सुरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खनन की सूचना पर छापेमारी करने पहुंचे रोहतास के डीएफओ पर पत्थर माफियाओं ने रविवार को हमला कर दिया। हमले में डीएफओ व उनके सुरक्षाकर्मी और वनकर्मी बाल-बाल बच गए। लेकिन, डीएफओ की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई।
घटना उस वक्त हुई जब डीएफओ प्रद्युम्न गौरव सुबह में वन क्षेत्रों के भ्रमण के लिए करवंदिया स्थित चांदनी चौक पर पहुंचे थे। वहां पत्थर माफियाओं द्वारा एक हाइवा व एक ट्रक पर अवैध पत्थर लोड किया जा रहा था। इस संबंध में डीएफओ ने बताया कि वे करवंदिया चांदनी चौक पर अवैध पत्थर लोड होते देखकर वाहनों को जब्त करने लगे। उन वाहनों को जबरन छुड़ाने के लिए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर पथराव किया गया। इस मामले में वन विभाग ने अवैध खनन व पथराव करने वाले कुछ लोगों को चिह्नित भी किया है।
छापेमारी टीम पर पहले भी हुए हैं हमले
15 फरवरी 2002 को डीएफओ संजय सिंह की रेहल में नक्सलियों द्वारा की गई हत्या के बाद रोहतास में वन विभाग पर पत्थर माफियाओं का हमला शुरू है। इसमें अब तक एक रेंजर और वनपाल की नक्सलियों ने हत्या की है, तो पत्थर माफियाओं ने एक दर्जन से अधिक बार वन विभाग की छापेमारी टीम पर हमला किया है। इसमें दरिगांव थाना क्षेत्र से वन विभाग के सुरक्षा गार्ड का राइफल छीन लेने से लेकर करवंदिया में सरकारी वाहनो को जलाने तक की घटना शामिल है।
वैसे तो वन क्षेत्र से अवैध खनन को लेकर पहले से भी पत्थर माफियाओं के निशाने पर वन विभाग रहा है। लेकिन 2009 में रोहतास का पत्थर खनन पूरी तरह बंद होने के बाद से हमला और बढ़ गया है। हमले में वन विभाग से लकर खनन विभाग और पुलिस के अधिकारी भी निशाने पर रहे हैं। खनन क्षेत्रों तक जाने वाले रास्ता काटे जाने के कारण कुछ दिनों तक अवैध खनन बंद था। लेकिन, हाल के दिनों में एक बार फिर अवैध खनन शुरू हो गया है। इससे बिना पर्याप्त पुलिस बल के खिलाफ छापामारी करना खतरे से खाली नहीं है। इसे लेकर अवैध खनन रोकने के लिए बनी टास्क फोर्स की टीम भी बैठक करके योजना बना रही है।
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