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खतरनाक पुलों से फिर गुजरेंगे कांवरिया

मानसी-सहरसा रेलखंड के समानांतर चौथम प्रखंड स्थित कोसी व बागमती नदी पर बने चार रिटायर रेलवे पुल हादसे को दावत दे रहे...

खतरनाक पुलों से फिर गुजरेंगे कांवरिया
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याFri, 13 Jul 2018 12:50 AM
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मानसी-सहरसा रेलखंड के समानांतर चौथम प्रखंड स्थित कोसी व बागमती नदी पर बने चार रिटायर रेलवे पुल हादसे को दावत दे रहे हैं।

संपर्क पथ नहीं होने के कारण लोग इसी रिटायर रेलवे पुल होकर आवाजाही करने को बाध्य हैं। एक बार फिर रेलवे के इसी रिटायर चार खतरनाक पुल होकर कांवरिया गुजरेंगे। बताया जाता है कि सावन माह में लाखों की संख्या में डाक एवं बोलबम कांवरिया मुंगेर जिले के छर्रापट्टी स्थित गंगा नदी से जलभर पैदल सहरसा जिले के कांठो स्थित श्री श्री 108 बाबा मटेश्वर धाम में जलाभिषेक करने जाते हैं।

वैसे तो सावन के प्रत्येक दिन कांवरिया जल चढ़ाते हैं, लेकिन सोमवारी के दिन तो भीड़ और बढ़ जाती है। सोमवार को लाखों की संख्या में डाक कांवरिया जल चढ़ाने जाते हैं। कांवरियों को 80 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है। कई हादसे हो चुके हैं। रिटायर रेल लाइन एवं चालू लाइन से गुजरते हैं कांवरिये: वैसे तो खगड़िया जिले में कई किमी तक कांवरिया पैदल यात्रा करते हैं। लेकिन सबसे दुखदायी यात्रा हरदिया गांव से शुरू होती है। यह फेनगो हॉल्ट तक जारी रहती है।

हरदिया गांव से फेनगो हॉल्ट तक रेल के रिटायर लाइन एवं चालू लाइन से कांवरियों को गुजरना पड़ता है। यह खतरे से खाली नहीं है। रेलवे लाइन पर गिट्टी से कांवरियों को काफी दिक्कत होती है।

चार खतरनाक पुल पार करना मजबूरी: कांवरियों का इस रूट में चार खतरनाक पुल पार करनी पड़ती है। बता दें कि सबसे पहले बागमती स्थित पुल नंबर 51 को पार करना पड़ता है। यह पुल तो वैसे ठीक-ठाक है। लेकिन मां कात्यायनी मंदिर से सटे रिटायर रेलवे पुल नंबर 50 काफी खतरनाक है। कारण यह कि यह पुल रेलिंग विहीन है। हालांकि इस पुल की आधी से ज्यादा में चौड़ीकरण भी किया गया है। लेकिन अभी भी रेलिंग विहीन एवं छोटी पुल से कांवरियों को गुजरना होगा। इसके अलावा धमारा घाट स्टेशन से उत्तर एक पुल को पार करना पड़ेगा। इसी तरह कोसी नदी पर बने पुल नंबर 47 तो काफी खतरनाक है। यह जगह-जगह पर टूटा हुआ है। फिलहाल स्थानीय लोगों द्वारा किसी तरह से ठीक कराकर लोग यात्रा करते हैं।

कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं: बताया जाता है कि इस रूट के अलावा दूसरा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। बता दें कि इस रूट में कई कांवरियों की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद भी खगड़िया जिला प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। प्रत्येक सोमवारी को इस रूट में कांवरियों की भीड़ उमड़ती है।

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