वाहन उद्योग पर विदेशी निवेशकों की नजर, 57 अरब डॉलर का है कारोबार, 15 लाख लोगों को देता है रोजगार

कोरोना और लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित वाहन कलपुर्जा (ऑटो पार्ट्स) उद्योग के लिए अच्छी खबर है। दुनिया की बड़ी निजी इक्विटी (पीई) फर्म जैसे टेमासेक, ब्लैकस्टोन, गोल्डमैन सैक्स, समारा कैपिटल और बारिंग...

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Drigraj Madheshia एजेंसी , नई दिल्ली
Thu, 2 Jul 2020 8:22 AM

कोरोना और लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित वाहन कलपुर्जा (ऑटो पार्ट्स) उद्योग के लिए अच्छी खबर है। दुनिया की बड़ी निजी इक्विटी (पीई) फर्म जैसे टेमासेक, ब्लैकस्टोन, गोल्डमैन सैक्स, समारा कैपिटल और बारिंग प्राइवेट इक्विटी एशिया भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग में निवेश के अवसरों को तलाश कर रही हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े तीन लोगों ने यह जानकारी दी है। 

सूत्रों ने बताया कि दुनिया के बड़े पीई फर्म का मानना है कि लंबे समय के परिपेक्ष में भारतीय वाहन उद्योग के पास घरेलू और वैश्विक बाजार में बड़े अवसर हैं। ऐसे में कोरोना संकट के कारण वाहन उद्योग की कंपनियों के कम बाजार मूल्यांकन में वे अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का बेहतर मौका है। सूत्रों के अनुसार, पारंपरिक पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन से जुड़े पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों में ये निजी इक्विटी फर्म निवेश करने की योजना बना रही हैं।

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बीते एक दो महीनों में कई पीई फर्म ने चेन्नई और पुणे में स्थिति वाहन उद्योग के कुछ कंपनियों से निवेश को लेकर चर्चा की है। गौरतलब है कि कोरोना संकट और देशव्यापी लॉकडाउन से वाहन कलपुर्जा बनाने वाली अधिकांश एमएसएमई कंपनियां वित्तीय संकट से जूझ रही हैं। अब अनलॉक में उनके पास काम करने के लिए फंड की जरूरत है। बैंक और वित्तीय संस्थान पैसा डूबने की डर से बहुत ही सावधानी से कर्ज दे रहे हैं। ऐसे में ये कंपनियां पीई निवेश की ओर रुख करने की सोच रही हैं। 

गाड़ियों की बिक्री 2030 तक दोगुनी होगी 

राय इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश छाबड़ा ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना संकट और आर्थिक कारण से बीते 18 महीनों से गाड़ियों की बिक्री गिरी है लेकिन लंबी अवधि में मांग में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। कोरोना संकट खत्म होते ही गाड़ियों की मांग में तेजी से बढ़ेगी क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर लोग खुद की गाड़ियां खरीदेंगे। भारत में प्रति 1000 पर गाड़ियों की उपलब्धता बहुत ही कम है। ऐसे में 2030 तक गाड़ियों की बिक्री दोगनुी होनी तय है। इस मौके को देखते हुए विदेशी निवेशक कंपनियां भारतीय वाहन उद्योग पर दांव लगा रही हैं। 

फैक्ट फाइल

 कमाई 16 फीसदी घटने की आशंका

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल वाहन उद्योग की कमाई 16 फीसदी घटने की आशंका है। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट 300 ऑटो पार्ट्स कंपनियों पर किए गए सर्वे के आधार पर पेश किया है। इन कंपनियों के ब्याज, कर, मूल्यह्रास और उधारी चुकाने से पहले कमाई वित्त वर्ष 2021 में 30-35% गिरावट की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारी सीजन में इसमें सुधार देखने को मिलेगा। देश के कई हिस्सों में लॉकडान की अवधि बढ़ने से गाड़ियों की मांग प्रभावित हुई हैं। 15 अगस्त से केरल में ओनम के साथ त्योहारी सीजन की शुरुआत होती है। उसमें मांग बढ़ने की उम्मीद है। 

सरकार 15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी 

कोरोना महामारी से पैदा हुई चुनौतियों से जूझ रहे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए सरकार 15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। इसके बाद उन कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया जाएगा। गौरतलब है कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत वित्त मंत्री ने 50 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने का ऐलान किया था। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वाहन उद्योग में काम करने वाली छोटी कंपनियों को बड़ा फायदा मिलेगा। इससे उनकी वित्तीय जरूरत पूरा होंगी और उनकी ब्रांड वैल्यू में इजाफा होगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी आगे चलकर फायदा देगा। 

चुनौतियां और समस्याएं कम नहीं

ऑटो पार्ट्स कंपनी सोलो मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी संदीप किशोर जैन ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना संकट और चीन के साथ बढ़ते तनाव से ऑटो पार्ट्स कंपनियों की चुनौतियां और समस्याएं कम होने का नाम ले रही हैं। देश में लॉकडाउन लंबा चलने से गाड़ियों की मांग नहीं बढ़ पा रही है। इससे मई से अब तक ऑटो पार्ट्स की फैक्ट्री में उत्पादन 50 फीसदी के करीब पहुंचा है। वहीं, चीन से तनाव बढ़ने से पोर्ट पर आया कंटेनर का माल नहीं आ पा रहा है। इससे परेशानी बढ़ी है। हम सरकार से मांग करते हैं कि इस क्षेत्र के लिए एक सपष्ट गाइडलाइन जारी करे जिससे हम सभी को राहत मिल सके।

 

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