नेपाल में माहवारी के कारण बिना खिड़की वाली झोपड़ी में रह रही एक महिला की दम घुटने से मौत हो गई। महिला के साथ रह रहे उसके दो बेटे भी दम घुटने के कारण मर गए। हिमालयी देश में प्रचलित प्रथा के अनुसार माहवारी के दौरान महिला को अछूत माना जाता है और उसे अलग जगह रहने के लिए विवश किया जाता है।
‘काठमांडू पोस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना नेपाल के बाजुरा जिले की है। वहां 35 वर्षीय अंबा बोहोरा बीते मंगलवार रात खाना खाने के बाद अपने नौ और 12 साल के बेटों के साथ घर से अलग झोपड़ी में सोने चली गई। झोंपड़ी को गर्म रखने के लिए उसमें आग जल रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि झोंपड़ी में न तो कोई खिड़की थी, न ही हवा आर-पार होने के लिए कोई छेद वगैरह था। अगली सुबह जब अंबा की सास ने झोंपड़ी का दरवाजा खोला तो उसे तीनों मृत मिले। सभी की आग लगने के कारण दम घुटने से मौत हो गई थी।
रिपोर्ट में एक ग्रामीण के हवाले से बताया गया कि अंबा और उसके बेटे जब सो रहे थे तभी उनके कंबल में आग लग गई थी, जिसके बाद धुएं के कारण उनका दम घुट गया। मुख्य जिला अधिकारी चेतराज बराल ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच के लिए जिला पुलिस प्रमुख समेत एक दल घटनास्थल पर भेजा गया है।
परंपरा की फांस
- नेपाल में कई समुदाय परंपरा के नाम पर माहवारी वाली महिलाओं को अपवित्र मानते हैं
- इसी वजह से माहवारी के समय महिलाएं मजबूरी में परिवार से दूर झोंपड़ियों में रहती हैं
- वे झोपड़ियां आम तौर पर साफ-सुथरी, स्वास्थ्य के अनुकूल व रहने लायक नहीं होतीं
- इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, इसके बावजूद अभी यह समाप्त नहीं हुई है
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