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अच्छी कविताएं न होने से कवि सम्मेलनों से श्रोताओं की दूरी बढ़ रही है

भारत विकास परिषद हल्द्वानी शाखा की ओर से शनिवार को अतिथि रेस्टोरेंट परिसर में कुमाऊंनी साहित्यकार कौतिक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुमाऊं भर से 30 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के...

अच्छी कविताएं न होने से कवि सम्मेलनों से श्रोताओं की दूरी बढ़ रही है
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Feb 2017 03:10 PM
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भारत विकास परिषद हल्द्वानी शाखा की ओर से शनिवार को अतिथि रेस्टोरेंट परिसर में कुमाऊंनी साहित्यकार कौतिक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुमाऊं भर से 30 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के पहले सत्र में वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया जबकि दूसरे सत्र में युवा साहित्यकारों ने रचनाएं सुनाईं।

मुख्य अतिथि मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला ने कहा कि साहित्य को बढ़ावा देने से संस्कृति सुदृढ़ होती है। कुमाऊंनी में साहित्य को अभी और मजबूत करने की जरूरत है। भारत विकास परिषद के रीजनल सचिव भगवान सहाय ने कहा कि समाज को अच्छे साहित्य की हमेशा जरूरत रहती है। साहित्यकार अगर गहन मंथन के बाद उपन्यास, कविताएं, कहानियां लिखें तो इससे आने वाली पीढ़ी को लाभ होता है। कार्यक्रम संयोजक गौरव त्रिपाठी ने कहा कि जहां पहले के कवि जगह-जगह घूमकर सामाजिक बुराइयों का विश्लेषण कर उन पर तंज कसते थे। वहीं वर्तमान चकाचौंध के जमाने में कवियों में फक्कड़पन कम हो रहा है। इस कारण दिल को छू लेने वाली रचनाएं कम आ रही हैं, शेरदा अनपढ़ और गिरीश तिवारी गिर्दा की कविताओं की तरह पैनापन नहीं रहा। आजकल के युवा कवि जल्द से जल्द कविताएं लिखकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देना चाहते हैं। इससे रचनाओं का संपादन नहीं होता। अच्छी कविताएं नहीं होने के कारण कवि सम्मेलनों से श्रोताओं की दूरी बढ़ रही है। कौतिक का संचालन राजेंद्र ढैला निवासी काठगोदाम और शेखर पाखी निवासी रुद्रपुर ने किया।

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