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सोलहवीं शताब्दी में निर्मित सहरसा के महिषी सिद्ध शक्तिपीठ में होती है तंत्र साधना

देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में महिषी के उग्रतारा स्थान का विशेष  महत्व है। कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय से 18 किमी पश्चिम धर्ममूला नदी के तट पर अवस्थित प्राचीन माहिष्मती अब महिषी गांव में वर्तमान...

सोलहवीं शताब्दी में निर्मित सहरसा के महिषी सिद्ध शक्तिपीठ में होती है तंत्र साधना
महिषी (सहरसा)| एक संवाददाताThu, 12 Jul 2018 11:56 PM
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देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में महिषी के उग्रतारा स्थान का विशेष  महत्व है। कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय से 18 किमी पश्चिम धर्ममूला नदी के तट पर अवस्थित प्राचीन माहिष्मती अब महिषी गांव में वर्तमान मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में दरभंगा राज परिवार से जुड़ी महारानी पद्मावती ने कराया था।
 
प्राचीन मान्यता के अनुसार कठिन साधना कर महर्षि वशिष्ठ द्वारा भगवती को प्रसन्न कर उन्हें सदेह यहां लाया गया था। कालांतर में शर्त भंग होने पर भगवती तारा पाषाण रूप में परिवर्तित हो गई। जिस कारण इन्हें वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार सती की बांयी आंख यहां गिरी थी। इसलिए यहां की सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में मान्यता है। महिषी में उग्रतारा की प्रतिमा कई स्वरुपों में देखने को मिलती है। भक्त बताते हैं कि प्रतिमा सुबह में अलसायी, दोपहर में रौद्र तथा शाम में सौम्य स्वरुप में दिखती है। माता का इस तीनो रुप का दर्शन भक्तों के लिए सुखद और फलदायी होता है। 

दूर-दूर तक फैली है ख्याति
उग्रतारा स्थान की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी फैली है। यहां आसपास के इलाके व देश के अन्य राज्यों सहित नेपाल के भी श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। यूं तो यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है।
 
नवरात्र में होती तंत्र साधना
उग्रतारा मंदिर में नवरात्रा के मौके पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है। नवरात्रा में देश के अन्य हिस्सों से आकर तांत्रिक यहां तंत्र साधना करते हैं। नवरात्रा की नवमी तिथि को यहां दर्जनों भैसों सहित सैकड़ों बकड़े की बलि दी जाती है।  शारदीय नवरात्रा में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा यहां भव्य उग्रतारा महोत्सव का प्रत्येक वर्ष आयोजन किया जाता है। महोत्सव में देश के ख्याति प्राप्त कलाकार यहां आकर श्रोताओं का मनोरंजन करते हैं।  

हो रहा विकास कार्य
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेवा यात्रा के दौरान वर्ष 2011 में महिषी तारास्थान पहुंचकर मन्दिर विकास के लिए पर्यटन विभाग से 3.26 करोड़ की राशि तथा उग्रतारा महोत्सव मनाने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद महोत्सव का आयोजन एवं विकास कार्य भी शुरू हुआ।
पर्यटन विभाग की राशि से विवाह भवन, शौचालय, पुस्तकालय, यात्री शेड का नवीनीकरण, दो बाहरी मुख्य द्वार, मन्दिर परिसर के फर्श में टाइल्स लगाने का कार्य किया गया है। पूर्व में यहां कैफेटेरिया भी बना जिसमें फिलहाल नि:शुल्क भंडारा चलाया जा रहा है।

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