FTII सोसाइटी के अध्यक्ष और गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन बने शेखर कपूर

डायरेक्टर शेखर कपूर को फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) सोसाइटी के अध्यक्ष और एफटीआईआई गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन के तौर नियुक्त किया गया है। शेखर कपूर बॉलीवुड फिल्म...

Sushmeeta Semwal लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्ली
Tue, 29 Sept 2020, 08:11:PM

डायरेक्टर शेखर कपूर को फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) सोसाइटी के अध्यक्ष और एफटीआईआई गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन के तौर नियुक्त किया गया है। शेखर कपूर बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने डायरेक्टर हैं। शेखर कपूर ने मासूम, बैंडिट क्वीन, मिस्टर इंडिया, एलिजाबेथ और  बैंडिट क्वीन जैसी शानदार फिल्में दी हैं।

बता दें कि शेखर कपूर ने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी अपनी खास पहचान बनाई है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी और बताया कि 3 मार्च 2023 तक शेखर इस पद पर रहेंगे। उन्होंने लिखा,'मिस्टर कपूर, जिनके पास बहुत अनुभव है, संस्थान में अधिक मूल्य जोड़ेंगे। मुझे यकीन है कि हर कोई उनकी नियुक्ति का स्वागत करेगा।'

शेखर के अध्यक्ष और चेयरमैन बनने पर फैन्स उन्हें बधाई दे रहे हैं।

बता दें कि शेखर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत मामले में शेखर कपूर काफी एक्टिव थे। उन्होंने सुशांत को लेकर कई बातें भी बताई थीं।

शेखर कपूर ने बताया था कि वह उनके साथ फिल्म पानी में काम कर रहे थे लेकिन यश राज फिल्म्स के हाथ खींचने यह प्रोजेक्ट बंद हो गया था। वहीं कुछ दिनों पहले शेखर ने कहा था कि वह सुशांत को फिल्म पानी डेडिकेट करना चाहते हैं। 

उन्होंने ट्वीट किया था, 'यदि आप देवताओं या अपनी रचनात्मकता के साथ यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको भक्ति में प्रत्येक चरण पर चलना होगा। भगवान के आशीर्वाद से ‘पानी’ एक दिन बनकर रहेगी। अगर यह बनती है तो, मैं इस फिल्म को सुशांत को समर्पित करूंगा लेकिन इस फिल्म में हिस्सा लेने वाले लोग इंसानियत पर चलने वाले होंगे न कि अहंकार पर।'

वहीं इंस्टाग्राम लाइव के दौरान शेखर कपूर ने कहा था कि सुशांत फिल्म पानी के कैरेक्टर गोरा में डूब गए थे। वह रात को 2 और 3 बजे काल करते थे और फिल्म की छोटी-छोटी चीजों पर चर्चा करते थे। उन्हें फिल्म की लत सी लग गई थी। जब फिल्म बंद हो गई और उन्हें अहसास हुआ कि वह इस फिल्म को नहीं कर रहे हैं तो बहुत रोया वो। मैं भी रोया।

'वह बहुत रोते थे और मैं भी रोता था क्योंकि हम फिल्म के साथ बहुत अंदर तक जुड़ गए थे। हमारी जिंदगियां ही कुछ ऐसी होती हैं कभी ऊपर तो कभी नीचे। और ये जो लफ्ज है डिप्रेशन। ऐसा नहीं है कि मैं कह रहा हूं कि डिप्रेशन नहीं होती है, मैं ऐसा कह रहा हूं कि डिप्रेशन एक लफ्ज है, जिसके साथ हम खेल लेते हैं।'

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