World Heart Day 2020: दिल का खतरा बढ़ा देता है कोविड-19 संक्रमण

World Heart Day 2020: पिछले साल जब चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी, उस समय पूरी दुनिया में किसी को नहीं पता था कि असल में समस्या क्या और कैसी है। लेकिन आज इस नोवेल कोरोना वायरस...

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World Heart Day 2020: दिल का खतरा बढ़ा देता है कोविड-19 संक्रमण
Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान टीम , नई दिल्ली
Tue, 29 Sep 2020 5:27 PM

World Heart Day 2020: पिछले साल जब चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी, उस समय पूरी दुनिया में किसी को नहीं पता था कि असल में समस्या क्या और कैसी है। लेकिन आज इस नोवेल कोरोना वायरस को लेकर बहुत सी जानकारियां उपलब्ध हैं। वैज्ञानिक एवं चिकित्सक इसे समझ पाने में काफी हद तक सफल हुए हैं। इसी के साथ-साथ इससे जुड़े कई तरह के खतरों का भी पता चला है। ऐसा ही एक खतरा है दिल की बीमारियों का। बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीटीवीएस विभाग के प्रमुख एवं चेयरमैन डॉ. अजय कौल बताते हैं कि कोविड-19 से ठीक हो जाने के बाद भी सतर्कता बहुत जरूरी है। इसके सामान्य लक्षण वाले मरीजों में भी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ. कौल ने कहा कि जामा कार्डियोलॉजी द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि यह वायरस कार्डियोवस्कुलर डैमेज का कारण बन सकता है। इसकी वजह से खून को पंप करने की दिल की क्षमता कम हो जाती है। अभी यह तो कहना संभव नहीं है कि संक्रमण के कारण दिल को होने वाला नुकसान कितना सामान्य या खतरनाक हो सकता है। इस संबंध में व्यापक शोध की जरूरत है। लेकिन शोधकर्ताओं को यह डर अवश्य है कि यह वायरस दिल को गंभीर और स्थायी क्षति पहुंचा सकता है। इसी वायरस के दो अन्य प्रकार सार्स एवं मर्स में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता देखी जा चुकी है। डॉ. कौल ने कहा कि अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अध्ययन में पाया गया है कि संक्रमण के बाद कार्डियोवस्कुलर फेल्योर, हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का खतरा रहता है। यहां तक कि कोरोना वायरस दिमाग के उस हिस्से को भी प्रभावित करता है, जिसका संबंध सांस लेने एवं सर्कुलेशन से है।

कोरोना के कारण दिल पर पड़ने वाले इस असर को समझाते हुए डॉ. कौल ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण रक्त कोशिकाएं एक-दूसरे के नजदीक आती हैं और जुड़कर थक्का बनाने लगती हैं। इस तरह के थक्के ज्यादा हो जाने से ही धमनियों में रक्त प्रवाह बाधित होने लगता है और हार्ट फेल्योर या स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है। इन थक्कों के कारण लिवर, फेफड़े, किडनी और पैरों पर भी बुरा असर पड़ सकता है। कई मर्तबा ऐसे थक्के लिवर व किडनी की गंभीर बीमारियों का भी कारण बन जाते हैं।

डॉ. कौल का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण वैसे भी दिल के मरीजों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर संक्रमण के कारण दिल की बीमारियों का बढ़ता खतरा स्थिति को और जटिल कर रहा है। एक से ज्यादा शोध में इस तरह के प्रमाण मिले हैं कि संक्रमण से ठीक होने के बाद भी दिल पर खतरा बरकरार रहता है। अभी इस बारे में कुछ भी बहुत स्पष्ट तरीके से नहीं कहा जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को इसके लिए तैयार जरूर रहना चाहिए। कोरोना के इलाज में प्रयुक्त हो रही दवाओं को लेकर उन्होंने कहा कि हर दवा के साथ कुछ साइड इफेक्ट होते हैं और किसी भी दवा का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। दवाएं देने से पहले भी मरीज के हिसाब से कुछ जांच की जरूरत पड़ सकती है। इनकी अनदेखी करना सही नहीं है।

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