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बिहार और झारखंड की गौरवशाली इतिहास से जुड़ी 10 रेल विरासतों को संवारेगा रेलवे

मालदा रेलमंडल बिहार और झारखंड की 10 विरासतों को संवारने की तैयारी में है। 150 साल पुरानी इमारतें, स्टेशनों, ट्रेनों व सुरंगों का जीर्णोद्धार होगा। इनके सौंदर्यीकरण और संरक्षण का काम भी होगा। इनसे...

बिहार और झारखंड की गौरवशाली इतिहास से जुड़ी 10 रेल विरासतों को संवारेगा रेलवे
भागलपुर, रवीन्द्र नाथ तिवारीTue, 20 Aug 2019 02:10 PM
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मालदा रेलमंडल बिहार और झारखंड की 10 विरासतों को संवारने की तैयारी में है। 150 साल पुरानी इमारतें, स्टेशनों, ट्रेनों व सुरंगों का जीर्णोद्धार होगा। इनके सौंदर्यीकरण और संरक्षण का काम भी होगा। इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां इनपर अंकित कराई जाएंगी। इन धरोहरों से रेलवे और इस इलाके का गौरवशाली इतिहास जुड़ा हुआ है। 

मालदा रेलमंडल के प्रभारी डीआरएम एके मिश्रा की बनाई इस योजना पर काम शुरू हो गया है। झारखंड के साहिबगंज से इसकी शुरुआत हो चुकी है। राजमहल स्टेशन से लेकर भागलपुर रेलवे यार्ड, कहलगांव स्टेशन, जमालपुर सुरंग और वर्कशॉप आदि के इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है। इसे लेकर डीआरएम दो-तीन दिनों में जमालपुर जाने वाले हैं।
 
संताल विद्रोह से लेकर आजादी की लड़ाई का केन्द्र रहा है रेलवे
इतिहास के लेखक शिवशंकर सिंह पारिजात के अनुसार, भागलपुर और साहिबगंज रेलखंड 1855-56 के संताल विद्रोह व 1943 के भारत छोड़ो आंदोलन का केन्द्र रहा। क्रांतिकारियों ने रेलवे को निशाना बनाया। संताल विद्रोहियों ने बरहेट और बरहड़वा रेल अधिकारियों की हत्या की थी। डॉ. परिजात के अनुसार, रेलवे की विरासतें संरक्षित होंगी तो जंग-ए-आजादी का गौरवशाली इतिहास भी सुरक्षित रहेगा।

देश का सबसे पुराना रेलखंड
मुंबई से थाने तक देश में पहली रेललाइन बिछने के कुछ सालों बाद ही इस इलाके में भी रेललाइन बिछाई गई थी। 1960 के आसपास काम पूरा हो गया था। डीआरएम एके मिश्रा बताते हैं कि संताल विद्रोह को दबाने के लिए सबसे पहले अंग्रेज सैनिकों को ट्रेन से इस इलाके में लाया गया था। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने यह काम प्राथमिकता के आधार पर इसलिए किया, ताकि शासन करने में सुविधा हो।

हावड़ा-राजगीर फास्ट पैसेंजर से जनेऊ करने गए थे टेगौर
हावड़ा-राजगीर फास्ट पैसेंजर इस रेलखंड की सबसे पुरानी ट्रेन है। रेलवे के पूर्व यार्ड अफसर एके सहाय के अनुसार पहले यह ट्रेन हावड़ा से दानापुर तक चलती थी। देवेन्द्र नाथ ठाकुर अपने बेटे रवीन्द्र नाथ ठाकुर का उपनयन संस्कार कराने परिवार के साथ इस ट्रेन से गए थे। टैगोर की किताब हिमायत यात्रा प्रसंग में भागलपुर और साहिबगंज स्टेशनों की चर्चा है। यह ट्रेन आज सबसे बदहाल स्थिति में है। 

ऐतिहासिक रेलवे यार्ड
भागलपुर का रेलवे यार्ड 1870 के आसपास बना। यहां 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों की जुटान हुई थी। एक बार गोलियां भी चली थीं। क्रांतिकारियों ने भागलपुर रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन पर कब्जा कर लिया था। उस ट्रेन का नाम स्वराज रख दिया था। अंग्रेजों अफसरों ने नाथनगर में उस ट्रेन को मुक्त कराया।

राजमहल स्टेशन बनेगा मॉडल, सबसे पहले चली थी ट्रेन
डीआरएम ने बताया कि राजमहल स्टेशन से सबसे पहले 1859 में ट्रेन चली थी। राजमहल मध्यकाल में बिहार, बंगाल व उस समय के उड़ीसा की राजधानी थी। अकबर ने यहां मान सिंह को गवर्नर नियुक्त किया था। इतना ऐतिहासिक स्टेशन बदहाल है। डीआरएम ने बताया कि इसे मॉडल स्टेशन बनाया जाएगा।

10 दिनों में भूतबंगला का कायाकल्प
मालदा रेल के डिवीजनल मैकनिकल इंजीनियर एसके तिवारी ने बताया कि झारखंड के साहिबगंज में 1906 में बने बंगलो का 10 दिनों में जीर्णोद्धार कर दिया गया। गंगा के रमणीक तट पर बेकार पड़ा यह बंगलो भूतबंगला जैसा दिखता था। सबसे शुरू में यहां ट्रेनिंग सेंटर चलता था। डीआरएम की निगरानी में मात्र 10 दिनों में काम कर इसकी तस्वीर बदल दी गई। मैकनिकल इंजीनियर ने बताया कि दो और ऐतिहासिक बंगलों के जीर्णोंद्धार कर संरक्षित किया जाएगा। 

मालदा डीआरएम एके मिश्रा ने बताया कि यह रेलखंड देश के सबसे पुराने और ऐतिहासिक रेलखंडों में से है। यहां के कई भवन, स्टेशन और संस्थान ऐतिहासिक हैं। इनके बारे में जानकारी जुटाकर संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। इससे जहां रेलवे की विरासतों का खजाना भरेगा, वहीं पयर्टक भी आकर्षित होंगे। इनके जरिए नई पीढ़ी अपने शानदार अतीत से रूबरू हो सकेगी। आसनसोल मंडल में धरोहरों को संजोने का मेरा प्रयास सफल रहा था। 

अन्य जानकारी
सुल्तानगंज स्टेशन पर सियाराम सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने मालगाड़ी लूटी थी
कहलगांव स्टेशन पर क्रांतकिारियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की थी
जमालपुर सुरंग का निर्माण 
1862 में स्थापित जमालपुर वर्कशॉप  
जमालपुर में चीफ वर्कशॉप मैनेज का क्वार्टर 1905 के आसपास बना है
जमालपुर का सुरंग 1860 में बना 
 

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