टूटकर धंसने लगा सहरसा का प्लेटफार्म तीन
दो साल में ही सहरसा स्टेशन का दो नंबर प्लेटफार्म जवाब देने लगा है। प्लेटफार्म जगह-जगह टूटकर धंसने लगा है।टाइल्स भी उखड़ने लगा है। ऐसे में प्लेटफार्म निर्माण में संवेदक के द्वारा बरती गई लापरवाही उजागर...
दो साल में ही सहरसा स्टेशन का दो नंबर प्लेटफार्म जवाब देने लगा है। प्लेटफार्म जगह-जगह टूटकर धंसने लगा है।टाइल्स भी उखड़ने लगा है। ऐसे में प्लेटफार्म निर्माण में संवेदक के द्वारा बरती गई लापरवाही उजागर हो गई है। रेल निर्माण विभाग के इंजीनियरों की मॉनिटरिंग कैसी हो रही थी उस पर सवाल खड़े होने लगा है। लोगों का कहना है कि अगर सही तरीके से प्लेटफार्म निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग होती तो इसका यह हाल नहीं होता। अभी हाल यह है कि टूटकर जगह-जगह धंसे प्लेटफार्म से आवाजाही के दौरान यात्रियों को काफी परेशानी हो रही। लगैज लेकर चलने वाले यात्री अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं। वहीं ट्रेन से उतरे यात्री उबड़ खाबड़ की वजह से गिरकर कभी कभार चोटिल भी हो जाते हैं।
सोमवार को प्लेटफार्म तीन पर मौजूद यात्री खगड़िया के विनोद कुमार और सिमरी बख्तियारपुर के आलम ने कहा कि जगह-जगह टूटकर धंस रहे इस प्लेटफार्म को दुरुस्त कराना चाहिए। दो बुजुर्ग यात्री धंसे प्लेटफार्म से आवाजाही के दौरान हमलोगों के सामने गिर गए थे। दुर्घटना को दावत देने वाला यह प्लेटफार्म बनता जा रहा है। वहीं प्लेटफार्म की खूबसूरती पर भी असर पड़ने लगा है। बता दें कि सहरसा स्टेशन पर रोज बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही होती है। ए ग्रेड दर्जा प्राप्त इस स्टेशन पर सहरसा के अलावा पड़ोसी जिले सुपौल, मधेपुरा तक के लोग पहुंचते हैं। सहरसा स्टेशन पर कुल पांच प्लेटफार्म है। जिसमें प्लेटफार्म एक, दो और तीन से ही अधिकांश ट्रेनें चलाई जाती है।
वैसे कोरोना काल के कारण अभी कम संख्या में ही ट्रेनें चलती है। हालांकि छठ पूजा के कारण अभी कई पूजा स्पेशल ट्रेनें सहरसा आ जा रही है। इधर जगह-जगह टूटकर धंस गए प्लेटफार्म तीन की मरम्मति के संबंध में पूछे जाने पर सहायक मंडल अभियंता मनोज कुमार ने कहा कि मरम्मति कराते हुए प्लेटफार्म को दुरुस्त कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि 600 मीटर लंबा यह प्लेटफार्म है। जहां भी प्लेटफार्म धंसा है वहां की मरम्मति कराई जाएगी।
फंड की कमी के कारण बंद है एफओबी का काम : फंड की कमी के कारण सहरसा स्टेशन के दूसरे फुट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य रुका हुआ है। दूसरे फुट ओवरब्रिज के प्लेटफार्म एक और मालगोदाम तरफ रेम्प निर्माण कार्य बचा है। सभी 48 गर्डर चढ़ा दिए गए हैं लेकिन ग्रेनाइट लगना बांकी है। स्लैब की ढलाई, सीढ़ी निर्माण सहित अन्य कई कार्य बांकी है। अगर यह एफओबी बन जाता तो पांचों प्लेटफार्म पर आवाजाही के साथ स्टेशन से बाहर आने-जाने की सुविधा मिलती। इसके अलावा रेलवे कॉलोनी के जलनिकासी का काम रुका हुआ है। रेलवे कॉलोनी को पाइपलाइन के जरिए पानी आपूर्ति व्यवस्था बहाल करने का काम भी रुका हुआ है। सहरसा स्टेशन के रेललाइन नंबर 12 को 11 से लिंक करने का काम भी शुरू नहीं हुआ है। अगर यह काम हो जाता तो प्लेटफार्म 11 से पूर्णिया रूट की ट्रेनें चलाना संभव हो जाता।