इस वर्ष शारदीय नवरात्र दिनांक 17 अक्टूबर से आरंभ होकर 25 अक्टूबर दशहरा तक चलेंगे। शनिवार से नवरात्र आरंभ होने कारण मां भगवती घोड़े पर सवार होकर आएंगी। घोड़े पर सवार होने का अर्थ होता है कि आर्थिक रूप से तो अच्छा संकेत है, किन्तु राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों में उठापटक रहेगी। अतिवृष्टि,अनावृष्टि, प्राकृतिक आपदाएं और सांप्रदायिक तनाव के योग बन रहे हैं। देश को युद्ध या युद्ध जैसी विभीषिका से भी गुजरना पड़ सकता है ।
इस दिन से शुरू होंगे नवरात्र
-प्रथम नवरात्र 17 अक्टूबर 2020
-द्वितीय नवरात्र 18 अक्टूबर 2020
-तृतीय नवरात्र 19 अक्टूबर 2020
-चतुर्थ नवरात्र 20 अक्टूबर 2020
-पंचम नवरात्रि 21 अक्टूबर 2020
-षष्ठम नवरात्र 22 अक्टूबर 2020
-दुर्गा सप्तमी एवं अष्टमी 23 अक्टूबर 2020
-दुर्गा नवमी 24 अक्टूबर 2020
-दशहरा 25 अक्टूबर 2020
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यह होगा घट स्थापना का मुहूर्त
17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रों में घट स्थापना का मुहूर्त प्रातः छह बजकर 29 मिनट से आठ बजकर 49 मिनट तक चर लग्न में श्रेष्ठ है। इसके बाद 11:51 बजे के पश्चात और अभिजीत मुहूर्त 11:36 से 12:24 तक घट स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त रहेगा। 14:49 से 16:17 तक कुंभ लग्न भी स्थिर लग्न है जो घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ है। चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार दोपहर 12:32 बजे से 16:45 बजे तक चर लाभ और अमृत के चौघड़िया में भी घटस्थापना श्रेष्ठ रहती है।
घट स्थापना के समय कलश के नीचे जौ बोए जाते हैं। जौ और कलश का स्थान आपके बाएं हाथ पर होना चाहिए अर्थात के देवी मां के मंदिर के बांयी और तथा दीपक का स्थान आप के दाहिने हाथ की ओर होना चाहिए। जिन घरों में अखंड ज्योत जलाई जाती है उन्हें नौ दिन तक अपना घर नहीं छोड़ना चाहिए। कोई ना कोई सदस्य घर में अवश्य रहे। नवरात्रों के समय नियम, संयम, सादगी और शुद्ध भोजन का विधान है। जो व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें अपने आचरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तभी दुर्गा माता के नौ स्वरूपों की ठीक प्रकार से आराधना होगी । इस बार सप्तमी एवं अष्टमी एक ही तिथि यानी एक ही दिन मनाई जाएगी। अर्थात इस बार सप्तमी,अष्टमी 23 अक्टूबर को होगी। महा नवमी के दिन दुर्गा मां का विसर्जन होगा।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)