ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडदूसरों को सुनने की रुचि जगाती है क से कविता

दूसरों को सुनने की रुचि जगाती है क से कविता

कविता त्रासदी के दौर से गुजर रही है। आज कवि अपनी बात तो कह देते हैं, लेकिन दूसरे की नहीं सुनना चाहते। ‘क से कविता आंदोलन दूसरों को न सुनने की नकारात्मकता को तोड़ती है, जिसमें लोग अपनी कविताएं न...

दूसरों को सुनने की रुचि जगाती है क से कविता
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Feb 2017 06:42 PM
ऐप पर पढ़ें

कविता त्रासदी के दौर से गुजर रही है। आज कवि अपनी बात तो कह देते हैं, लेकिन दूसरे की नहीं सुनना चाहते। ‘क से कविता आंदोलन दूसरों को न सुनने की नकारात्मकता को तोड़ती है, जिसमें लोग अपनी कविताएं न सुनाकर दूसरे कवियों की कविताओं का पाठ करते हैं।

क से कविता आंदोलन की लालडांठ रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में हुई मासिक बैठक में वक्ताओं ने यह बात कही। वक्ताओं ने कहा कि इससे दूसरे कवि को सुनने की प्रवृत्ति पैदा होती है। इस बहाने से समाज में सांस्कृतिक और वैचारिक दखल बढ़ता है। कवि जगमोहन रौतेला ने कहा कि क से कविता आंदोलन के कारण ही लोग एक जगह पर एकत्र होकर मुद्दों और विचारों पर विमर्श भी करते हैं। बैठक में पिछले दिनों कथित माओवादी घटना के नाम पर साहित्यकार कपिलेश भोज और कथाकार डॉ अनिल कार्की के मानसिक उत्पीड़न की निंदा की गई। प्रो. प्रभात उप्रेती ने कहा सत्ता को हमेशा विचारों से डर लगता है, क्योंकि विचार ही सामाजिक क्रांति के सूत्रधार बनते रहे हैं। कुमाऊंनी कहानीकार जगदीश जोशी ने कहा कि कार्यवाही से किसी के विचारों को नहीं दबाया जा सकता है।

भाष्कर उप्रेती ने कहा कि सत्ता अब कलम पर पहरा लगाना चाहती है, जो किसी भी राज्य और समाज के लिए अच्छी स्थिति नहीं है। कवि दिनेश कर्नाटक, डॉ. महेश बवाड़ी, विनोद जीना, डॉ. सुरेश भट्ट, अंकित सुयाल, सुरेश उप्रेती आदि ने केदारनाथ सिंह, गिरीश तिवारी गिर्दा, रघुवीर सहाय, संजय चतुर्वेदी, सफदर हाशमी, श्योराज सिंह बैचेन, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, नरेन्द्र जैन, सुरेन्द्र चतुर्वेदी आदि की कविताओं का पाठ किया।

फोटो

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें