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कई स्कूलों ने की फीस में मनमानी, कोई सुनवाई नहीं

केस -1 : सेठ एमआर जयपुरिया, गोमतीनगर स्कूल प्रबंधन ने पिछले सत्र में फीस में करीब 30 % तक बढ़ोतरी की। अभिभावकों ने प्रदर्शन किया गया। जिला प्रशासन हस्तक्षेप के लिए भी आगे आया। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई...

कई स्कूलों ने की फीस में मनमानी, कोई सुनवाई नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Mar 2017 09:00 PM
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केस -1 : सेठ एमआर जयपुरिया, गोमतीनगर

स्कूल प्रबंधन ने पिछले सत्र में फीस में करीब 30 % तक बढ़ोतरी की। अभिभावकों ने प्रदर्शन किया गया। जिला प्रशासन हस्तक्षेप के लिए भी आगे आया। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।

केस-2 : विबग्योर स्कूल गोमतीनगर

स्कूल प्रबंधन ने इस साल फीस बढ़ाई। अभिभावकों ने आरोप लगाए कि फीस में करीब 20 से 30 % तक बढ़ोतरी की गई। सुविधाओं के नाम पर मनमानी अतिरिक्त फीस वसूली गई।

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता

ये दोनों मामले बस बानगी भर हैं। हर साल निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी फीस वृद्धि कर रहे हैं। कई स्कूल तो ऐसे भी हैं जिनकी पिछली तीन से चार साल में भी 50 % तक बढ़ गई। गरीब और मध्य वर्गीय परिवार को बच्चों को यहां भेजने में भी कतरा रहे हैं। बार-बार की शिकायतों के बाद भी यहां कोई सुनवाई नहीं होती।

सीएमएस : दाखिला 30% से ज्यादा महंगा

सीएमएस ने नए सत्र में 50 हजार छात्र-छात्राओं की फीस में 12 से 12.5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। ट्यूशन फीस के अलावा ली जाने वाली कम्प्यूटर फीस, ट्रांसपोर्ट फीस और एग्जाम फीस भी बढ़ा दी है। वहीं, स्कूल में नया दाखिला लेने पर एडमीशन फीस में वर्ष 2014-15 के मुकाबले 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। स्कूल प्रशासन का दावा है कि खर्चों में इजाफा हुआ है। शिक्षकों और कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन दिया जा रहा है।

मिशनरी तक पीछे नहीं : कैथेड्रल सीनियर सेकंडरी स्कूल, सेंट फ्रांसिस कॉलेज, सेंट डोमिनिक सेवियो, सेंट पॉल्स और सेंट थॉमस कॉलेज सरोजनीनगर भी फीस के मामले में पीछे नहीं है। हर साल फीस बढ़ाई जा रही है। ये फीस बढ़ोतरी 10 से 12% के बीच रहती है।

(बॉक्स)

एक नहीं, 20 मद में लेते हैं फीस

फीस के मामले में निजी स्कूल मनमानी करते हैं। एक नहीं 15 से 20 मदों में पैसे लिए जाते हैं। कभी डेवेलपमेंट के नाम पर तो कभी फर्नीचर के लिए। इसके अलावा, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी, बिल्डिंग फीस, रिपोर्ट कार्ड फीस, फेस्टिबल फीस से लेकर कई अन्य मदों के नाम पर पैसा लेते हैं। सीधे-सीधे अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है।

- पीके श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ

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