आठ माह से ट्रेनों का परिचालन ठप रहने से छोटे कारोबारी हताश
...कौन सुनेगा, किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं। जी हां अररिया रेलवे स्टेशन के पास के छोटे दुकानदारों व अन्य कारोबारियों का कमोबेश यही हाल है । कोरोना संक्रमण को लेकर अररिया-कटिहार रेलखंड पर ट्रेनों...
...कौन सुनेगा, किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं। जी हां अररिया रेलवे स्टेशन के पास के छोटे दुकानदारों व अन्य कारोबारियों का कमोबेश यही हाल है । कोरोना संक्रमण को लेकर अररिया-कटिहार रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन क्या ठप हुई इन छोटे कारोबारियों के किस्मत ही लॉक हो गये। बड़ी उम्मीद के साथ इन लोगों ने अपना कारोबार शुरू किया था लेकिन कोरोना संक्रमण ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कारोबार ठप रहने व आमदनी बंद होने से ये हताश हो चुके हैं। शुक्रवार को जब इस संवाददाता ने अररिया रेलवे स्टेशन का जायज़ा लिया तो सदा गुलजार रहने वाला अररिया रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म वीरान दिखा। स्टेशन मास्टर अशोक कुमार ने बताया कि एक दर्जन से अधिक गांव के लोग इस स्टेशन पर ट्रेन पकड़ते हैं। लेकिन कोरोना काल में ट्रेनों का परिचालन बन्द होने से कोई नहीं दिखता। हर तरफ विरानगी छाई है। इसका असर स्टेशन के आसपास दुकान चलाने वाले कारोबारियों पर पड़ा है। स्टेशन के आसपास के छोटे कारोबारियों व दुकानदारों से मिला तो उनका दर्द इस तरह छलका। रेलवे परिसर में होटल चलाने वाले रवि कुमार ने बताया कि बड़ी उम्मीद के साथ होटल खोला था, ढेर सारे सपने देखे थे। लेकिन कोरोना के कहर ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। पिछले आठ माह से होटल बंद है। आमदनी बंद रहने से हताश हो चुका हूं। बच्चों की पढ़ाई ठप है। खाने के लाने पड़ गये हैं। सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द ट्रेनों का परिचालन शुरू करे। वहीं किराना दुकानदार संतोष कुमार ने बताया कि काफी पैसे लगाकर किराना दुकान खोला था। ट्रेन चलती थी तो यात्री लोग आते थे। अच्छी आमदनी होने से परिवार का भी अच्छी तरह से गुजारा हो रहा था। बच्चे की भी पढ़ाई लिखाई ठीक ठाक हो रही थी लेकिन ट्रेनों का परिचालन बंद होने से पिछले आठ माह से तनाव से गुजर रहा हूं। रेलवे स्टेशन परिसर में दुकान मिठाई चलाने वाले दीपक कुमार व संतोष कुमार साह ने बताया कई सालों से वे यहां कारोबार कर रहे हैं। इसी से परिवार का गुजारा होता था। रेल से उतरने वाले यात्री उनकी दुकान से मिठाई लेना नहीं भूलते थे लेकिन पिछले आठ माह से बिक्री नहीं हो रही है। क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कैसे परिवार का गुजारा होगा, कैसे बच्चों की पढ़ाई होगी।
सैलून संचालक मनोज कुमार ठाकुर ने बताया कि रेल यात्री के भरोसे ही सैलून चलता था। ट्रेन पकड़ने वाले व ट्रेन से उतरकर अपने घर जाने वाले यात्री उनके यहां बाल व दाढ़ी बनाना नहीं भूलते थे लेकिन अब सब कुछ तबाह हो गया। इस विपत्ति से कैसे उबरूं समझ में नहीं आ रहा है। आज रोजी रोटी के लाले पड़ गये हैं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भगवान भरोसे है।
जूता चप्पल के दुकानदार अब्दुल्ला ने बताया कि यहां उनकी दुकानदारी अच्छी चलती थी। हर रेंज का माल रहता था। लेकिन पिछल आठ माह से कारोबार ठप है। हमलोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। कारोबारी प्रदीप कुमार गुप्ता व रमेश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि कोरोना ने उनका सब कुछ खत्म कर दिया। बची तो केवल बेवसी व लाचारी। मशाला का कारोबार था। अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी लेकिन अब आर्थिक संकट से घिर गया हूं। बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी बंद है। सरकार से यही प्रार्थना है कि यहां जल्द से जल्द ट्रेनों का परिचालन शुरू हो।