विवेक सक्सेना समेत 200 डॉक्टरों ने भाग लिया।

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