बिहार चुनाव: सीमांचल की 5 सीटें जीत ओवैसी ने महागठबंधन की उम्मीदों पर फेरा पानी, मिथिला और कोसी पर भी असर

बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने पांच सीटें जीत कर सीमांचल में गहरा प्रभाव छोड़ा है । साथ ही मिथिला एवं कोसी इलाके में भी उसका...

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बिहार चुनाव: सीमांचल की 5 सीटें जीत ओवैसी ने महागठबंधन की उम्मीदों पर फेरा पानी, मिथिला और कोसी पर भी असर
Madan Tiwari भाषा , पटना
Wed, 11 Nov 2020 5:54 PM

बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने पांच सीटें जीत कर सीमांचल में गहरा प्रभाव छोड़ा है । साथ ही मिथिला एवं कोसी इलाके में भी उसका असर देखा गया है। एआईएमआईएम के ऐसे प्रदर्शन के कारण ही सीमांचल क्षेत्र में महागठबंधन के 2015 के चुनाव की तुलना में इस बार अपना प्रदर्शन बेहतर करने की उम्मीदों को गहरा झटका लगा।

एआईएमआईएम ने सीमांचल क्षेत्र में अपने को राजद और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश करते हुए 16 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। पार्टी ने राजग और महागठबंधन को कड़ी टक्कर देते हुए सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती जिसमें अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीट शामिल है। एआईएमआईएम हालांकि किशनगंज सीट जीतने में विफल रही लेकिन उसके उम्मीदवार मोहम्मद कमरूल होदा को 41,727 वोट प्राप्त हुए। इस सीट पर एआईएमआईएम तीसरे स्थान पर रही और यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसी तरह एआईएमआईएम ने सीमांचल, कोसी और मिथिला की कई सीटों पर प्रभावी प्रदर्शन किया।

सीमांचल क्षेत्र में 24 सीटों में निवर्तमान विधानसभा में राजद, कांग्रेस सहित महागठबंधन के पास 14 सीट, राजग के पास 9 सीट और एआईएमआईएम के खाते में एक सीट थी। बिहार चुनाव 2020 में सीमांचल में एआईएमआईएम के बेहतर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की उम्मीदों को झटका लगा है। इस बारे में पूछे जाने पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सीमांचल की जनता जानती है कि कौन उनकी लड़ाई लड़ सकता है, उसी हिसाब से वहां की जनता ने हमें चुना है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के विस्तार के लिए चुनाव लड़ेंगे और अब अगर कोई कुछ बोलता है तो बोले लेकिन वे अपना काम जारी रखेंगे।

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बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के आंकड़ों को देखें तो पूर्णिया जिले की अमौर सीट पर कांग्रेस के वर्तमान विधायक अब्दुल जलील मस्तान को एआईएमआईएम के अख्तुरुल ईमान ने पराजित किया। ऐसे ही बहादुरगंज सीट पर कांग्रेस के तौसीफ आलम को एआईएमआईएम के अंजार नईमी ने करारी मात दी। राजद के प्रभाव वाली सीट अररिया जिले की जोकीहाट पर ओवैसी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम के खिलाफ उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम को टिकट दिया था और इस सीट पर शाहनवाज आलम जीते। कोचाधाम विधानसभा सीट पर एआईएमआईएम के मुहम्मद इजहार असफी ने जदयू के वर्तमान विधायक मुजाहिद आलम को पराजित किया। बायसी सीट पर एआईएमआईएम के सैयद रुकनुद्दीन ने राजद के हाजी अब्दुस सुभान से यह सीट छीन ली।

विधानसभा चुनाव अभियान के क्रम में असदुद्दीन ओवैसी ने दस दिन में ताबड़तोड़ रैलियां करके सियासी माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी। ओवैसी की पार्टी ने बिहार चुनाव में 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। उनकी पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, बहुजन समाज पार्टी सहित छह दलों का गठबंधन बनाया था। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद किशनगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए इस सीट को जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस और राजद के कुछ नेता असदुद्दीन ओवैसी पर भाजपा की 'बीटीम के रूप में काम करने का आरोप लगाते है। हालांकि, ओवैसी का कहना है कि अगर बिहार चुनाव में हमारी वजह से महागठबंधन को नुकसान हुआ है तो फिर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में क्यों हार हुई? वहां तो हमारी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी।

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