विक्रम संवत 2078 : आकाशीय मंत्रिमंडल में मंगल ही राजा और मंत्री

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से राक्षस नामक संवत्सर 2078 प्रारंभ हो रहा है। इस संवत्सर के आकाशीय मंत्रिमंडल के पदाधिकारियों में मंगल वर्ष का राजा और मंत्री भी मंगल ही बन रहा है। राक्षस संवत्सर, राजा...

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विक्रम संवत 2078 : आकाशीय मंत्रिमंडल में मंगल ही राजा और मंत्री
Yuvraj अनिल शर्मा , बुलंदशहर
Sun, 11 Apr 2021 1:51 AM

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से राक्षस नामक संवत्सर 2078 प्रारंभ हो रहा है। इस संवत्सर के आकाशीय मंत्रिमंडल के पदाधिकारियों में मंगल वर्ष का राजा और मंत्री भी मंगल ही बन रहा है। राक्षस संवत्सर, राजा मंगल एवं मंत्री मंगल बनने पर क्रोध, तनाव, जातिवादी दंगे, झगड़े, चोरी, लूटपाट, नशाखोरी, आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि, अग्नि की घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका ज्योतिषि जता रहे हैं।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार संवत्सर 2078 में आकाशीय विद्युत का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। गृह युद्ध, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव एवं युद्ध के हालात बन सकते हैं। किसी भी समस्या के निदान हेतु राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रामक नीतियां अपनाई जाएंगी।

नौजवानों की बढ़ेगी राजनीति में भागीदारी
नौजवानों और आक्रामक लोगों की समाज और राजनीति में भागीदारी बढ़ेगी।  सस्येश शुक्र, धान्येश बुद्ध तथा मेघेश चंद्र होने के कारण धन-धान्य में वृद्धि समुचित वर्षा तथा पशुओं के दूध आदि में वृद्धि होगी। रसेश सूर्य के कारण मिष्ठान में तेजी, नेता वर्ग एवं जनता में दूरी बढ़ेगी तथा अशांति एवं क्षोभ रहेगा। नीरसेश  शुक्र होने के कारण कपूर, अगर, सोना , वस्त्र तथा कलपुर्जे महंगे होंगे।

फल-फूल बढ़ेंगे  
फलेश चंद्रमा होने के कारण वृक्षों पर अच्छे फल फूल लगेंगे तथा उपदेशों व शिक्षकों तथा ब्राह्मणों के कार्य में वृद्धि होगी। धनेश गुरु होने के कारण ज्ञान एवं समझ से धन में वृद्धि होगी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजकीय कोष को बढ़ाने की सकारात्मक नीतियां बनेंगी। दुर्गेश चंद्रमा सेना में स्त्रियों के पद एवं अधिकार में उन्नति कराएगा। परंतु स्त्रियों के कारण सेना व सुरक्षा एजेंसियों में स्कैंडल एवं बदनामी की घटनाएं बढ़ेंगी।

इष्ट और गुरु मंत्र के जप से मिलेगी शांति
श्री द्वादशमहालिंगेश्वर सिद्धमहापीठ के संस्थापक आचार्य मनजीत धर्मध्वज ने बताया कि संवत्सर 2078 का स्वामी राक्षस है। राजा और मंत्री मंगल के प्रकोप को शांत करने हेतु अपने-अपने सम्प्रदाय के अनुसार परमात्मा की पूजा, प्रार्थना ,इष्ट मंत्र, गुरु मंत्र का जप करें। अपने गुरु,सद साहित्य व सकारात्मक चिंतकों का सानिध्य करें।

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